चरनोई जमीन की हो गई प्लॉटिंग, गौ-शालाओं में भी नहीं मिल रहा सहारा, शहर की सड़क पर आ गए गौ-वंश
छतरपुरPublished: Dec 04, 2022 05:01:00 pm
हर साल घट रही अनुदान प्राप्त गौ-शालाओं की संख्या, चरनोई भूमि नहीं होने से शहर में 3000 गौ-वंश घूम रहे बेसहारा
फोरलेन से लेकर मुख्य मार्गो पर हर दिन बन रहे दुर्घटना की वजह और शिकार, प्रशासन का समाधान बैठकों तक सीमित


चंद्रपुरा के पास फोरलेन पर मवेशियों का झुंड
छतरपुर। छतरपुर शहर में लगभग 3000 गौ-वंश सड़कों पर मारे-मारे घूम रहे हैं। उन्हें कोई सहारा नहीं है,क्योंकि उनका सहारा भू-माफियाओं ने छीन लिया है। गौ-वंश सड़कों पर रहते हैं, जिससे ट्रैफिक जाम और सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं। समान्य दिनों में भी लगभग 5 दुर्घटनाएं रोज हो रही हैं, जिससे इंसान घायल हो रहे हैं, कई बार जान भी जा रही है। गौ-वंश या तो घायल होक र जिंदगीभर के लिए अपाहिज हो जाते हैं, जिससे धीरे-धीरे उनकी मौत हो जाती है, या दुर्घटना के दिन ही मारे जाते हैं। ये नौबत इसलिए आई क्योंकि चरनोई की भूमि को धीरे-धीरे सरकारी रेकॉर्ड से ही गायब कर दिया गया। शासन के नाम दर्ज जमीन को किसी दूसरे के नाम दर्ज कराकर उसे बेचा और खरीदा गया, दान पत्र लिखकर बेचा गया या ट्रस्ट बनाकर बेचा गया। इधर,चरनोई के लिए आरक्षित जमीन का बंदबाट होने और गौ-शालाओं में सहारा नहीं मिलने के कारण गौवंश अपना पेट भरने के लिए शहर की सड़कों पर अपना डेरा जमाए हैं।