छतरपुर को एक महत्वाकांक्षी जिले के रूप में नीति आयोग ने पहचाना है, हालांकि बुंदेलखंड के बाकी हिस्सों की तरह ही छतरपुर में भी औद्योगिक विकास, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और रोजगार के अवसरों की कमी है। फिलहाल बढ़ते उद्योगों, मजबूत शैक्षणिक संस्थानों, बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और प्रदेश सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों के चलते छतरपुर और बुंदेलखंड का परिदृश्य बदलता दिख रहा है।
सविता ने अपनी लगन के दम पर हर लक्ष्य हासिल किया। अंतराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर, सार्वजनिक-निजी भागीदारी की भूमिका को स्वीकार किया जा सकता है, जिससे न केवल महिलाओं को सशक्त और शिक्षित बनाया जा सकता है।
2015 में स्थापित किया गया महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय और बंदर डायमंड और केन-बेतवा लिंक परियोजना के साथ ही खजुराहो पर्यटन स्थल परियोजना जैसी परियोजनाएं तेजी से इलाके का स्वरूप बदलने लगा है। बंदर हीरा परियोजना से इस क्षेत्र में 40,000 करोड़ रुपये तक की आर्थिक गतिविधियों के साथ सरकार को 28,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद है।
इन परियोजनाओं के कारण आर्थिक विकास के साथ-साथ कई कंपनियं की कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के माध्यम से महिलाओं के प्रति सामाजिक परिदृश्य को सशक्त बनाने पर काम हो रहा हैं। आदित्य बिड़ला समूह का महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम, स्टरलाइट का जीवन ज्योति, गोदरेज का सैलॅन-आई, हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की परियोजना सखी कुछ ऐसे ही प्रयास हैं।