विपरीत परिस्थितियों में लडऩे की प्रेरणा देते हैं महाराजा छत्रसाल
छतरपुरPublished: May 25, 2020 08:28:06 pm
जयंती पर दिन भर ऑनलाइन चला कार्यकम, शौर्यपीठ पर दी गई पुष्पांजलि
Wreath laid on the gallantry
छतरपुर। विपरीत परिस्थितियों और साधनों के अभाव के बावजूद अपने शौर्य और पुरूषार्थ से किस तरह परिस्थितियों को अनुकूल बनाया जाता है यह सीखने के लिए हमें महाराजा छत्रसाल के जीवन का अनुशरण करना चाहिए। 52 लड़ाईयां लडऩे के बाद भी सभी में अजेय रहकर महाराजा छत्रसाल ने आतताई राजसत्ताओं के खिलाफ युद्ध लड़े और भारत माता के सच्चे सपूत की तरह अपनी धरती को मुगलों से मुक्त कराया। आज की युवा पीढ़ी को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।
उक्त उद्गार केन्द्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रहलाद पटेल ने सोमवार को आयोजित महाराजा छत्रसाल की 371वीं जयंती के अवसर पर ऑनलाइन समारोह के दौरान कही। महाराजा छत्रसाल स्मृति शोध संस्थान छतरपुर के द्वारा कोरोना संकट के कारण इस वर्ष अपने फेसबुक पेज पर सुबह 10 बजे से रात्रि साढ़े 10 बजे तक ऑनलाइन कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय कवि संगम के प्रदेश संयोजक सुमित मिश्रा के नेतृत्व में आयोजित इस ऑनलाइन समारोह में प्रथम वक्ता के रूप में पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल शामिल हुए और उन्होंने महाराजा छत्रसाल के जीवन पर प्रकाश डालते हुए स्मृति शोध संस्थान द्वारा विगत तीन वर्षों में किए गए प्रयासों को भी नमन किया। उन्होंने कहा कि मऊसहानियां में आम लोगों के सहयोग से लगभग दो करोड़ रूपए की लागत जुटाकर महाराजा छत्रसाल की प्रतिमा की स्थापना का कार्य एक महत्वपूर्ण कार्य है। ऐसे कार्यों से ही महाराजा छत्रसाल को युवा पीढ़ी का पहुंचाया जा सकता है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि पर्यटन मंत्री होने के नाते वे भी इस स्थल के विकास में सहयोग करेंगे। इस ऑनलाइन समारोह में कवि शशिकांत यादव, श्रीप्रकाश पटैरिया, अभिराम पाठक, कमल आग्रेय, गौरव चौहान, राम भदावत, गजेन्द्र सोलंकी, इन्द्रजीत दीक्षित, नम्रता जैन, जगदीश प्रबोध, अनिल तेजस, मनस्वी शर्मा, सुदीप भोला, पंकज पंडित, अनिल अमल, सुरेन्द्र सुमन, डॉ. रूचि चतुर्वेदी, राहुल शर्मा, अमित शर्मा सहित बाबा मौर्य ने अपने विचार रखे।
शौर्यपीठ पर की गई पुष्पांजलि अर्पित
मऊसहानियां में स्थित महाराजा छत्रसाल शौर्यपीठ पर निर्मित अष्टधातु की 52 फिट ऊंची महाराजा छत्रसाल की प्रतिमा के समक्ष सोशल डिस्टेसिंग के साथ पुष्पांजलि समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर महाराजा छत्रसाल स्मृति शोध संस्थान एवं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े व्यक्तियों ने उन्हें नमन किया। तदोपरांत इन लोगों के द्वारा महाराजा छत्रसाल के अंर्तध्यान स्थल एवं महेबा में स्थित प्राचीन मंदिर में भी पूजन किया गया और ध्वज चढ़ाया गया। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय सेवा प्रमुख राजकुमार मटाले, विभाग प्रचारक राजेन्द्र तिवारी, विभाग कार्यवाह वीरेन्द्र असाटी, भाजपा जिलाध्यक्ष मलखान सिंह, संस्थान के सचिव राधे शुक्ला, उपाध्यक्ष धीरेन्द्र शिवहरे, सहसचिव विनय चौरसिया, जयदेव बुन्देला, आशीष ताम्रकार, सुशील वैद्य, गौरव चौहान, अनिल अग्रवाल उपस्थित रहे।
महाराजा छत्रसाल के व्यक्तित्व व कृतित्व पर वेबिनार का हुआ आयोजन
महाराज छत्रसाल की जयंती अवसर पर महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय छतरपुर एवं महाराजा छत्रसाल स्मृति शोध संस्थान छतरपुर के संयुक्त तत्वावधान में वेबिनार का आयोजन किया गया। इसमें देश के विभिन्न हिस्सों से लोगों ने सहभागिता की । पंजाब, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, दिल्ली व मध्य प्रदेश से लोगों ने जुड़ कर सक्रिय सहभागिता की। संयोजक डॉ. बहादुर सिंह परमार ने कुलपति प्रोफेसर टीआर थापक, कुलसचिव डॉ. पी के पटैरया, प्रेरक पवन तिवारी, महाराजा छत्रसाल स्मृति शोध संस्थान के अध्यक्ष भगवत अग्रवाल, सचिव राकेश शुक्ला राधे व जयदेव बुन्देला के सभी प्रतिभागियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। वेबिनार की अध्यक्षता सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु, सिद्धार्थ नगर के कुलपति प्रो. सुरेन्द्र दुबे ने की।
तुलसी साहित्य अकादमी ने की ऑनलाइन गोष्ठी
तुलसी साहित्य अकादमी की जिला इकाई की ओर से बुंदेलखंड केसरी महाराजा छत्रसाल की जयंती पर काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। इस आयोजन के मुख्य अतिथि कुलदीप शर्मा रहे जबकि अध्यक्षता डॉ. अवध किशोर जडिय़ा ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में कमल अवस्थी व लखन लाल सोनी शामिल हुए। गोष्ठी में डीपी निरंजन झांसी, पूरन चंद गुप्ता टीकमगढ़, राजेश तिवारी झांसी, हीरालाल विश्वकर्मा बिजावर, नितेंद्र सिंह परमार छतरपुर, राम कुमार पांडे झांसी, राजीव नामदेव राना लिधौरी, मनोज तिवारी मनसिज बड़ा मलहरा, डॉ. देवदत्त द्विवेदी बड़ा मलहरा सहित अन्य कवियों ने महाराज छत्रसाल की वीरगाथा से ओतप्रोत कविताओं की प्रस्तुतियां दी। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में जाने-माने साहित्यकार डॉ अवध किशोर जडिय़ा हरपालपुर द्वारा महाराज छत्रसाल की वीरता को बखान करते हुए छंदों की प्रस्तुतियां दीं।