पत्रिका ने खजुराहो क्षेत्र के टपरन गांव में रहने वाले किसान पप्पू कुशवाहा से हकीकत जानने चर्चा की। किसान पप्पू कुशवाहा ने बताया कि अधियां पर ली जमीन से इतना लाभ नहीं निकल पाता कि पूरी साल का खर्चा निकाला जा सके। मौसम की मार से कई बार नुकसान भी झेलना पड़ता था। इसीलिए फसल के साथ-साथ खेत के कुछ हिस्सों में मौसम के अनुसार सब्जियां भी लगाते रहते हैं, जिससे खर्च चलता रहे। इस बार हालत खराब हैं। फसल में नुकसान नहीं हैं, लेकिन अन्य कोई काम और सब्जी में नुकसान होने के कारण उनका बजट पूरी तरह बिगड़ गया हैं।
किसान के अनुसार लॉकडाउन का असर है। इसके कारण खेतों में लगाई गई सब्जियों के खरीदार नहीं मिले। जिससे दो महीने के राशन का नुकसान हुआ। जबकि अन्य कोई काम नहीं होने के कारण दो महीने की आजीविका बमुश्किल चल सकी। सरकारी मदद भी उन्हें नहीं मिली। जिसकी जमीन हैं उसके लिए सरकार मदद करती हैं। पेंशन से लेकर, बीमा राशि व अन्य जमीन मालिक किसान के पास पहुंचता हैं। उन्हें कुछ भी नहीं मिला। ब’चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं, इससे उनकी शिक्षा पर तो कोई असर नहीं रहा, लेकिन मोबाइल इंटरनेट नहीं होने से उन्हें ऑनलाइन शिक्षा से नहीं जोड़ पाया।
किसान पप्पू कुशवाहा के अनुसार गांव के ही साहूकारों से कर्ज लिया हुआ हैं। जिसका ब्याज भी हर महीने भरना होता है। वह भी दो महीनों से अटका हैं। अब फसल से ही उम्मीद हैं। अ’छी रही तो दाम मिलेगा। इसके बाद ही कर्ज चुक सकता हैं। हालांकि, ब्याज ही इस साल की फसल से निकलना मुश्किल है। किसान के अनुसार लॉकडाउन के कारण प्रभावित हुए काम की भरपाई अब साल भर मजदूरी करके ही की जाएगी।