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जबलपुर की घटना के बाद भी नहीं चेत रहे शहर के अस्पताल संचालक

locationछतरपुरPublished: Aug 19, 2022 05:22:33 pm

Submitted by:

Unnat Pachauri

किसी भी अस्पताल में नहीं है आग से निबटने के पुख्ता इंतजाम, जिला अस्पताल में स्थित फायर सिस्टम का नहीं कराया रहा मेंटेनेंस

जबलपुर की घटना के बाद भी नहीं चेत रहे शहर के अस्पताल संचालक

जबलपुर की घटना के बाद भी नहीं चेत रहे शहर के अस्पताल संचालक

छतरपुर. शहर में कुल २२ निजी अस्पतालों में से कुछ के पास में ही फायर सेफ्टी क्लीयरेंस हैं बाकी बिना फायर सेफ्टी संचालित किए जा रहे हैं और इन पर कार्रवाई की आंच भी नहीं आ रही है। जिससे ऐसे अस्पताल मरीजों के जान जाखिम में डाल रहे हैं। शहर में एक दर्जन से अधिक अस्पताल हैं जहां पर फायर सेफ्टी नहीं हैं और इसके लिए न तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा पहले कभी गौर किया और न ही नगर पालिका द्वारा। जिससे नियमों की अनदेखी करते अस्पताल का संचालन जारी है।
लंबे समय से सरकार के निर्देशों के बावजूद अस्पतालों के सुरक्षा प्रबंध से जुडे निर्देशों को फाइलों में दबा रखा है। फायर सुरक्षा की कमियों के कारण ही जबलपुर के न्यू लाइफ अस्पताल में आग लगने से दस मरीजों की मौत हो गई। इस घटना के बाद एक बार फिर सुरक्षा प्रबंध को लेकर बैठके होने लगी है। अस्पतालों में फायर और इलेक्ट्रिकल एनओसी को लेकर विभाग द्वारा पत्र जारी कर जानकारी मांगी जा रही है। जिसमें तीन अस्पतालों के अलावा किसी भी अस्पताल द्वारा नोटिस का जवाब नहीं दिया गया। हालात बिना एनओसी वाले अस्पताल संचालकों द्वारा घटना के बाद फायर और इलेक्ट्रिकल एनओसी के लिए कागजी कार्रवाई की जा रही है और जुगाड़ की एनओसी के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
वहीं अस्पतालों में इंतजाम नहीं होने और प्रदेश में घटना होने के बाद भी विभाग या नगर पालिका द्वारा जांच करना भी मुनासिब नहीं समझा जा रहा है।
सरकारी में भी नहीं हैं इंतजाम
शहर में स्थित २२ में से तीन चार अस्पतालों के पास में ही एनओसी है, जिसमें भी फायर सेफ्टी के मानकों को पूरा नहीं किया है, लेकिन जुगाड़ की एनओसी मिल गई है। वहीं निजी के साथ सरकारी अस्पतालों में भी आग की घटनाओं से निबटने के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। हालात हैं कि जिला अस्पताल में आग से निबटने के लिए कई फायर सिस्टम हैं लेकिन लम्बे समय से मैंटीनेंस नहीं कराया गया। जिससे वह कब धोका दे जाएं कह नहीं सकते। वहीं इसके साथ की टीवी अस्पताल, सीएचसी, पीएचसी में भी आग की घटनाओं से बचाव के लिए कोई इंतजाम नहीं हैं।
प्रदेश में हो चुकीं हैं कई घटनाएं
जबलपुर व भोपाल के अस्पताल के अलावा राज्य के शिवपुरी, सतना, जबलपुर में भी आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं। इन घटनाओं के बाद सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञों की समितियों ने अलग-अलग जगह के लिए अलग-अलग सिफारिशें की थीं। यह सिफारिश भी की गई थी कि प्रत्येक अस्पताल के एसएनसीयू में आपातकालीन द्वार होना चाहिए, लेकिन अधिकतर अस्पतालों में इस पर अमल नहीं हुआ। 10 साल से ज्यादा पुराने एसी नहीं लगाने की सिफारिशें भी हुईं थीं, लेकिन इस पर भी अमल नहीं हुआ। सबसे बड़ी बात यह कि नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड में अस्पतालों में अर्थिंग जांचने के लिए एक मशीन होनी चाहिए, पर किसी जिले के अस्पताल में यह नहीं है।
इनका कहना है
हमने जिले के सभी निजी अस्पतालों में पत्र भेजकर फायर सहित इलेक्ट्रिकल एनओसी की जानकारी मांगी है। जिनमें से कुछ की ही जानकारी आई है। बाकी की जानकारी नहीं आने पर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।
अनूप त्रिपाठी, प्रभारी निजी अस्पताल प्रबंधन

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