जिला मुख्यालय से करीब 20 किलो मीटर दूरी पर स्थित एक छोटा से गांव देखने में तो एक आम सा गांव ही है, लेकिन यहां के ग्रामीणों की आस्था एक खास पेड़ से जुड़ी है। इस पेड़ की पूरे विधि विधान से पूजा तो की जाती ही है, साथ ही प्रसाद के तौर पर पेड़ की डाली पर कुंडी लटकाई जाती है। तालाब किनारे बने प्राचीन कालीन बटेश्वर धाम शंकर भगवान का मंदिर है। ग्रामीणों का कहना है कि, इसी तर्ज पर गांव का नाम बरट रखा गया है। मंदिर से कुछ दूरी पर एक पेड़ लोहे की कुडियों से पटा पड़ा है।
पेड़ के संबंध में बताते हुए यहां के ग्रामीणों का कहना है कि, इस स्थल को सकय्या ( ग्रामीण बोली में सांकल) बब्बा या गौड़ बब्बा कहते हैं। दुर्गानवमीं के दिन बरट के साथ आसपास के गांव के लोग भी बड़ी संख्या में आकर बीमारियों से बचने और मन्नत पूरी होने पर सांकल चढ़ाई जाती है। सकय्या बब्बा के नाम से यहां पूजास्थल और उससे सटा पेड़ वर्षों पुराना बताया जाता है।
यह भी पढ़ें- पत्नी का करवाया था गैंगरेप, सेक्स रैकेट का सरगना भी निकला पति, खुलासों से पुलिस भी हैरान
1940 में फैले हैजा से भी इस पेड़ ने बचाया
गांव के बुजुर्ग और उप सरपंच हीरालाल राजपूत के अनुसार, ये प्रथा वर्षों से चली आ रही है। उन्होंने कहा कि, उन्होंने भी गांव के बुजुर्गों से सुना था कि, भारत में जब वर्ष 1940 में हैजा फैला था, तभी लोगों ने उस बीमारी से बचने के लिए पेड़ की पूजा करते हुए प्रसाद के तौर पर सांकल चढ़ाना शुरू किया था। उस समय जब पूरा देश हैजा बीमारी से जूझ रहा था, तब पूरा गांव उस जानलेवा बीमारी से सुरक्षित रहा था। ये एक प्रचलित किस्सा है, लेकिन संभव है कि, उससे पहले भी लोग ऐसी ही प्रथा मनाते रहे होंगे। लेकिन, स्पष्ट तौर पर तो गांव इतने वर्षों से पेड़ को खास महत्व देता आ रहा है।
यह भी पढ़ें- थाने के अंदर पुलिस कस्टडी में खड़ा था ट्रक, टायर चुराकर ले गए चोर
ग्रमीणों का विश्वास
बता दें कि, हर साल दुर्गा नवमीं और रामनवमीं के दिन गांव के हर परिवार का मुखिया अपने परिवार की रक्षा और बीमारी से बचाए रखने के लिए यहां प्रसाद के तौर पर सांकल चढ़ाता है। ग्रामीणों का तो यहां तक दावा है कि, पिछले 2-3 वर्षों से जहां पूरा विश्व कोरोना संक्रमण से जूझ रहा है। इस बीमारी के बारे में हम सिर्फ अखबार और न्यूज के माध्यम से ही सुनते हैं, लेकिन गांव का कोई भी शख्स को अबतक संक्रमण की चपेट में नहीं आया है। ग्रामीणों का विश्वास है कि, उसे चमत्कारी पेड़ से आस्था के चलते ही ये संभव हुआ है।
बस और ट्रक में जोरदार भिड़ंत, पुलिया के नीचे गिरा ट्रक – देखें Video