राहत देने से मुंह फेर रही सरकार, काम धंधे बंद होने से भरण-पोषण हुआ मुश्किलसबसे ज्यादा मुसीबत मध्यम वर्ग, जिनकों कहीं से नहीं मिली कोई राहत
छतरपुर। कोरोना वायरस पर काबू पाने के लिए लगाए गए लगभग दो महीने के लॉकडाउन ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है। इस लॉकडाउन के कारण मध्यम वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है जिसे न तो सरकार ने किसी तरह की राहत दी और न ही उसके काम धंधे और छोटे रोजगार चल सके। यही वजह है कि अब मध्यम वर्ग को परिवार का भरण-पोषण भी मुश्किल पड़ रहा है। आमदनी पर पड़ा सीधा असर बिजली के बिलों पर भी दिख रहा है। पिछले दो महीने से छतरपुर के 39 हजार बिजली उपभोक्ताओं में से 80 फीसदी उपभोक्ता बिजली का बिल जमा नहीं कर पाए। उधर दूसरी तरफ दो महीने से रीडिंग न होने के कारण बिजली विभाग द्वारा भेजे जा रहे औसत बिल भी लोगों को करेंट मार रहे हैं। प्रदेश की शिवराज सरकार तमाम मांगों के बाद भी बिजली उपभोक्ताओं को राहत देने से मुंह फेर रही है।
मार्च, अप्रेल और मई में गिरी बिजली विभाग की आमदनी
22 मार्च को भारत बंद और इसके बाद 24 मार्च से चल रहे लॉकडाउन के कारण कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। दुकानें, रेस्टोरेंट, होटल, फैक्ट्री या तो बंद पड़ी हैं या फिर बहुत कम समय के लिए खोले जा रहे हैं। इतना ही नहीं सिनेमा और मॉल जैसे कारोबार तो पूरी तरह से बंद ही पड़े हैं। सड़क पर काम करने वाले छोटे व्यापारी एवं छोटी दुकानें भी लॉकडाउन के कारण बंद रहीं जिसका असर उनका आमदनी पर पड़ा है। यही वजह है कि मार्च, अप्रैल और मई में लोग अपनी बचत राशि से ही परिवार चलाते रहे और इन महीनों में बिजली का बिल भी जमा नहीं कर पाए। बिजली विभाग द्वारा दिए गए आंकड़ों के मुताबिक छतरपुर शहर में तकरीबन 39 हजार बिजली उपभोक्ता हैं। इन उपभोक्ताओं से औसतन साढ़े 6 करोड़ से 7 करोड़ रूपए प्रतिमाह बिजली बिल की वसूली होती है लेकिन इन तीनों महीने में बिजली बिल की वसूली 20 फीसदी से भी कम रही। 21 मई को बिजली बिल जमा करने की आखिरी तारीख थी। बिजली विभाग को इस तारीख तक 6 करोड़ 80 लाख रूपए के राजस्व की आवश्यकता थी लेकिन जमा हुए कुल डेढ़ करोड़ रूपए।
बिजली विभाग की दरें, मध्यम वर्ग के लिए आफत
बिजली विभाग की भुगतान दरें भी गरीब परिवारों के लिए तो लाभकारी हैं लेकिन मध्यम और उच्च मध्यम वर्ग के परिवारों के साथ जबर्दस्त असमानता बरती गई है। विभाग के द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक बिजली कंपनी 100 यूनिट तक के बिजली उपयोग पर कुल 100 रूपए का बिजली बिल देती है लेकिन जैसे ही यह आंकड़ा 150 यूनिट के खर्च तक पहुंचता है तो बिजली बिल तकरीबन 400 रूपए हो जाता है। इतना ही नहीं 151 यूनिट से लेकर 300 यूनिट तक बिजली खर्च करने वाले परिवारों का बिजली बिल लगभग औसतन 7 रूपए प्रति यूनिट के हिसाब से 2100 रूपए तक पहुंच जाता है। 300 यूनिट के ऊपर खर्च करने वाले परिवारों को औसतन 8 रूपए प्रति यूनिट के हिसाब से देना होता है। कुल मिलाकर बिजली विभाग की यह दरें मध्यमवर्गीय परिवारों को महंगी पड़ रही हैं और 100 यूनिट तक इस्तेमाल करने वाले परिवारों को बेहद सस्ती।
व्यवसायिक और औद्योगिक उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत
सरकार ने मध्यम वर्ग के द्वारा मांगी जा रही राहत की तरफ भले ही ध्यान नहीं दिया लेकिन व्यवसायिक और औद्योगिक बिजली कनेक्शन लेने वाले उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत देने की कोशिश की है। सरकार के नए आदेश के तहत ऐसे औद्योगिक और व्यवसायिक उपभोक्ता जिनके व्यवसाय बंद पड़े हैं। उनको अपना लोड कम कराने की सुविधा देते हुए नियत भार में राहत दी जा रही है। सहायक यंत्री सर्वेश शुक्ला ने बताया कि ऐसे उपभोक्ता कार्यालय में एक आवेदन देकर अपना लोड कम करा सकते हैं। यदि किसी औद्योगिक कनेक्शन का लोड 75 केव्ही है और वह 5 केव्ही करा ले तो उसे सिर्फ 5 केव्ही का ही नियत भार देना होगा लेकिन रीडिंग के हिसाब से टैरिफ का बिल पूरा आएगा।
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