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tourism छतरपुर जिले के कई पर्यटन स्थल हो रहे अनदेखी के शिकार, नहीं पहुंच पा रहे सैलानी

locationछतरपुरPublished: Jun 19, 2019 07:30:59 pm

Submitted by:

Unnat Pachauri

– सैलानियों के आने से मिलागा स्थानीय लोगों को रोजगार

tourism छतरपुर जिले के कई पर्यटन स्थल हो रहे अनदेखी के शिकार, नहीं पहुंच पा रहे सैलानी

tourism छतरपुर जिले के कई पर्यटन स्थल हो रहे अनदेखी के शिकार, नहीं पहुंच पा रहे सैलानी

उन्नत पचौरी
छतरपुर। छतरपुर एक पुराना शहर है, जो 1785 के दौरान अस्तित्व में आया। इस शहर का नाम यहां के राजा छत्रसाल के नाम पर पड़ा। छत्रसाल एक प्रतापी राजा थे जिन्होंने मुगल सम्राट औरंगजेब को युद्ध में हराकर बुंदेलखंड में अपना साम्राज्य स्थापित किया। प्राकृतिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से छतरपुर काफी ज्यादा मायने रखता है। यह राज्य के उन चुनिंदा खास स्थलों में गिना जाता है, जहां की यात्रा करना सैलानियों को बहुत ही ज्यादा पसंद है। इस लेख के माध्यम से जानिए पर्यटन के लिहाज से छतरपुर जिले के पर्यटन स्थल सैलानियों को आनंदित कर सकते है। जिले में कृषि, खनिज, उद्योग, व्यापार, बड़ी जनसंख्या, परिवहन के साथ-साथ पर्यटन क्षेत्र में भी काफी आगे हैं, शासन और पर्यटन विभाग की अनदेखी के कारण कई पर्यटन स्थलों में सैलानी नहीं पहुंच पा रहे हैं। कई पर्यटन स्थल ऐसे हैं जहंा पर कुछ वर्ष पहले देश के साथ-साथ विदेशी सैलानी भी घूमने के लिए आते थे। लेकिन अब वहां पर स्थानीय लोगों के अलावा कोई और नहीं जा रहा है और धीरे-धीरे वह पर्यटन स्थल गुम होता जा रहा है। इसके बडी बजह है वहां पर विकास कार्य नहीं होना और देख-रेख में बडी लापरवाही है। जिसके चलते वहां से आकर्षण दिन-ब-दिन कम होता जा रहा है और सैलानियों का आना भी कम होता जा रहा है। जिसके कारण स्थानीय लोगों को पर्यटन स्थल के आसपास मिलने पर रोजगार भी ठप हो गया। जिले में खजुराहो में विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक मंदिर, मतंगेश्वर महादेव, कंदरिया महादेव समेत अन्य मंदिरों के नयनाभिराम दर्शन कराता है। इसके अलावा जटाशंकर, भीमकुंड, नैनागिर व धुबेला जैसे रमणीक स्थल भी छतरपुर जिले को पर्यटन के मानचित्र में अग्रणी श्रेणी में हैं। इसके अलावा धुबेला के पास बादल महल, महारानी कमलापति का मकबरा, छत्रसाल का मकबरा, मस्तानी महल, ह्रदयशाह महल, देवछारानी महल, शीतलगढ़ी, हाथी दरवाजा, सहानियां के पास स्थित सहित बेरछारानी का महल, बावन चौकिया महल, नाहर की सुरही आदि धुबेला के पास हैं वहीं खजुराहो के पास राजगढ़ का किला, राजनगर, बमीठा, चंद्रनगर, बडमलहरा, गुलगंज में किला, सहित कई ऐसे धराहर हैं जहां पर पर्यटन विभाग की नजर तो पहुंच गई लेकिन इसके बाद भी वहां पर विकास कार्य और जीर्णाेद्धार नहीं किया गया जिससे पर्यटन स्थ्ल जीर्णशीर्ण होती जा रही है। अगर इन धरोहरों को शासन और पर्यटन विभाग द्वारा संजो दिया जाए तो देशी-विदेशी सैलानियों के आने से शासन को खासी आए होगी और स्थानीय लोगों को अपने आसपास ही रोजगार मिल सकेगा।
ये रहे जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल

