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वन विभाग ने लगाया विवि के विकास में अड़ंगा, 180 एकड़ जमीन पर किया दावा

locationछतरपुरPublished: Nov 22, 2017 12:27:06 am

यूनिवर्सिटी को राजस्व विभाग द्वारा आवंटित की गई जमीन के कुछ हिस्से को वन विभाग द्वारा अपना बताया जा रहा है।

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Forest department halts the development of a university claims over 18

छतरपुर (रफी अहमद सिद्दकी). महाराजा छत्रसाल यूनिवर्सिटी को आंवटित की गई भूमि पर निर्माण कार्य शुरू होने से पहले ही जमीनी विवाद सामने आने लगे हैं। यूनिवर्सिटी को राजस्व विभाग द्वारा आवंटित की गई जमीन के कुछ हिस्से को वन विभाग द्वारा अपना बताया जा रहा है। जमीनी विवाद शुरू हो जाने से यूनिवर्सिटी का विकास अधर में लटक रहा है। यूनिवर्सिटी की इस जमीन पर जो कार्ययोजना शुरू होने जा रही थीं वह भी खटाई में पड़ गई हैं।
महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी छतरपुर को राजस्व विभाग द्वारा शहर के निकट बगौता मौजे में जो जमीन आवंटित की गई उस जमीन पर कब्जा किए जाने को लेकर यूनिवर्सिटी द्वारा तार फेंसिंग का काम २८ अक्टूबर को शुरू कराया गया था। तार फेंसिंग के काम की भनक वन विभाग को लग गई। तब वन विभाग के कर्मचारी मौके पर पहुंचे और जमीन को अपना बताते हुए काम बंद करा दिया। जिससे यूनिवर्सिटी द्वारा कराया जा रहा तार फेंसिंग का काम रुक गया। काम बंद कराए जाने व जमीन का कुछ हिस्सा वन विभाग द्वारा अपना बताए जाने के मामले को यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने संबंधित अधिकारियों को बताया। इसके बाद १३ नवंबर को यूनिवर्सिटी के कर्मचारी, राजस्व अमला व वन विभाग के कर्मचारी मौके पर पहुंचे। इस दौरान राजस्व विभाग द्वारा जो जमीन यूनिवर्सिटी को आवंटित की गई है, उसे सही बताया गया। जबकि वन विभाग ने जीपीएस से नापजोख कर इस जमीन पर कुछ हिस्सा अपना बताया। ऐसे में यूनिवर्सिटी का निर्माण शुरू होने से से पहले ही जमीनी विवाद शुरू हो गया है। यूनिवर्सिटी को जो जमीन आवंटित की गई है उसमें चार खसरा नंबरों की जमीन पर विवाद सामने आ रहा है। महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विवि के इंजीनियर द्वारिका प्रसाद चौबे ने बताया कि यूनिवर्सिटी को जो 418 एकड़ जमीन आवंटित हुई है उसमें से वन विभाग अपनी180 एकड़ जमीन बता रहा है। इस मामले को निपटाने के लिए वन विभाग के अधिकारियों से भी संपर्क किया गया है। साथ ही राजस्व विभाग के अधिकारियों को भी पत्र लिखा गया है। जीएसएस से नापजोख में जमीन में अंतर आ रहा है।अब कंपास व चेन से जमीन की नापजोख कराई जाएगी।
महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की स्थापना मप्र राजपत्र प्राधिकार से प्रकाशित क्रमांक २७९ भोपाल के तहत की गई थी। शिक्षण सत्र २०१५-१६ में सागर संभाग के छतरपुर, टीकमगढ़, सागर, पन्ना व दमोह जिले के शासकीय व निजी महाविद्यालय को संबद्ध कर शिक्षण कार्य शुरू किया गया। वर्तमान में यूनिवर्सिटी से तकरीबन डेढ़ सैकड़ा से अधिक शासकीय व निजी कॉलेज सम्बद्ध हैं।

 

