scriptगीता ज्ञान, वैराग्य और भक्ति का संगम है: दीनबंधु | Gita is the confluence of knowledge, disinterest and devotion: Deenban | Patrika News

गीता ज्ञान, वैराग्य और भक्ति का संगम है: दीनबंधु

locationछतरपुरPublished: Jan 19, 2020 01:03:56 am

भागवत कथा

Gita is the confluence of knowledge, disinterest and devotion: Deenbandhu

Gita is the confluence of knowledge, disinterest and devotion: Deenbandhu

नौगांव. नगर के मौनी बाबा मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस कथा के माध्यम से बताया गया कि अगर जीवन जीना सीखना है तो रामायण से सीखो और मरना सीखना है, तो भागवत गीता से सीखो, त्रिवेणी संगम में गंगा, जमुना, सरस्वती का मिलन होता है, मिलन में गंगा जमुना तो दिखाई देती है। लेकिन सरस्वती को कोई नहीं देख पाता, सरस्वती को देखने के लिए कई बार प्रयास करने पड़ते हैं, लेकिन सफलता नहीं मिलती। इसी तरह गीता में विज्ञान, वैराग्य और भक्ति है। साथ कथा व्यास संत दीनबंधु दास महाराज ने नगर में तेजी से चल रहा पर्यावरण संरक्षण की तारीफ करते हुए वृक्षों से होने बाले लाभ के बारे में बताया इसके अलावा नारद संवाद, परीक्षित जन्म की कथा श्रवण कराई।
नगर के सुप्रसिद्ध मौनी बाबा मंदिर में चल रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद भागवत कथा के चलते मलूक पीठाधीश्वर डॉ. राजेंद्र दास देवाचार्य महाराज के परम कृपा पात्र संत दीनबंधु दास महाराज ने द्वितीय दिवस मोक्ष प्राप्ति की कथा के साथ नारद संवाद, परीक्षित जन्म के प्रसंग की कथा श्रवण कराई। कथा के मध्य में व्यास दीनबंधु दास ने पर्यावरण के संरक्षण के लिए नौगांव नगर में चल रहे कार्य की सराहना करते हुए वृक्ष को नक्षत्र के हिसाब से लगने के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि 27 नक्षत्र होते है प्रत्येक नक्षत्र का अपना-अपना अलग-अलग वृक्ष होता है। अगर व्यक्ति नक्षत्र के अनुसार अपने नाम से वृक्षारोपण करें, तो उसका पुण्य दोगुना हो जाता है। जो व्यक्ति 108 पीपल के वृक्ष लगा कर उनका पालन पोषण करें, तो उनके आने वाली सात पीढिय़ों में भी धन की कमी नहीं हो सकती। साथ ही प्रकृति के महत्व को बताते हुए कहा कि जो पृथ्वी पर वनस्पति है वो ईश्वर के रोम छिद्र हैं। इन्हें काटना ईश्वर को कष्ट देने के समान है। कथाव्यास ने कथा कि हमेशा मधुर मीठा बोलो, वाणी के सुर सुधार लो, जिस तरह कौवा दिन भर कांय कांय करता है लेकिन कोई नहीं सुनता, लेकिन जब कोयल बोलती है तो सब ध्यान से सुनते हैं, इसलिए कोयल बनो कौवा नहीं।
जीव का कल्याण भगवत भजन से होगा क्योंकि जीव का जन्म प्रभु की भक्ति के लिए हुआ है। प्रभु का भजन जो जीव नहीं करता है, पशु के समान होता है। अगर कल्याण चाहते हैं तो जन्म मरण के चक्कर से बचना चाहते हैं तो हरी भेजों, भगवान का भजन का भजन ही सार है बांकी सब बेकार है इसके अलाव ने कई प्रसंग सुनाए गए। मौनी बाबा मंदिर में दोपहर 1.30 बजे से शाम 6 बजे तक चल रही कथा में नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं, युवतिया सहित अन्य धर्मप्रेमी बंधु पहुंच रहे हैं।
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