राजनगर क्षेत्र में निरीक्षण के दौरान 4 खाद विक्रेताओं द्वारा निर्धारित दर से अधिक कीमत पर खाद बेचना पाया गया है। जिन पर कृषि विकास अधिकारी सह उर्वरक निरीक्षक ने थाना राजनगर में आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 तथा अधिक कीमत पर विक्रय, किसानों को रसीद न देना, गुमराह कर अन्य सामग्री जबरजस्ती विक्रय करना और उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 की धारा 3/7 एवं भा.द.वि. 1860 की धारा 420 के तहत व्यापारियों द्वारा धोखाधड़ी कर अधिक राशि लेने पर चार उर्वरक विक्रेता दिलीप गुप्ता, शंकर सेठ, अशोक कुमार गुप्ता और रामाधार गुप्ता राजनगर पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई।
उप सचालक कृषि तथा विभिन्न विकासखण्डों के उर्वरक निरीक्षक दलों एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा खाद की दुकानों की जांच की जा रही है। उप संचालक कृषि ने बडामलहरा गुलगंज क्षेत्र की विभिन्न दकानों पर किसानों को अपने समक्ष उचित मूल्य पर डीएपी का वितरण करवाया। इसी क्रम में बड़ामलहरा में एफएफडीसी उर्वरक केन्द का निरीक्षण किया गया। जिस दौरान एसपी त्रिपाठी बड़ामलहरा तथा जीडी कोरी वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी बकस्वाहा भी उपस्थित रहे। बिजावर क्षेत्र के गुलगंज में अभिलास पटेल वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी बिजावर द्वारा प्रभूदयाल असाठी खाद विक्रेता, एफएफ डीसी उर्वरक केंद्र एवं अन्य उर्वरक केन्दों पर किसानों को सही कीमत पर उर्वरक उपलब्ध कराया गया। राजनगर क्षेत्र में डॉ बी पी सूत्रकार सहायक संचालक द्वारा उर्वरक विक्रेताओं की दुकानों का लगातार निरीक्षण किया गया तथा प्रत्येक दुकानों में कृषि विभाग के अधिकारी तैनात कर किए गए हैं।
नौगांव विकास खण्ड में एस के मिश्रा वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी द्वारा आईपीएल कंपनी के गोदाम का निरीक्षण किया गया तथा सांयकाल राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा नौगांव के गर्रोली ग्राम में पहुंचकर उर्वरक विक्रेताओं का निरीक्षण किया गया एवं किसानों से उर्वरक के कीमत की जानकारी ली गई। छतरपुर में एसपी कारपेन्टर वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी द्वारा अपने दल के साथ छतरपुर में लगातार निरीक्षण किया गया। इसी क्रम में नौगांव रोड पर इफको बाजार में किसानो की लाइन लगवाकर सही कीमत पर उर्वरक का वितरण कराया गया। उपसंचालक कृषि मनोज कश्यप का कहना है कि किसानों को डीएपी के स्थान पर एनपीके उर्वरक एवं सुपर फस्फेट कम्पेल्क्स का भी संतुलित मात्रा में उपयोग करना चाहिए।
जिले में डीएपी खाद के संकट के बीच रेलवे की रैक का सभी को इंतजार है। एक-दो दिन में डीएपी की रैक आने वाली है, जिससे डीएपी की कमी फिलहाल दूर हो जाएगी, लेकिन इस साल भी डीएपी बिना सैंपल जांच रिपोर्ट ही खेतों में खप जाएगी। रैक से खाद का सैंपल लेकर जांच के लिए उज्जैन भेजा जाएगा। जिसकी रिपोर्ट 15 दिन में आएगी, लेकिन तब तक डीेएपी खेतों में खप जाएगी। इसी तरह के संकट के बीच वर्ष 2019 में 6 करोड़ रुपए की 2500 मीट्रिक टन खाद खेतों में डलने के बाद अमानक रिपोर्ट आई थी, जिसका नुकसान किसानों को भुगतना पड़ा।
वर्ष 2019 में 17 अक्टूबर को जिले में रबी सीजन के लिए आई 2600 टन डीएपी की सैंपल जांच रिपोर्ट 13 नवंबर को अमानक आई। रिपोर्ट आने के पहले अमानक खाद को जिले के 7 सेंटर्स में बिक्री व भंडारण के लिए रखा गया, जहां से कृषि विभाग ने डीएपी का सैंपल उज्जैन की लैब में जांच के लिए भेजा था। लैब परिक्षण के बाद 13 नवंबर को जांच रिपोर्ट आई जिसमें खाद को अमानक बताया गया, लेकिन इसके पहले ही 2521 टन खाद जिले में खप चुकी थी। बैच की 2600 टन में से महज 78.41 टन खाद ही बची थी, जब इस बैच की बिक्री पर रोक लगाई गई। सिर्फ सैंपल जांच रिपोर्ट में देरी के चलते किसानों के 6 करोड़ रुपए बर्बाद हो गए थे। खाद के 6 करोड़ के अलावा बीज, जुताई आदि में लगा खर्च भी बेकार हो गया था।
खाद अमानक है तो उसमें किस रसायन की कमी है, या किस गलत रसायन का उपयोग किया गया है, यह विश्लेषण का विषय है। डीएपी में 46 प्रतिशत फास्फोरस होता है जो पौधों और जड़ों की वृद्धि के लिए लाभदायक होता है। यदि खाद अमानक है तो पौधों और जड़ों की वृद्धि प्रभावित होगी, जिससे उत्पादन में भी कमी आएगी। यह ऐसी खाद है जिसे बोबनी के समय ही उपयोग किया जाता है, इसको ऊपर से छिड़काव करने का कोई लाभ नहीं होता है।
डॉ. केएस यादव, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक