अस्पताल में इलाज कराने आए गिलौहां निवासी भूपेन्द्र यादव ने बताया कि उनके डेढ़ साल के बच्चे को निमोनिया हुआ है। गांव में इलाज के दौरान आराम नहीं मिला तो वे अस्पताल आए थे। यहां एक दिन पलंग नहीं मिला तो जमीन पर ही इलाज कराया। अगले दिन अन्य बच्चों की छुट्टी होने के बाद पलंग मिल सका। कुछ बच्चों को तो अभी भी जमीन पर ही इलाज लेना पड़ रहा है। पठापुर रोड पर रहने वाले तुलसी कुशवाहा ने बताया कि उनका बेटा और बेटी दोनों उल्टी-दस्त और बुखार से पीडि़त हैं। दोनों को एक ही बिस्तर पर लिटाकर इलाज दिया जा रहा है। बिस्तरों की कम संख्या मुसीबत की वजह बनी है।
जिला अस्पताल में बीमार बच्चों की संख्या बढ़ रही है तो वहीं वायरल फीवर से जूझ रहे दूसरे रोगी भी बढ़ते जा रहे हैं। भीड़ के बावजूद यहां मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल नहीं रखा जा रहा है। गौरतलब है कि देश के कुछ राज्यों में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं जिससे तीसरी लहर की आशंका मजबूत हो रही है।