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केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय पहुंची हीरा खदान की फाइल, एनओसी मिलते ही शुरु होगा हीरा खनन

locationछतरपुरPublished: Feb 08, 2021 06:11:49 pm

Submitted by:

Dharmendra Singh

केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति के बाद जिले में शुरु होगा हीरे का उत्खननके न्द्रीय पर्यावरण की एनओसी न मिलने से रियो टिंटो को छोडऩा पड़ा कामबिडला ग्रुप ने रकवा घटाकर बनाया माइनिंग प्लान, ताकि वन क्षेत्र में मिल सके हरी झंड़ी

एनओसी न मिलने से रियो टिंटो को छोडऩा पड़ा काम

एनओसी न मिलने से रियो टिंटो को छोडऩा पड़ा काम

छतरपुर। बक्स्वाहा में लगने वाली एशिया के सबसे कीमती जैम क्वालिटी के हीरे की खदान 2022 में शुरू करने की दिशा में तेजी से काम चल रहा है। लगभग 60 हजार करोड़ रूपए की इस खदान में उत्खनन की मंजूरी मप्र सरकार ने बिरला गु्रप को दी है। बिरला गु्रप उत्खनन के पहले सभी अनुमतियों को हासिल करने में जुटा है। छतरपुर जिला खनिज विभाग से सभी अनुमतियां लेने के बाद अब पर्यावरण मंजूरी की स्टेज-वन की प्रक्रिया भी पूरी कर ली है। स्टेज वन क्लीयरेस के लिए वन विभाग ने वन भूमि व पेड़ों का सर्वे कराकर क्षतिपूर्ति का निर्धारण कर लिया है। फस्र्ट स्टेज की क्लीयरेंस मिलने के बाद केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय से एनओसी की प्रक्रिया की जाएगी। केन्द्रीय एनओसी मिलते ही जिले में हीरा खनन का काम शुरु हो जाएगा।
केन्द्रीय पर्यावरण की अनुमति न मिलने से रियो टिंटो हुई आउट
रियो टिंटों ने बक्स्वाहा के बंदर हीरा प्रोजेक्ट के माइनिंग प्लान में करीब 1 हजार हेक्टेयर भूमि का माइनिंग प्लान तैयार किया गया था। जिसमें हजारों की संख्या में पेड़ काटे जाने थे। जिसमें टाइगर रिजर्व का हिस्सा भी शामिल था। इन्हीं कारणों से रियो टिंटों को कई वर्षो तक केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय से एनओसी नहीं मिल पाई। जिससे खनन शुरु नहीं हो पाया और अंतत रियो टिंटो को काम छोडऩा पड़ा। वहीं बिड़ला ग्रुप ने माइनिंग प्लान में कम से कम एरिया रखते हुए 364 हेक्टेयर का माइनिंग प्लान दिया है, जिससे पुराने माइनिंग प्लान की अपेक्षाकृत कम क्षति होगी। ऐसे में पर्यावरण अनुमति का अवसर नजर आ रहा है। कंपनी को पर्यावरण की अनुमति मिलने के बाद ही हीरा का खनन शुरु होगा।

पर्यवारण स्वीकृति में देरी के कारण रियोटिंटो ने खींचे थे हाथ
आस्ट्रेलियाई कंपनी रियो टिंटो ने बंदर प्रोजेक्ट को शुरू किया था। सर्वे के बाद उन्होंने प्रोस्पेक्टिंग लीज हासिल करके हीरों का भंडार पाया। 2003 से लेकर 2016 तक कंपनी लगातार अलग-अलग चरणों में काम करती रही। कंपनी खनन लीज हासिल करना चाह रही थी, लेकिन भारत सरकार से पर्यावरणीय स्वीकृत नहीं मिलने के कारण रियोटिंटो ने प्रोजेक्ट से हाथ खींच लिए थे। तब भी से प्रोजेक्ट बंद है। अब एक बार फिर कांग्रेस सरकार हीरा खनन परियोजना के लिए निवेशक की तलाश कर रही है ताकि प्रोजेक्ट को शुरू किया जा सके।
माइनिंग प्लान पहले ही हो चुका है मंजूर
इंडियन ब्यूरो ऑफ माइन्स (आइबीएम) के क्षेत्रीय कार्यालय जबलपुर की टीम ने जुलाई माह के अंत में बंदर प्रोजेक्ट का दौरा किया था। भारतीय खान ब्यूरो जबलपुर के उप खान नियंत्रक, वरिष्ठ भूवैज्ञानिक के साथ ही बिडला ग्रुप के भूवैज्ञानिकों और जिला खनिज अधिकारी और राजस्व विभाग की टीम ने माइनिंग एरिया का प्राथमिक सर्वे किया था। बिडला ग्रुप, आईबीएम और खनिज विभाग के अधिकारी माइनिंग प्लान फाइनल करने से पहले दो से तीन बार और सर्वे किया। जिसके बाद प्लान को मंजूरी मिल चुकी है।
364 हेक्टेयर में लगेगी हीरा खदान
बक्स्वाहा में 364 हेक्टेयर वन भूमि पर हीरे का खनन होना है। वन विभाग से उक्त जमीन हासिल करने के लिए सरकार को राजस्व क्षेत्र की इतनी ही जमीन एवं इस पर लगे लाखों पेड़ों की कटाई का खर्च, पेड़ों की कीमत और नई जमीन पर पेड़ों को उगाने का खर्च वन विभाग को देना पड़ेगा। बक्स्वाहा के पास डायमंड खदान के बंदर प्रोजेक्ट के लिए बिड़ला ग्रुप के माइनिंग प्लान को इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस ने मंजूरी दे चुका है। बिड़ला ग्रुप वनभूमि के बदले जमीन देने और प्लांटेशन की प्रक्रिया करेगा, जिसके बाद वन विभाग की जमीन बिडला ग्रुप को खनन के लिए हैंडओवर की जाएगी।

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