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डेंगू से शहर में पहली मौत, पांच दिन तक जिंदगी के लिए हर पल लड़ता रहा संजय

locationछतरपुरPublished: Sep 23, 2018 11:08:03 am

Submitted by:

rafi ahmad Siddqui

प्रशासन के हांथ-पांव फूले, पूरे शहर में उतारी टीमें, पिछले साल मिले थे चार पीडि़त

Dengue larva survey with the help of Anganwadi workers

Dengue larva survey with the help of Anganwadi workers

धर्मेंद्र सिंह
छतरपुर। जिले में धीरे-धीरे पैर पसार चुके डेंगू ने कहर बरपाना शुरु कर दिया है, शुक्रवार को डेंगू ने एक जान ले ली। पिछले पांच दिनों से मेडिकल कॉलेज झांसी और रामराजा हॉस्पिटल में पीडि़त का इलाज चल रहा था,लेकिन तबीयत दिन पर दिन बिगड़ती चली गई। परिवार के लोग दिन रात एक किए हुए थे, पानी की तरह पैसा खर्च किया,डेंगू पीडि़त युवा हर सांस के साथ जिंदगी की आस लिए जूझता रहा,लेकिन हालत सुधरने का नाम ही नहीं ले रही थी। झांसी में राहत नहीं मिली तो जान बचाने के लिए शुक्रवार को दिल्ली के लिए रवाना हुए। लेकिन डेंगू के आगे जिंदगी हार गई,पीडि़त ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। पीडि़त की मौत से पूरा परिवार सदमें है। बेटे की मौत से पिता टूट गए हैं। इधर मौत की सूचना मिलते ही प्र्रशासन के हांथ-पांव फूल गए।
डेंगू के आगे हार गई जिंदगी :
जिला मुख्यालय का चौबे कॉलौनी पॉश इलाका माना जाता है। इसी कॉलौनी में एसवीएन कॉलेज के पास रहने वाले सुरेश तिवारी के बेटे संजय की 6 दिन पहले तबीयत बिगड़ी तो उन्हें इलाज के लिए जिला अस्पताल लाया गया। लेकिन तबीयत में सुधार नहीं हुआ, तो परिवार वाले फौरन संजय को झांसी मेडिकल कॉलेज ले गए,जहां इलाज शुरू किया गया, लेकिन हालत सुधरने के बजाए बिगड़ती ही जा रही थी। झांसी के डॉक्टर पीके जैन ने जांच की तो पता चला कि संजय को डेंगू है। संजय को उसके पिता तुरंत रामराजा हॉस्पिटल ले गए। डेंगू के कारण संजय के ब्लड के प्लेटलेट्स लगातार गिर रहे थे। डॉक्टर ने प्लेटलेट्स और ब्लड की जरूरत बताई। पिता ने जैसे-तैसे 4 बोतल ब्लड और 2 जंबो बॉटल व 2 छोटी बॉटल प्लेटलेट्स की व्यवस्था की। डॉक्टरों ने संजय को ब्लड और प्लेटलेट्स चढ़ाए। लेकिन पिता और डॉक्टरों की कोशिश रंग नहीं ला रही थी,संजय की हालत सुधरने का नाम ही नहीं ले रही थी,डॉक्टरों ने संजय को तुरंत दिल्ली ले जाने की सलाह दी। संजय के पिता अकेले थे, लेकिन फिर भी एंबुलैंस की मदद से बेटे को दिल्ली ले जाने के लिए शुक्रवार को रवाना हुए। पिता की हर सांस बेटे की जिंदगी की दुआ मांग रही थी, झांसी से दिल्ली का सफर मानो काटे ही नहीं कट रहा था, उधर संजय की हर सांस के साथ आंखे बोझिल होती चली गई। ऑक्सीजन के सहारे एंबुलैंस में लेटा संजय आगरा पहुंचा ही था, कि डेंगू के आगे जिंदगी ने हार मान ली। संजय की सांस और पिता की आस टूट गई, संजय इस दुनिया से चला गया। डेंगू ने एक पिता से जवान बेटे को छीन लिया।
प्रशासन में हड़कंप :
पिछले तीन दिन से संजय को तलाश रही मलेरिया विभाग की टीम को उसकी मौत की सूचना मिली तो उनके हांथ-पांव भूल गए। आनन फानन में शहर के 40 वार्डो में टीमें उतारी गई है। पीडि़त के घर से लगे 140 घरों में लार्वा की जांच के साथ ही पूरे शहर में एंटी लार्वा अभियान शुरु किया गया है। जिले में फिलहाल डेंगू के दो मामले सामने आए थे, जिनमें से एक संदिग्ध माना जा रहा था,दूसरे केस में मौत के बाद से हड़कंप मच गया है। डेंगू जैसी जानलेवा बीमारी से मौत का ये पहला मामला है।
पिछले साल चार मामले आए थे सामने :
पिछले साल जिले में डेंगू के 4 मामले सामने आए थे, हालांकि गनीमत ये रही कि कोई जनहानि नहीं हुई थी। डॉक्टरों के अनुसार अभी तक जितने भी डेंगू के मामले आते रहे हैं, वे सभी ऐसे केस थे, जो बाहर से डेंगू का शिकार होकर आए थे। जिले के अधिकांश लोग दिल्ली सहित अन्य महानगरों में रोजगार के लिए जाते हैं। ऐसे में कई बार मजदूर डेंगू मच्छर के संपर्क में आ जाते हैं। अभी तक जो केस आए वे सब बाहर से ही डेंगू पीडि़त होकर आए थे। शहर के युवक की मौत के बाद अब स्थानीय स्तर पर डेंगू के बारे में पड़ताल की जा रही है।
