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उत्साह के साथ मनी दीपावली, 2 करोड़ के पटाखे फोड़कर मनाई प्रकाशोत्सव की खुशियां

locationछतरपुरPublished: Nov 08, 2018 03:56:22 pm

Submitted by:

Dharmendra Singh

शाम से लेकर रात तक जगमगाता रहा शहरसोशल मीडिया पर शुभकामना देने का लगा रहा तांता

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छतरपुर। दीपावली के दिन सुबह से लोगों ने अपने घर-आंगन, प्रतिष्ठानों के सामने रंगोली बनाई। सुबह से ही बाजारों में काफी भीड़भाड़ दिखी। हर कोई लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति, गेंदा के फूल, मिट्टी दीपक, मिठाई व गिफ्ट आइटम के अलावा रेडीमेड वस्त्रों की खरीदारी करता दिखा। दिन के समय पूजा की तैयारी की गई। शाम होते ही शुभ मुहूर्त में मां महालक्ष्मी की पूजा-आरती कर घर-प्रतिष्ठानों में सुख-शांति, समृद्धि बनी रहने की कामना की गई। पर्व की शाम पर पूरा शहर रोशनी से जगमगाता रहा। पूजन के बाद आतिशबाजी का सिलसिला देर रात तक चलता रहा। व्हाट्सएप, फेसबुक और ट्विटर पर दीपावली की शुभकामनाओं के संदेशों की भरमार थी। पूजा-अर्चना के बाद लोगों ने बुजुर्गों के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। एकदूसरे को गिफ्ट दिए। हर कोई नए परिधान पहने नजर आया। दीपावली के मौके पर लोग अपने रिश्तेदारों के यहां भी गए और त्योहार की शुभकामनाएं देकर उत्साह से एक साथ दीपावली मनाई।
दो करोड़ की बिकी आतिशबाजी
जिला मुख्यालय पर बनाए गए पटाखा मार्केट में 61 दुकानें लगी थी, जिनसे लगभग 1.50 करोड़ के पटाखों की बिक्री एक दिन में हुई। इसके अलावा शहर के गली-मोहल्ले में लगी छोटी-छोटी दुकानों से भी लगभग 50 लाख के पटाखों की बिक्री हुई। पाटाखों की नई डिजाइन, जिसमें राकेट, रोकेट बम,लैला मजनू, चकरी और फुलझड़ी की बिक्री सबसे ज्यादा हुई। पटाखा व्यापारी दिनेश खरया ने बताया कि, केवल छतरपुर शहर से ही लगबग 2 करोड़ की आतिशबाजी की बिक्री हुई है।
50 लाख की बिकी सजावटी सामग्री
दीपावली पर घर-आंगन सजाने और लाइटिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली सामग्री भी खूब बिकी। दरवाजे सजाने की सामग्री, रंगोली और झालरों की जमकर मांग रही। बाजार में प्लास्टिक और कपड़े से निर्मित फूल, मालाओं के अलावा झूमरों की जबर्दस्त बिक्री हुई। चीन में बनी प्लास्टिक की मालाओं से बाजार पटा था। व्यापारी रिंकू लक्ष्यकार ने बताया कि बाजार में दस रुपये से पांच सौ रुपये तक मालाओं की बिक्री हुई है। राजस्थान के झूमर, प्लास्टिक, रबड़, ऊन और कॉटन के धागे के झूमर की भी बिक्री ठीक हुई है। रंग बिरंगे बंदरबार की भी लोगों ने खूब डिमांड की।
मिट्टी के दीए की रही मांग
स्वास्तिक आकृति,आम, पीपल के पत्ते की आकृति के दीपक ने लोगों को खूब रिझाया। इसके साथ ही साधारण दीपक, रेडिमेड बत्तियां लगबग हर खरीदार ने लिए। मिट्टी से निर्मित लक्ष्मी गणेश की मूर्तियों की भी खूब बिक्री हुई। व्यापारी पिंकू ने बताया कि गुलाब, गणेश, पीपल के पत्ते, कटोरी, स्वास्तिक ओम आकृति वाले दीयों की मांग अधिक थी। 25 रुपए कीमत वाले ये दिए देखने में बहुत आर्कषक होने से सभी ने ये दिए लिए,भले ही दो या चार ही खरीदे। इसके अलावा रेडीमेड दीयों की भी मांग रही,बड़ा दीया 20 से 25 रुपए प्रति नग जबकि छोटे 12 रुपए प्रति दर्जन तक के हिसाब से बिके।
जमकर हुआ मिठाई का कारोबार
दीपावली हो तो मुंह मीठा कराना स्वभाविक है, इसलिए बुधवार को मिठाई की जमकर बिक्री हुई। शहर की सभी मिठाई दुकानदारों ने स्टॉल लगाकर अपनी औसत क्षमता से चार गुना ज्यादा मिठाई बेची। मिठाी की स्थाई दुकानों के अलावा शहर में कई अस्थाई दुकानें भी दीपावली के दिन खुली। सड़क किनारे टेंट लगाकर दिनभर मिठाई की बिक्री हुई। मावा में मिलावट की आशंका के चलते खोवा की मिठाई के साथ ही ड्राई मिठाई की मांग रही। फूड प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियों के दीपावली पैकेज की भी जमकर बिक्री हुई। एक अनुमान के मुताबिक दीपावली के दिन शहर में 4 करोड़ रुपए से ज्यादा की मिठाई और ड्राई फूड की बिक्री हुई।
जेल में भी मनाई दीपावली
जिला जेल समेत जिले की सभी जेलों में भी दीपावली मनाई गई। कैदियों द्वारा बनाए गए दीपों से जेल का परिसर जगमग हो गया। लवकुशनगर उप जेल में पुलिस अधिकारी और जेल विभाग के कर्मचारियों के परिवारों ने भी एक साथ दीपावली मनाई। प्रकाशोत्सव के अवसर पर जेल के कैदियों ने जीवन को उज्वल बनाने का संकल्प लिया। जेल से छूटने के बाद नई जिंदगी की शुरुआत के संकल्प के साथ सभी ने दीपावली मनाई।
अन्नकूट महोत्सव की रही धूम
दीपावली के अगले दिन गोवद्र्धन पूजा की जाती है.गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा की जाती है। इतना ही नहीं, इस दिन 56 या 108 तरह के पकवान बनाकर भगवान को भोग लगाया जाता है, इन पकवानों को अन्नकूट कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि ब्रजवासियों की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को छोटी अंगुली में उठाकर हजारों जिंदगियों को इंद्र के कोप से बचाया था। गोवर्धन पूजा कार्तिक माह की प्रतिपदा को मनाया जाता है। इस खास दिन लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाते हैं। शहर समेत जिले भर के प्रमुख मंदिरों में अन्नकूट महोत्सव श्रद्धा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर भगवान को छप्पन भोग अर्पित करने के उपरांत अन्नकूट का भंडारा हुआ, जिसमें सभी लोगों ने हिस्सा लेकर प्रसाद ग्रहण किया। उधर, घरों में आज गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया गया। महिलाओं ने अपने घरों के आंगन में रंगोली सजाकर विधि-विधान से पूजन किया। गुरवार को सरानी दरवाजा के बाहर महालक्ष्मी मंदिर में अन्नकूट महोत्सव का आयोजन किया गया। इस अवसर पर महालक्ष्मी का विशेष श्रंगार किया गया। 56 भोग लगाकर विषेश पूजन-अर्चन किया गया। पूजा में खासकर अग्रवाल समाज के लोगों ने भारी संख्या में भाग लिया।
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