नए सिस्टम भी पकड़ रहे जोर
मौसम विज्ञानियों के मुताबिक उत्तर-पश्चिम मध्यप्रदेश पर बना गहरा कम दबाव का क्षेत्र कमजोर पड़ गया है। वर्तमान में यह सिस्टम कम दबाव के क्षेत्र में बदलकर उत्तर-पश्चिमी मध्यप्रदेश और उससे लगे पूर्वी राजस्थान पर सक्रिय है। एक कम दबाव का क्षेत्र उत्तर-पश्चिमी मध्यप्रदेश और उससे लगे पूर्वी राजस्थान पर सक्रिय है। मानसून ट्रफ बीकानेर से कम दबाव के क्षेत्र से होकर सतना होकर बंगाल की खाड़ी तक बना हुआ है। एक अन्य ट्रफ अरब सागर से गुजरात, राजस्थान से कम दबाव के क्षेत्र तक बना है। बंगाल की खाड़ी में भी एक कम दबाव का क्षेत्र मौजूद है। बंगाल की खाड़ी में बने सिस्टम से रविवार से एक बार फिर मप्र में बारिश की गतिविधियों में तेजी आने लगेगी। सोमवार से पूरे प्रदेश में तेज बौछारें पडऩे का सिलसिला शुरू हो सकता है।उधर बंगाल की खाड़ी में एक और कम दबाव का क्षेत्र बन गया है। इसके प्रभाव से रविवार से एक बार फिर से बारिश की गतिविधियों में तेजी आने लगेगी। इसके अतिरिक्त 25 सितंबर को भी बंगाल की खाड़ी में एक नया कम दबाव का क्षेत्र बनने जा रहा है। उसके असर से सितंबर माह के अंत तक वर्षा का सिलसिला बना रहने की संभावना है।
मौसम विज्ञानियों के मुताबिक उत्तर-पश्चिम मध्यप्रदेश पर बना गहरा कम दबाव का क्षेत्र कमजोर पड़ गया है। वर्तमान में यह सिस्टम कम दबाव के क्षेत्र में बदलकर उत्तर-पश्चिमी मध्यप्रदेश और उससे लगे पूर्वी राजस्थान पर सक्रिय है। एक कम दबाव का क्षेत्र उत्तर-पश्चिमी मध्यप्रदेश और उससे लगे पूर्वी राजस्थान पर सक्रिय है। मानसून ट्रफ बीकानेर से कम दबाव के क्षेत्र से होकर सतना होकर बंगाल की खाड़ी तक बना हुआ है। एक अन्य ट्रफ अरब सागर से गुजरात, राजस्थान से कम दबाव के क्षेत्र तक बना है। बंगाल की खाड़ी में भी एक कम दबाव का क्षेत्र मौजूद है। बंगाल की खाड़ी में बने सिस्टम से रविवार से एक बार फिर मप्र में बारिश की गतिविधियों में तेजी आने लगेगी। सोमवार से पूरे प्रदेश में तेज बौछारें पडऩे का सिलसिला शुरू हो सकता है।उधर बंगाल की खाड़ी में एक और कम दबाव का क्षेत्र बन गया है। इसके प्रभाव से रविवार से एक बार फिर से बारिश की गतिविधियों में तेजी आने लगेगी। इसके अतिरिक्त 25 सितंबर को भी बंगाल की खाड़ी में एक नया कम दबाव का क्षेत्र बनने जा रहा है। उसके असर से सितंबर माह के अंत तक वर्षा का सिलसिला बना रहने की संभावना है।
सिंतबर में पूरा हो सकता है बारिश का कोटा
मौसम विज्ञान केंद्र के के अनुसार इस बार भले ही जुलाई-अगस्त माह में राजधानी सहित प्रदेश में अपेक्षित बारिश नहीं हुई, लेकिन सितंबर माह की शुरूआत से ही बौछारें पडऩे का सिलसिला जारी है। इससे सीजन का बारिश का औसत कोटा होने की उम्मीद बढ़ गई है। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से लगातार मिल रही नमी से मानसून सक्रिय बना हुआ है।
मौसम विज्ञान केंद्र के के अनुसार इस बार भले ही जुलाई-अगस्त माह में राजधानी सहित प्रदेश में अपेक्षित बारिश नहीं हुई, लेकिन सितंबर माह की शुरूआत से ही बौछारें पडऩे का सिलसिला जारी है। इससे सीजन का बारिश का औसत कोटा होने की उम्मीद बढ़ गई है। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से लगातार मिल रही नमी से मानसून सक्रिय बना हुआ है।
अब जिले हुई 28.4 इंच बारिश
जिले में तीन दिन से हो रही रिमझिम बारिश समेत अबतक कुल 28.4 इंच औसत बारिश दर्ज की गई है। छतरपुर ब्लॉक में 25.5 इंच, लवकुशनगर में 24.8 इंच, बिजावर में 21.4 इंच, नौगांव में 33.7 इंच, राजगनर में 29.8 इंच, गौरिहार में 31.8 इंच, बड़ामलहरा में 37.6 इंच और बक्स्वाहा में 23.4 इंच बारिश अबतक हुई है। हालांकि पिछले साल इस अवधि में जिले में 26.2 इंच बारिश दर्ज की गई थी, जबकि पिछले साल कुल औसत बारिश 32.3 इंच थी। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक अभी रिमझिम बारिश जारी रहेगी, ऐसे में पिछले साल के औसत तक इस साल भी बारिश होने की संभावना बनी हुई है।
जिले में तीन दिन से हो रही रिमझिम बारिश समेत अबतक कुल 28.4 इंच औसत बारिश दर्ज की गई है। छतरपुर ब्लॉक में 25.5 इंच, लवकुशनगर में 24.8 इंच, बिजावर में 21.4 इंच, नौगांव में 33.7 इंच, राजगनर में 29.8 इंच, गौरिहार में 31.8 इंच, बड़ामलहरा में 37.6 इंच और बक्स्वाहा में 23.4 इंच बारिश अबतक हुई है। हालांकि पिछले साल इस अवधि में जिले में 26.2 इंच बारिश दर्ज की गई थी, जबकि पिछले साल कुल औसत बारिश 32.3 इंच थी। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक अभी रिमझिम बारिश जारी रहेगी, ऐसे में पिछले साल के औसत तक इस साल भी बारिश होने की संभावना बनी हुई है।