बुखार होते ही तुरंत जांच कराकर डॉक्टर को दिखाएं:
डेंगू का मच्छर साफ पानी में पनपता है, ज्यादातर घरों में कूलर, गमलों और बर्तनों में भरा पानी एक हफ्ते से ज्यादा समय तक चैंज नहीं किया जाता है। डेंगू मच्छर के लार्वा से 8वें दिन मच्छर जन्म लेता है। इन आठ दिनों के पहले जमा पानी हटा दिया जाए तो डेंगू का मच्छर जन्म ही न ले। लेकिन जरा सी लापरवाही कभी-कभी भारी पड़ जाती है। इसलिए बुद्धिमानी इसी में है कि ज्वर अगर तीन-चार दिन से हो रहा है तो तुरन्त डॉक्टर के पास जाएं और अपने रक्त की जाँच करवाएंं। इससे समय रहते ही आप डेंगू के रोग के प्रकोप से खुद को बचा पाएंंगे।
– डॉ. एचपी अग्रवाल, चिकित्सक
हाईअलर्ट किया जारी :
पीडि़त कुछ दिनों के लिए बाहर गया हुआ था,उस दौरान ही उसके डेंगू से पीडि़त होने की संभावना है। मेडिकल रिपोर्ट देखने के बाद ही पूरे मामले की हकीकत समझ आ पाएगी। फिलहाल टीम को हाईअलर्ट किया गया है। चौबे कॉलौनी समेत शहर के 40 वार्डो में टीमें उतारकर एंटी लार्वा अभियान शुरू किया गया है। बेहद गंभीरता के साथ जरूरी सारे कदम उठाए जाएंगे।
– डॉ.एसएस चौरसिया, जिला मलेरिया अधिकारी
यह है डेंगू के कारण :
डेंगू महामारी एक ऐसी बीमारी है जो पहले तो सामान्य ज्वर की तरह ही लगता है मगर इसका प्रभाव शरीर पर बहुत भयानक रूप से पड़ता है। अगर इसका इलाज सही तरह से नहीं किया गया तो मृत्यु की आशंका भी हो सकती है। डेंगू मलेरिया की तरह मच्छर के काटने से होता है। डेंगू का वायरस एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। डेंगू का बुखार ज़्यादा से ज़्यादा दो हफ़्ते तक रहता है। यह रोग साधारणत: उष्णकटिबंधीय इलाकों में ही होता है। इस रोग का पनपना जून के महीने से शुरू होता है और मॉनसून के महीने में अपना चरम प्रकोप दिखाना शुरू करता है। जो लोग शारीरिक रूप से संवेदनशील होते हैं या उनकी प्रतिरक्षा क्षमता कमजोर होती है, उनमें डेंगू रोग होने की संभावना ज़्यादा होती है। एडीज मच्छर के काटने से जो वायरस फैलता है वह शरीर को तभी प्रभावित करता है जब शरीर उससे लडऩे में असक्षम होता है। इस रोग से बच्चे से लेकर वयस्क सभी प्रभावित होते हैं विशेषकर बच्चे संवेदनशील होने के कारण ज़्यादा प्रभावित होते हैं। डेंगू के एडीज मच्छर दिन में काटते हैं, इसलिए दिन के समय भी मच्छर से खुद को बचाना ज़रूरी होता है।
डेंगू के लक्षण : डेंगू के प्रथम अवस्था के लक्षण ऐसे होते हैं जो साधारणत: रोगी के शरीर के मुताबिक होता है। लेकिन जब डेंगू के रोग की स्थिति बहुत गंभीर हो जाती है तब शरीर में कुछ और समस्याएं नजर आने लगती है।
शुरुआती लक्षण : बुखार का टेम्परेचर चढ़ जाता है। बुखार आने के वक्त ठंड लगने लगती है। सर में बहुत दर्द होना। मांसपेशियों या जोड़ों में बहुत दर्द होना। गिलटी में दर्द या सूजन होना। उल्टी होना, भूख न लगना।
डेंगू होने के बाद के लक्षण : ब्लडप्रेशर कम हो जाना, चक्कर आना शरीर में रैशज का होना। खुजली होना, कमजोरी होना, पेट में तेज दर्द होना, पेशीशूल, लीवर में फ्लूइड का जमा होना, सीने में फ्लूइड का जमा होना।रक्त में बिंबाणु का कम होना और रक्तस्त्राव आदि।
डेंगू रोग से बचने के उपाय :
यह रोग बरसात के मौसम में सबसे ज़्यादा फैलता है। यह रोग मच्छर के काटने से होता है इसलिए मच्छर को पनपने से रोकना ही सबसे महत्वपूर्ण उपाय होता है। अपने घर को साफ–सुथरा रखना चाहिए और कहीं भी जल को जमने नहीं देना चाहिए। चाहे वह कूलर का पानी हो या फूल के गमले का या बाल्टी का पानी हो, पानी को खाली करते रहना और साफ रखना चाहिए। घर के आस-पास के जगह को साफ–सुथरा रखना ज़रूरी होता है। डेंगू का बुखार से पीडि़त रोगी को जिस मच्छर ने काटा है उस मच्छर के काटने से डेंगू का वायरस फैलता है। इसलिए डेंगू से बचने का सबसे सरल और एकमात्र उपाय है मच्छर के काटने से बचना। इस रोग की सबसे बूरी बात यह है कि इसका कोई सटिक दवा, टीका या इलाज नहीं होता है। मास्कीटो रिपेलेंट के प्रयोग से भी कुछ हद तक मच्छरों से बचा जा सकता है।

 

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