भुगतान में देरी से मजदूर परिवारों के सामने संकट, एक दिन के राशन के लिए नहीं रुपए
छतरपुर•May 30, 2020 / 04:58 pm•
Sanket Shrivastava
Singrauli Collector issued notice to company CEO
छतरपुर. लॉकडाउन के कारण बाहर से लौटे जिले के प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने के लिए मनरेगा योजना के तहत पूरे जिले में काम कराए जा रहे हैं। इन कार्यो में मजदूरों को लगाकर रोजगार देने का उद्देश्य तो पूरा हो रहा है, लेकिन मजदूरों के सामने खड़े संकट का फौरी तौर पर समाधान नहीं हो पा रहा है। नियमों व शासकीय प्रक्रिया के चलते मजदूरों को 15 दिन बाद भुगतान मिल रहा है। जबकि लॉकडाउन की मार सह रहे इन मजदूरों के सामने परिवार के अन्य खर्चो का संकट खड़ा है। हालांकि शासन से इन्हे सरकारी राशन दुकान से राशन मिल रहा है। वहीं जिनके पास पात्रता पर्ची या बीपीएल कार्ड नहीं हैं, उन्हें 5-5 किलोग्राम गेहूं उपलब्ध कराया गया है। लेकिन अन्य जरुरत की चीजों के लिए रुपए की आवश्यकता के संबंध में इन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
मजदूरों से सप्ताह में 6 दिन काम कराया जा रहा है। सातवें दिन बिल बनाकर भुगतान के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को भेजा जाता है। सब इंजीनियर कार्य का भौतिक सत्यापन व अन्य प्रक्रिया करते हैं, इसके बाद भुगतान की राशि जारी होती है। लेकिन इस प्रक्रिया में ही एक सप्ताह का समय लगने से मजदूरों को आज के काम का भुगतान 15वें दिन मिल रहा है। सरसेड़ गांव में मनरेगा के तहत तालाब निर्माण के दो काम कराए जा रहे हैं। प्रत्येक काम में 18-18 लोगों को रोजगार दिया गया है। मनरेगा में काम कर रहे लखनलाल अहिरवार, रामकुमारी अहिरवार, केशर कोरी, सन्नू अहिरवार, सतीश अहिरवार, जयबाई अहिरवार, बेटी बाई अहिरवार ने बताया कि गांव लौटने पर काम तो मिल गया। लेकिन मनरेगा की मजदूरी का भुगतान मिलने में 15 दिन लगते हैं। सरकारी राशन मिला है, लेकिन अन्य खर्चे के लिए रुपए की आवश्यकता होती है। जो उन्हें गांव की दुकानों से उधार लेकर काम चलाना पड़ रहा है। मनरेगा का भुगतान मिलने पर उधार चुकाते हैं। इस तरह से मजदूरों का जीनव चल रहा है।