छतरपुर

MP Election 2018 राजनीतिक नीयत में गिरावट, इसलिए हर साल ज्यादा डॉक्टर तैयार फिर भी ग्रामीण इलाकों में कमी

मैं डॉक्टर बताऊंगा मर्ज

छतरपुरSep 12, 2018 / 12:13 pm

rafi ahmad Siddqui

Decline in political consensus Doctor reduction in rural areas

छतरपुर। वर्ष 1981 से 1983 तक मैं उमरिया सिविल अस्पताल में पदस्थ था, उस समय उमरिया जिला नहीं बना था। भूतपूर्व मंत्री रणविजय प्रताप सिंह के घर से बुलावा आने पर मैं दो-चार बार गया। उनके घर में कई लोग चश्मा का प्रयोग करते थे। सिविल अस्पताल का एकलौता नेत्र विशेषज्ञ होने के कारण मुझे राजनीतिक परिवारों से बुलाया जाता था। उस समय वहां शांति शर्मा विधायक थी, कांग्रेस की गुटबाजी के चलते किसी ने मेरी शिकायत कर दी कि में पूर्व मंत्री के घर जाता हूं, उनका दूर का रिश्तेदार भी हूं। इससे विधायक मुझसे नाराज रहती थी। इसी बीच विधायक के समर्थक गुट के लोगों के साथ दूसरे गुट ने मारपीट कर दी। विधायक ने मुझे बुलाया और कहा कि मेडिकल रिपोर्ट उनके समर्थकों के पक्ष में बना दो। पुलिस रिपोर्ट के बाद मेडिकल के लिए लोग मेरे पास आए,तो मैने देखा उनके शरीर में लात-घूंसे से मारपीट के निशान हैं, मंैने वहीं रिपोर्ट बनी दी। इस पर विधायक शांति शर्मा ने मुझे बुलाया और उनके अनुसार गंभीर चोट की मेडिकल रिपोर्ट नहीं बनाने पर मुझे डांटने लगीं, मैने उन्हें वस्तुस्थिति बताई, लेकिन उन्होंने मुझे अपमानित करना शुरू कर दिया। हमारे बीच बहस हुई, मैं अपनी बात कहकर वहां से चला आया और उसी दिन शाम को मुझे ट्रांसफर ऑर्डर पकड़ा दिया गया। मुझे ग्रामीण अंचल में ईमानदारी से काम करने पर भी ट्रांसफर किया गया, जिससे मुझे दुख हुआ।
उस समय शंकरप्रताप सिंह मुन्नाराजा छतरपुर कांग्रेस विधायक थे, मैने उनसे पूरी बात बताई, उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री रेवानाथ चौधरी से बात करके मेरा ट्रांसफर ऑर्डर जिला अस्पताल छतरपुर के लिए करा दिया गया। चिकित्सकों की पोस्टिंग और उनके कार्य करने में राजनैतिक हस्तक्षेप असर डालता रहा है। जिनके पॉलिटिकल कनेक्शन होते हैं, वे अच्छी पोस्टिंग पा जाते हैं, नहीं तो ग्रामीण क्षेत्र में जो डॉक्टर फंस जाए तो जिंदगीभर वहीं फंसा रहता था। पहले स्वाथ्य केन्द्र पर भी डॉक्टर और पूरा स्टाफ होता था,लेकिन अब डॉक्टर शहर से निकलना ही नहीं चाहते, ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सक की आवश्यकता होते हुए भी कोई वहां जाना चाहता है। राजनीति में डाउनफाल आने के कारण राजनेता भी डाक्टरों की पोस्टिंग की स्पष्ट नीति नहीं बनाना चाहते हैं,बनाएंगे भी नहीं,क्योंकि उनके व प्रशासनिक अधिकारियों के परिजन,जो डॉक्टर बन गए है,उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में जाना पड़ेगा।
जब मैने नौकरी शुरू की तो उस समय महेन्द्र कु मार मानव, जेपी निगम, दशरथ जैन विधायक थे, ये सभी बसों में विधायक के लिए आरक्षित सीटों पर सफर करके भोपाल जाते थे। लेकिन आज-कल कहां कोई विधायक बसों से सफर करता है। अब तो सरपंच भी सीट मिलते ही सबसे पहले शहर में घर बनाता है, परिवार को लेकर शिफ्ट हो जाता है। गांव में कोई रहना ही नहीं चाहता, तो डॉक्टर कैसे रहेंगे।
डॉक्टरों के ग्रामीण सेवा को लेकर कोई नीति ही नहीं बनाई गई है, क्योंकि आजकल ज्यादातर डॉक्टर राजनीतिक परिवार या प्रशासनिक अधिकारी आइएएस, आइपीएस के परिवार से ताल्लुक रखते हैं। इसलिए कोई नीति नहीं बनाना चाहता है। पहले हैल्थ डिपार्टमेंट में डायरेक्टर, ज्वॉइंट डायरेक्टर और सचिव होता था, ट्रांसफर, पोस्टिंग का काम डायरेक्टर देखा करते थे, लेकिन आजकल एडमिनिस्ट्रेटर बैठा दिए गए हैं। डायरेक्टर हेल्थ के पास कोई अधिकार नहीं रह गए हैं। विभाग की नीति आइएएस बना रहे हैं,जिन्हे विभाग का कोई ज्ञान नहीं है। राजनीतिक व प्रशासनिक हस्तक्षेप की नीयत में डाउनफाल आया है, इसलिए मेडिकल सीट बढऩे और हर साल ज्यादा डॉक्टर आने के बावजूद ग्रामीण इलाकों में डॉक्टरों की कमी है।
पहले राजनीतिक संबध के आधार पर अच्छी पोस्टिंग मिल जाती थी,लेकिन आजकल धन कनेक्शन चल रहा है। 12 से 15 लाख रुपए हर साल देने पर किसी भी जिले का सीएमओ बन रहे हैं। जबकि पहले ऐसा नहीं होता था,मैं खुद भी बिना रुपया दिए सीएमओ रहा हूं, हालांकि जब मैं सीएमओ का टर्म पूरा कर रहा था, तो मुझे भोपाल से प्रशासनिक अधिकारियों का मैसेज आया कि डॉ.पाटनी छतरपुर सीएमो नहीं बनना चाहते हैं,आप 1 लाख भिजवा दें, तो आपकी सेवाएं क्न्टीन्यू की जा सकती है। उस समय सस्ते का जमाना था, फिर भी पोस्टिंग के लिए एक लाख मांगे गए, जो मंैने नहीं दिए और कुर्सी छोड़े दी। कुल मिलाकर राजनेताओं और आइएएस की नीयत साफ नहीं है, हर क्षेत्र की तरह राजनीति में भी डाउनफाल आया है।
– डॉ. सुरेन्द्र सिंह बुंदेला
प्रोफाइल
डॉ. सुरेंद्र सिंह बुंदेला
जन्म- 17अप्रैल 1947
1966-एमबीबीएस में प्रवेश
1972-मेडिकल ऑफिसर बने
1981-नेत्र विशेषज्ञ बने
बिजावर, उमरिया, रीवा और छतरपुर में सेवाएं दीं
2005- स्वैच्छि सेवानिवृत्ति ले ली।

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