script2020 तक शुरु हो सकती है हीरा खदान | Diamond mines may start by 2020 | Patrika News

2020 तक शुरु हो सकती है हीरा खदान

locationछतरपुरPublished: Oct 24, 2020 09:13:58 pm

Submitted by:

Dharmendra Singh

पर्यावरण मंजूरी के लिए दिल्ली पहुंची हीरा खदान की फाइलखनन शुरू होने के लिए 3 साल का समय, लेकिन डेढ़ साल में संभावनाहीरा खदान शुरु होने से हर साल जिले के मिलेगा 50 करोड़ का राजस्व

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छतरपुर। बक्स्वाहा में लगने वाली एशिया के सबसे कीमती जैम क्वालिटी के हीरे की खदान 2022 के आखिर तक शुरू हो सकती है। लगभग 60 हजार करोड़ रूपए की इस खदान में उत्खनन की मंजूरी मप्र सरकार ने बिरला गु्रप को दी है। बिरला गु्रप उत्खनन के पहले सभी अनुमतियों को हासिल करने में जुटा है। छतरपुर जिला खनिज विभाग से सभी अनुमतियां लेने के बाद अब वन एवं पर्यावरण मंत्रालय दिल्ली से पर्यावरण मंजूरी के लिए फाइल दिल्ली भेजी गई है। पर्यावरण अनुमति मिलने पर खदान शुरु होने का रास्ता खुलेगा। हालांकि गौर करने वाली बात ये है कि रियो टिंटो
364 हेक्टेयर में लगेगी हीरा खदान
बक्स्वाहा में 364 हेक्टेयर वन भूमि पर हीरे का खनन होना है। वन विभाग से उक्त जमीन हासिल करने के लिए सरकार को राजस्व क्षेत्र की इतनी ही जमीन एवं इस पर लगे लाखों पेड़ों की कटाई का खर्च, पेड़ों की कीमत और नई जमीन पर पेड़ों को उगाने का खर्च वन विभाग को देना पड़ेगा। बक्स्वाहा के पास डायमंड खदान के बंदर प्रोजेक्ट के लिए बिड़ला ग्रुप के माइनिंग प्लान को इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस ने मंजूरी दे चुका है। बिड़ला ग्रुप वनभूमि के बदले जमीन देने और प्लांटेशन की प्रक्रिया करेगा, जिसके बाद वन विभाग की जमीन बिडला ग्रुप को खनन के लिए हैंडओवर की जाएगी। जमीन मिलने के बाद बिडला ग्रुप को फारेस्ट क्लीयरेंस व पर्यावरण स्वीकृति लेनी होगी।
बिडला ग्रुप को करना होगी वनों की क्षतिपूर्ति
बिडला ग्रुप को वन क्षेत्र में खनन परियोजना शुरु करने के लिए खदान के लिए ली गई वन विभाग की जमीन के बरावर और पेड़ों की भी क्षतिपूर्ति करना होगी। तभी खदान क्षेत्र की वनभूमि हैंडओवर हो पाए। इसके लिए खनन परियोजना में जाने वाली वन भूमि के बदले जमीन देने के साथ ही काटे गए पेड़ों का प्लांटेशन भी कराना होगा। बिडला ग्रुप काटे गए पेड़ों के बराबर पेड़ लगाने होंगे। इसके साथ ही ली गई वन भूमि के बदले वन विभाग को उतनी ही जमीन देनी होगी। प्लांटेशन पर बिड़ला ग्रुप को 7 से 11 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर खर्च करना होगा। वहीं, प्लांटेशन के लिए जमीन भी देनी होगी। कुल मिलाकर करीब 15 लाख रुपए हेक्टेयर की दर से क्षतिपूर्ति करना होगी। वन क्षतिपूर्ति होने की शर्त पर ही केन्द्रीय वन मंत्रालय द्वारा फारेस्ट क्लीयरेंस देने की प्रक्रिया होगी।
टारगेट समय से पहले शुरु होगा खनन
सरकार ने कंपनी को तीन साल तक के लिए वन एवं पर्यावरण की स्वीकृति सहित अन्य औपचारिकताओं को पूरा करने का समय दिया है। कंपनी को ये लीज 50 साल के लिए दी गई है। लेकिन कंपनी जिस गति से प्रोजेक्ट पर काम कर रही है, ऐसे में तीन साल बाद खनन की योजना समय से पहले शुरु हो सकती है। वर्तमान में औपचारिकताओं को पूरा करने की रफ्तार के अनुसार जेढ साल में बंदर प्रजोक्ट से हीरा खनन शुरु होने की संभावना है।
रियो टिंटो का प्लांट खरीद चुका है बिडला ग्रुप
बिड़ला ग्रुप रियोटिंटो के डायमंड फिल्टर प्लांट (डीएमएस यूनिट) के जरिए मिट्टी से हीरे की छनाई करेगा। इसके अलावा सौ कमरों के गेस्ट हाउस को अपने कार्यालय के रूप में उपयोग करेगा। बिड़ला ने खनिज विभाग से रियोटिंटो द्वारा विभाग को सौंपी गई डीएमएस यूनिट, गेस्ट हाउस, दस हेक्टयर जमीन मांगी थी, जिसके एवज में 5 करोड़ रुपए जमा कर हैंडओवर की प्रक्रिया फरवरी 2020 में की गई थी। बिड़ला ग्रुप इस यूनिट व संपत्ति का इस्तेमाल खनन परियोजना में कर सकेगा।
पर्यावरण मंजूरी की चल रही प्रक्रिया
पर्यावरण मंजूरी के लिए फाइल दिल्ली भेजी गई है। इस पर जल्द ही सैद्धांतिक मंजूरी मिलने की उम्मीद है। उसके बाद वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की टीम खर्च का मूल्यांकन करेगी। खनन कार्य नियत समय पर प्रारंभ करने की कोशिशें की जा रही हैं।
अमित मिश्रा, जिला खनिज अधिकारी, छतरपुर
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