छतरपुर। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिले सहित पूरे प्रदेश में दस्तक अभियान चलाया जा रहा है। लेकिन जिले में इस अभियान को गति नहीं मिल पा रही है। यह अभियान औपचारिक साबित हो रहा है। यही कारण है कि लगातार यह अभियान रैंकिंग में पिछड़ रहा है। पिछली रैंकिंग के मुकाबले इस बार छतरपुर २१ से खिसककर ४७ वे नंबर पर पहुंच गया है।इस अभियान के तहत घर-घर दस्तक देकर ऐसे बच्चों को खोजना था, जो कुपोषण, एनीमिया एवं अन्य बीमारियों से ग्रसित हैं। लेकिन छतरपुर की रैंकिंग बता रही है कि विभाग का अमला दस्तक अभियान में रुचि ही नहीं ले रहा है।
दस्तक अभियान की मानीटरिंग प्रदेश स्तर पर की जा रही है। इसके तहत हर सप्ताह जिले के परफार्मेंस पर रैंकिंग जारी की जाती है। 9 जुलाई को जारी हुई रैंकिंग में छतरपुर का स्थान प्रदेश में 21 वे नंबर पर था। पहले नंबर पर डिंडोरी जिला था। टॉप टेन में भी जिला शामिल नहीं हो पाया था। लेकिन 21 वे नंबर की रंैकिंग से अन्य जिलों के मुकाबले छतरपुर का बेहतर प्रदर्शन सामने आया था। लेकिन गुरुवार को जारी हुई रैंकिंग में छतरपुर 21 की जगह ४७वें स्थान पर पहुंच गया है। जबकि पिछली रैंकिंग में नरसिंहपुर जिला ७४वें स्थान पर था, जिसकी रैंकिंग इस बार सुधरकर २९वें नंबर पर पहुंच गई है। ऐसी स्थिति में जिले में दस्तक अभियान केवल कागजी औपचारिका बनकर रह गया है। जमीनी स्तर पर इसका क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है। मैदानी अमला इस अभियान को धरातल पर लागू करने में रुचि नहीं ले रहा है।
सीएमएचओ डॉ. वीएच वाजपेयी का कहना है कि अभियान को लेकर लगातार समीक्षा की जा रही है। रैंकिंग सुधारने का प्रयास किया जाएगा। अमले की कमी के कारण कुछ दिक्कतें आ रही हैं। फिर भी हम सुधार की कोशिश कर रहे हैं।
दस्तक अभियान की मानीटरिंग प्रदेश स्तर पर की जा रही है। इसके तहत हर सप्ताह जिले के परफार्मेंस पर रैंकिंग जारी की जाती है। 9 जुलाई को जारी हुई रैंकिंग में छतरपुर का स्थान प्रदेश में 21 वे नंबर पर था। पहले नंबर पर डिंडोरी जिला था। टॉप टेन में भी जिला शामिल नहीं हो पाया था। लेकिन 21 वे नंबर की रंैकिंग से अन्य जिलों के मुकाबले छतरपुर का बेहतर प्रदर्शन सामने आया था। लेकिन गुरुवार को जारी हुई रैंकिंग में छतरपुर 21 की जगह ४७वें स्थान पर पहुंच गया है। जबकि पिछली रैंकिंग में नरसिंहपुर जिला ७४वें स्थान पर था, जिसकी रैंकिंग इस बार सुधरकर २९वें नंबर पर पहुंच गई है। ऐसी स्थिति में जिले में दस्तक अभियान केवल कागजी औपचारिका बनकर रह गया है। जमीनी स्तर पर इसका क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है। मैदानी अमला इस अभियान को धरातल पर लागू करने में रुचि नहीं ले रहा है।
सीएमएचओ डॉ. वीएच वाजपेयी का कहना है कि अभियान को लेकर लगातार समीक्षा की जा रही है। रैंकिंग सुधारने का प्रयास किया जाएगा। अमले की कमी के कारण कुछ दिक्कतें आ रही हैं। फिर भी हम सुधार की कोशिश कर रहे हैं।