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इंजीनियर-डॉक्टर भाइयों ने कराई गरीब आदिवासी बिटिया की शादी

locationछतरपुरPublished: May 18, 2022 09:53:51 am

Submitted by:

Dharmendra Singh

बतौर नौकर बच्चों की करती थी देखभालशादी की उम्र हुई तो मालिक के परिवार ने निभाया धर्म

शादी की उम्र हुई तो मालिक के परिवार ने निभाया धर्म

शादी की उम्र हुई तो मालिक के परिवार ने निभाया धर्म


ह्यूमन एंगल

छतरपुर। सेवा और सेवक का भाव मालिक को न सिर्फ प्रभावित करता है बल्कि जब सेवा निष्ठा और लगन से की जाए तो मालिक भी अपना धर्म निभाने से कतई संकोच नहीं करता। ऐसे ही एक सेवक आदिवासी की बिटिया की शादी में भदौरिया परिवार के पेशे से इंजीनियर और डाक्टर भाइयों ने पारिवारिक सदस्यों का धर्म निभाया है। दोनों भाइयों के पिता ने कन्यादान तो किया ही एक पिता की तरह अन्य रश्में भी निभाकर समाज में अनूठी मिशाल पेश की है।
पन्ना जिले के अमानगंज क्षेत्र के सुदूर ग्राम महुआडांणा में रहने वाले गुठालु आदिवासी और अम्मी आदिवासी की 8वें नंबर की संतान रश्मि (सीता) का विवाह छतरपुर मुख्यालय से 40 किमी दूर गुलगंज के पास पिपरिया गाँव के मोहन सिंह राजगौड़ के बेटे के साथ सम्पन्न हुई। बिटिया रश्मि उर्फ सीता कुछ वर्षों से छतरपुर शहर के हृदय रोग विशेषज्ञ एवं केन मेडीकल सेंटर के संचालक डॉ. शैलेन्द्र भदौरिया के दिल्ली स्थित निवास में उनके बच्चे की देखभाल करती थी। गुठालु का परिवार मजदूरी करके ही अपने परिवार का पेट पालता है। 10 बच्चों का परिवार पालना इतना आसान भी नही था लिहाजा उनकी बेटी रश्मि ह्दय रोग विशेषज्ञ डॉ. शैलेंद्र भदौरिया के बच्चों की देखभाल करने लगी। अब जब सीता की शादी की बात आई तो गुठालु और उंसके परिवार ने डॉक्टर शैलेन्द्र भदोरिया को बताया। डॉ. भदौरिया और उनके परिवार ने तनिक भी देर किए आदिवासी बिटिया की शादी का बीड़ा उठाया।
दूल्हे की तलाश में स्वयं दिखाई परिवार ने रूचि
केन मेडीकल सेंटर के संचालक ह्दय रोग विशेषज्ञ डॉ. शैलेंद्र भदौरिया ने अपने अग्रज पेशे से इंजीनियर योगेन्द्र भदोरिया और पिता से बात की। भदौरिया परिवार ने आपसी सहमति बनाई और विवाह में सहयोग करने का बीड़ा उठा लिया। बता दें कि भदोरिया भाईयों का ननिहाल गुलगंज में है लिहाजा इस पुनीत कार्य में उनके मामा कृष्ण प्रताप उर्फ कृष्णा दाऊ ने भी सहयोग किया और दूल्हे की तलाश शुरू की। उन्होंने पिपरिया निवासी मोहन सिंह के छोटे बेटे के साथ शादी की चर्चा शुरू की। औपचारिक रूप से वर-वधू ने एक दूसरे को देखा और रिश्ता पैराडाइस कॉलोनी स्थित डॉ. शैलेंद्र भदोरिया के निवास पर तय हो गया।
एक भाई ले गए लगन, पिता ने निभाई अन्य रश्में
डॉक्टर शैलेन्द्र भदौरिया के बड़े भाई योगेंद भदौरिया ने आदिवासी बिटिया की शादी के लिए लगन लेकर जाना तय किया। तत्पश्चात डॉक्टर भदोरिया और उनके पिता ने शादी में अन्य सभी वे महत्वपूर्ण रश्में निभाई जो एक पिता को अपनी बेटी की शादी में निभाई पड़ती है। आदिवासी बेटी का विवाह गुलगंज के निकट स्थित चौपरिया सरकार सिद्ध स्थान में संपन्न कराया गया। इस मौके पर टीका, बेला, चढ़ाव आदि सभी रश्में भदौरिया परिवार ने मंत्रोच्चार और हवन करवाकर सम्पन्न कराई। विदाई में बिटिया को रोजमर्रा की जरूरतों का सामान भी दिया गया। इस शादी में गुलगंज के सेंगर परिवार और चौपरिया सरकार मंदिर के पंडित जी का विशेष सहयोग रहा।

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