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2018 Election News इवीएम आने से चुनाव हुए निष्पक्ष, लेकिन राजनेताओं में सेवाभाव हुआ कम

locationछतरपुरPublished: Sep 13, 2018 01:44:02 pm

Submitted by:

Samved Jain

मैं शिक्षक,हर पाठ में आईना:

Chhatarpur

Chhatarpur

छतरपुर। पहले चुनाव मतपत्र से होते थे, मतपत्र को ड्रम में डालकर मिलाया जाता था, फिर 25-25 मतों की गड्डी बनाई जाती थी,इन गड्डियों की ढाई से तीन दिन तक गिनती चलती थी। प्रत्याशी के एजेंट मौजूद रहते थे, दबंग किस्म के एजेंट गिनती करने वाले मास्टरों पर दबाव बना लेते थे। मैने कई चुनाव कराए हैं, जब एजेंटों के दबाव में हेरफेर हो जाती थी। मत कैंसिल कराकर हेर-फेर हो जाते थे। लेकिन जबसे इवीएम आई है,तबसे चुनाव प्रक्रिया अधिक निष्पक्ष हो गई है। अब मतों की गिनती न केवल जल्दी हो जा रही है, बल्कि निष्पक्षता से मतगणना हो रही है। मतो की गणना में गड़बड़ी सौ प्रतिशत खत्म हो गई है। ये अलग बात है कि हारने वाले लोग इवीएम मशीन में ही गड़बड़ी का आरोप लगाने लगते हैं। जबकि मेरे द्वारा कराए गए चुनाव में ऐसा कभी हुआ ही नहीं है। मैने दोनों तरीके से चुनाव और मतगणना कराई है।
योजना उपयोगिता देखकर नहीं बन रहीं :
पहले के राजनेता सेवाभावी होते थे, उनका ध्यान जनसमस्याओं पर होता था,उस समय चुनाव के खर्च भी कम थे,इसलिए नेता धन के बजाए काम कराने पर ध्यान देते थे। लेकिन आजकल चुनाव के खर्च बहुत ज्यादा हो गए हैं। राजनेता खर्च बढऩे के कारण जीतने के बाद उपयोगी काम कराने के बजाए बजट वाले काम पर ध्यान देते हैं। सभी क्षेत्रों में मूल्यों की गिरावट आई है, उसी तरह से राजनीति में भी सेवाभाव में गिरावट आ गई है। उदाहरण के लिए बड़े तालाब के चारों ओर चबूतरे बनाए जा रहे हैं, जबकि वहीं नर्मदेश्वर मंदिर के पास पुराना वृक्ष है,महिलाएं सि वृक्ष की पूजा करने बड़ी संख्या में आती हैं। इस वृक्ष का चबूतरा खराब हो गया है, लेकिन उस ओर किसी का ध्यान नहीं है। जिला अस्पताल के लिए पांच मंजिला भवन बनकर तैयार है, लेकिन इसी से लगा हुआ डाक विभाग का पुराना भवन खंडहर हो गया है,डाकघर की इस जगह का जनता के लिए कोई उपयोग की योजना ही नहीं बनाई गई है,बस खंडहर पड़ा है। यही अंतर आया है ,पहले के राजनेताओं के सेवाभाव और आज के नेताओं के कर्मो में। आजकल के नेता, विधायक, गुटबाजी और अपना उल्लू सीधा करने में लगे हुए हैं। जनता के उपयोग का काम कम कराते हैं,वे वही काम ज्यादा कराते हैं,जिनमें बजट ज्यादा हो और उनका काम सीधा होता हो। अब काम ज्यादा होने लगे हैं, लेकिन काम की उपयोगिता और गुणवत्ता लगातार घट रही है।
काम की संख्या बढ़ी लेकिन गुणवत्ता घटी :
वर्तमान राज्यमंत्री ललिता यादव जब नगरपालिका अध्यक्ष थी, उस समय उनके द्वारा पूरे शहर में सड़कें बनवाई गईं,काम की क्वालिटी इतनी थी कि वे सड़कें आज भी चल रहीं हैं। पहले के विधायकों और राजनेताओं में सेवाभाव था। आज वहीं ललिता यादव राज्यमंत्री हैं,लेकिन आजकल जो छतरपुर विधानसभा इलाके में काम हो रहे हैं,उनकी गुणवत्ता प्रभावित हुई है। काम जरूर बहुत हो रहे हैं, लेकिन किसी भी काम की गुणवत्ता सही नहीं रहती है। कुल मिलाकर कहा जाए तो मूल्यों का पतन हर जगह हुआ है। उदाहरण के लिए पहले गुुरू शिष्य में जो भावना होती थी, आज वो भावना देखने को भी नहीं मिलती है। आज के छात्र पढऩा नहीं चाहते हैं,स्कूल आते हैं,लेकिन हाजरी लगाने के बाद ज्यादतर भाग जाते हैं। नंबर वन हो या नंबर टू स्कूल, पहले पीरियड के बाद छात्र बाउंड्रीवॉल फांदकर भागते नजर आ जाते हैं। छात्र पढऩा नहीं चाहते, दूसरी ओर शिक्षक पढ़ाना नहीं चाहते हैं। गलती छात्रों की नहीं है,न ही सिर्फ शिक्षकों की,दोनों पक्षों में मूल्यों की कमी आई है,ठीक उसी तरह राजनेताओं में सेवाभाव गिरा है। इसमें भी सिर्फ राजनेता दोषी नहीं है, वोट देने वाले भी मुद्रा और भौतिकता पर जोर दे रहे हैं। चुनाव का पहले खर्च कम होता था,अब चुनाव लडऩे में 4 से 5 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं,इसलिए चुनाव जीतने वाले सेवाभाव के बजाए धनभाव पर ध्यान देने लगे हैं। मूल्यों में पतन का असर हर वर्ग,हर समाज,हर स्तर पर हुआ है।
नंद किशोर श्राप (नंदी मास्साब)
जन्म- 3 अगस्त 1951
नौकरी में आए- 6 सितंबर 1973
सेवानिवृत्त – 31 अगस्त 2013
अपलब्धि- जरूरतमंद बच्चों को न केवल पढ़ाया बल्कि अपने खर्च पर संसाधन भी उपलब्ध कराते थे।
ुपहचान-शाला विकास समिति में रहते हुए नबंर वन और टू स्कू ल में निर्माण कार्य स्वीकृत बजट से चौथाई खर्च में गुणवत्ता के साथ कराने के लिए गणित के शिक्षक नंदी मास्साब के नाम से विख्यात हैं।
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