खुद बनाया शाकाहारी भोजन
्रखजुराहो में कफ्र्य लगने पर फांस की पर्यटक ऐलेना लेवल, ह़ॉलैंड के ईवन जोल्बा, जापन के ईबुकी म्यूरा और कनाडा की माइकल एंटोनी के सामने अपने मूल भोजन की समस्या खड़ी हो गई तो इन पर्यटकों ने भारतीय शाकाहारी खाना बनाना सीख लिया। इटैलियन पास्ता, बर्गर, पिज्जा और नॉनवेज खाने वाले ये विदेशा पोहा, खिचड़ी और मिक्स वेज बनाना और खाना सीख गए। खजुराहो के मंदिर घूमने की आस में लॉज में रुके पर्यटक लॉकडॉउन के शुरु में दिन का आधा समय शाकाहारी खाना बनाने और खाने में गुजारते रहे।
्रखजुराहो में कफ्र्य लगने पर फांस की पर्यटक ऐलेना लेवल, ह़ॉलैंड के ईवन जोल्बा, जापन के ईबुकी म्यूरा और कनाडा की माइकल एंटोनी के सामने अपने मूल भोजन की समस्या खड़ी हो गई तो इन पर्यटकों ने भारतीय शाकाहारी खाना बनाना सीख लिया। इटैलियन पास्ता, बर्गर, पिज्जा और नॉनवेज खाने वाले ये विदेशा पोहा, खिचड़ी और मिक्स वेज बनाना और खाना सीख गए। खजुराहो के मंदिर घूमने की आस में लॉज में रुके पर्यटक लॉकडॉउन के शुरु में दिन का आधा समय शाकाहारी खाना बनाने और खाने में गुजारते रहे।
तरह-तरह की गतिविधियों में हुए शामिल
लॉकडाउन के दौरान स्थानीय लोगों के संपर्क में आए विदेशी नागरिकों ने समाजिक, धार्मिक गतिविधियों में हिस्सा लिया। खजुराहो में तालाब सफाई अभियान में दो पर्यटक रोजाना श्रमदान करते रहे। वहीं कन्या भोज, गुरु पूर्णिमा महोत्सव जैसे आयोजनों में पूजन-हवन में शामिल होकर पूजा-पाठ की विधि सीख ली। इतना ही नहीं पेटिंग क्लास की गतिविधियों में शामिल हुए और काजग व ब्रश पर भी अपने हाथ आजमाए। ऐलेना लेवल, ईवन जोल्बा और ईबुकी म्यूरा ने लॉकडाउन में जरूरत मंद लोगों को खाना के पैकेट बांटने में भी सहयोग किया।
लॉकडाउन के दौरान स्थानीय लोगों के संपर्क में आए विदेशी नागरिकों ने समाजिक, धार्मिक गतिविधियों में हिस्सा लिया। खजुराहो में तालाब सफाई अभियान में दो पर्यटक रोजाना श्रमदान करते रहे। वहीं कन्या भोज, गुरु पूर्णिमा महोत्सव जैसे आयोजनों में पूजन-हवन में शामिल होकर पूजा-पाठ की विधि सीख ली। इतना ही नहीं पेटिंग क्लास की गतिविधियों में शामिल हुए और काजग व ब्रश पर भी अपने हाथ आजमाए। ऐलेना लेवल, ईवन जोल्बा और ईबुकी म्यूरा ने लॉकडाउन में जरूरत मंद लोगों को खाना के पैकेट बांटने में भी सहयोग किया।
विदेशियों की मदद के लिए बनाया सोशल ग्रुप
खजुराहो के सुधीर शर्मा ने खजुराहो में लॉकडाइन शुरु होने के समय फंसे 33 विदेशी पर्यटकों की मदद के लिए खजुराहो लॉकडाउन ग्रुप बनाया, ताकि विदेशी नागरिकों को कोई परेशानी या आवश्यकता होने पर मदद की जा सके। इसी ग्रुप के जरिए विदेशी नागरिक स्थानीय लोगों के संपर्क में आए और स्थानीय गतिविधियों में शामिल होने लगे। सुधार शर्मा बताते है कि ये विदेशी पर्यटक खजुराहो व खजुराहो के लोगों से अपनत्व रखने लगे हैं। तीन महीने बाद मंदिर देखे, लेकिन अभी आगे की यात्रा के पहले कुछ दिन और खजुराहो में बिताने के मूड में है।
खजुराहो के सुधीर शर्मा ने खजुराहो में लॉकडाइन शुरु होने के समय फंसे 33 विदेशी पर्यटकों की मदद के लिए खजुराहो लॉकडाउन ग्रुप बनाया, ताकि विदेशी नागरिकों को कोई परेशानी या आवश्यकता होने पर मदद की जा सके। इसी ग्रुप के जरिए विदेशी नागरिक स्थानीय लोगों के संपर्क में आए और स्थानीय गतिविधियों में शामिल होने लगे। सुधार शर्मा बताते है कि ये विदेशी पर्यटक खजुराहो व खजुराहो के लोगों से अपनत्व रखने लगे हैं। तीन महीने बाद मंदिर देखे, लेकिन अभी आगे की यात्रा के पहले कुछ दिन और खजुराहो में बिताने के मूड में है।
आर्थिक संकट से ऐसे पाया पार
लॉकडाउन में फंसने पर विदेशी पर्यटकों में से ज्यादातर ने महंगे होटल छोड़ दिए और लॉज में रहने लगे, हॉलैंड के ईवन जोल्बा खजुराहो आए तो रमाड़ा होटल के 3500 रुपए प्रतिदिन किराया वाले कमरे में रुके, लेकिन लॉकडाउन लगा तो मार्च के आखरी सप्ताह में ही योगी लॉड शिफ्ट हो गए, जहां 700 रुपए में ही रुम मिल गया। विदेशी पर्यटकों ने लॉकडाउन में फंसे रहने के कारण बजट न गड़बड़ाए, इसलिए ऐसा किया। जापान पर्यटक ईबुकी म्यूरा ने तो परिजनों से रुपए मंगाए और खजुराहो के मंदिर देखने के लिए अनलॉक का इंतजार करते रहे। अब जब तीन महीने बाद मंदिर को पास से देखा तो सभी पर्यटकों ने कहा खजुराहो अदभुत है।
लॉकडाउन में फंसने पर विदेशी पर्यटकों में से ज्यादातर ने महंगे होटल छोड़ दिए और लॉज में रहने लगे, हॉलैंड के ईवन जोल्बा खजुराहो आए तो रमाड़ा होटल के 3500 रुपए प्रतिदिन किराया वाले कमरे में रुके, लेकिन लॉकडाउन लगा तो मार्च के आखरी सप्ताह में ही योगी लॉड शिफ्ट हो गए, जहां 700 रुपए में ही रुम मिल गया। विदेशी पर्यटकों ने लॉकडाउन में फंसे रहने के कारण बजट न गड़बड़ाए, इसलिए ऐसा किया। जापान पर्यटक ईबुकी म्यूरा ने तो परिजनों से रुपए मंगाए और खजुराहो के मंदिर देखने के लिए अनलॉक का इंतजार करते रहे। अब जब तीन महीने बाद मंदिर को पास से देखा तो सभी पर्यटकों ने कहा खजुराहो अदभुत है।