यूनिवर्सिटी को आवंटित की थी 41 एकड़ जमीन
छतरपुर शहर को यूनिवर्सिटी की सौगात मिलने के बाद यूनिवर्सिटी के पास स्वयं का भवन न होने पर विश्वविद्यालय के कार्यालय का संचालन शहर के शासकीय महाराजा कॉलेज की बिल्डिंग में शुरू किया गया। हालांकि इसके बाद ढाई साल पहले बगौता मौजा में ४१८ एकड़ भूमि आवंटित करने की प्रक्रिया अमल में लाई गई थी। भूमि के आवंटन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद शहर से पांच किमी दूर स्थित बगौता मौजे में १६८.१८९ हेक्टेयर यानी ४१८ एकड़ आवंटित की गई। जमीन में चार जुलाई २०१६ व १० अगस्त २०१६ को दो चरणों में भूमि के सीमांकन का काम हुआ। इसके बाद यूनिवर्सिटी को आवंटित ४१८ एकड़ भूमि में से ३०३ एकड़ भूमि में निर्माण कार्य के लिए सर्वे लोक निर्माण एजेंसी द्वारा किया गया। यूनिवर्सिटी का स्वयं का भवन बनाने के लिए निर्माण एजेंसी पीआईयू द्वारा दिल्ली के आर्किटेक्चरों नक्शा तैयार कराया गया है। यूनिवर्सिटी प्रबंधन द्वारा भवन निर्माण के लिए शासन को डीपीआर भेज कर ११४ करोड़ रुपए की डिमांड की गई लेकिन यह रकम अभी तक शासन द्वारा स्वीकृत नहीं हो सकी। जिससे यूनविर्सिटी का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका।
औषधीय खेती का प्रस्ताव अटका अधर में
यूनिवर्सिटी द्वारा कुछ दिनों पहले विवि को आवंटित की गईभूमि के कुछ हिस्से में औषधीय खेती करने का खाका तैयार किया गया था।जिससे कि यूनिवर्सिटी के आय के नए श्रोत बन सकें। औषधीय खेती का प्रस्ताव विवि कार्यपरिषद की बैठक में रखा गया। प्रस्ताव पर चर्चाकरने के बाद विवि को औषधीय खेती करने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी गई। बावजूद इसके अब जमीन की स्थिति साफ न होने से यह प्रोजेक्ट अधर में लटक गया है।
168 यूनिवर्सिटी प्रबंधन द्वारा यूनिवर्सिटी को जो जमीन आवंटित की गईहै उसमें पहले चरण में १६८ एकड़ में तार फेंसिंग कराईजाना है। यूनिवर्सिटी के इंजीनियर द्वारिका प्रसाद चौबे ने बताया कि १६८ एकड़ यानी के लगभग नौ किमी के दायरे में तार फेंसिंग होना है लेकिन वन विभाग द्वारा जमीन अपनी बताई जाने से तार फेंसिंग का काम फिलहाल लटक गया है। अब जमीन की स्थिति साफ होने के बाद तार फेंसिंग का काम पूरा कराया जाएगा।
सर्वे में वन विभाग की निकल रही जमीन
कॉलेज जो जमीन आवंटित होने की बात कही जा रही है उन खसरा नंबर के आधार पर जमीन का कुछ हिस्सा वन विभाग का है। इस जमीन १३ तारीख को सर्वे भी कराया गया। सुबह दस बजे से लेकर शाम तक सर्वे किया गया। इस दौरान राजस्व विभाग के आरआई व पटवारी भी मौजूद थे। कक्ष क्रमांक पी-५६८ में यह जमीन जंगल की है। इसका प्रतिवेदन बना कर उच्चाधिकारियों को प्रेषित कर दिया गया है। चूंकि यूनिवर्सिटी का काम शासकीय है। उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। अब उच्चाधिकारियों के स्तर से ही निर्णय लिया जाएगा।
विनोद अवस्थी, रेंजर वन विभाग
जमीन की दोबारा होगी जांच
यूनिवर्सिटी को आवंटित की गई जमीन को राजस्व विभाग द्वारा सीमांकन कराया। इसके बाद वन विभाग इस जमीन को कुछ हिस्से को अपना बता रहा है। जमीन की नपाई पिछले दिनों कराई गई तो राजस्व विभाग ने जो आवंटित जमीन थी, उसे सही बताया लेकिन वन विभाग कुछ हिस्से को अपना बता रहा है। जमीन की दोबारा सही जांच कराने के लिए संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखा गया है।
डॉ. प्रियवृत शुक्ल, कुलपति, महाराजा छत्रसाल यूनिवर्सिटी छतरपुर
सुरक्षा व्यवस्था कर कब्जा करे विवि
यूनिवर्सिटी को जो जमीन आवंटित की गई है उस पर वन विभाग से कोई आपत्ति नहीं आई है। यूनिवर्सिटी अपनी बाउंड्रीवॉल बनवाए और अपना कब्जा करे। यदि कोई व्यावधान आएगा तो उसे दूर किया जाएगा। मौके पर जाकर यूनिवर्सिटी को कब्जा दिलाया जाएगा।

रविंद्र चौकसे, एसडीएम छतरपुर

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