खजुराहो
खजुराहो के विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक मंदिर स्थित हैं। यह मंदिर चंदेल राजाओं द्वारा 950 ई.- 1050 ई. के बीच निर्मित कराए गए। वर्तमान में करीब 25 मंदिर शेष हैं, जो दूर-दूर तक फैले हैं। मंदिर अपनी अद्भुत स्थापत्य व शिल्प कला के लिए विश्व विख्यात हैं। साथ ही यहां के जैन मंदिर भी देखने लायक हैं। यहां चित्रकला, शिल्पकला व वास्तुकला से संबंधित वस्तुऐं होटलों में संग्रहालय बनाकर संजोकर रखी गई हैं। प्रति वर्ष हजारों विदेशी व भारतीय पर्यटक यहां आते हैं।
रनेह फाल
यह स्थान राजनगर विकास खण्ड में स्थित है। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य मनमोहक है। ऊंची-ऊंची रंगबिरंगी चट्टानों से पानी नीचे गिर कर प्रकृति की अद्भुत छटा बिखेर रहा है। वर्षाकाल में तो यहां का नजारा बेहद आकर्षक लगता है।
धुबेला पुरातत्व संग्रहालय
जिले की नौगांव बिकास खंड के अंतर्गत महाराजा छत्रसाल से संबंधित प्रारंभ से लेकर अंत तक सभी वस्तुओं को संजोकर रखने वाला धुबेला पुरातत्व संग्रहालय स्थित है।
जटाशंकर धाम
यहां भगवान शिव जी का गुफा में प्राचीन मंदिर स्थित है। यह अपने प्राकृतिक जल स्रोत के लिए विख्यात है। यहां वर्ष भर झरने के रूप में लगातार पानी निकलता रहता है। यहां स्थित छोटे-छोटे कुण्डों का जल औषधि के रूप में काम करता है। ऐसी मान्यता है कि इस जल से स्नान करने पर शरीर के सभी चर्म रोग दूर हो जाते है। यहां गर्म व ठंडे पानी के कुण्ड हैं। जटाशंकर में चट्टानों की तलहटी में भित्तिचित्र भी बने हुए हैं।
राजगढ़ का किला
यह किला चंदेल राजवंश द्वारा निर्मित कराया गया था। इसके पास में ही तालाब स्थित है। जिससे यहां का प्राकृतिक सौंदर्य रमणीक लगता है। यह जिला मुख्यालय से लगभग 42 किमी की दूरी पर ग्राम चन्द्रनगर के पास स्थित है।
नैनागिर
बकस्वाहा से 25 किलोमीटर की दूरी पर एक तालाब के किनारे स्थित पहाड़ी का मनोरम प्राकृतिक नजारा यहां जाने वालों को अपनी ओर आकर्षित करने लगता है। मंदिर तक पहुंचने के दो मार्ग हैं। इसमें एक मार्ग तालाब के बीचों बीच से है। यह तीर्थ क्षेत्र अपने आप में 3200 साल का इतिहास समेटे हुए हैं।
भीम कुण्ड
यह स्थान जिले के बड़ामलहरा विकास खण्ड में स्थित है। भीम कुण्ड की विशेषता यह है कि इसकी गहराई का अभी तक वैज्ञानिकों ने पता नहीं लगा पाया है। इस कुण्ड का इतिहास महाभारत काल की घटनाओं से जुड़ा हुआ है। जिला मुख्यालय से यह लगभग 70 किमी की दूरी पर स्थित है।
भौगोलिक घटना से पहले देता है संकेत
जब भी कोई भौगोलिक घटना होने वाली होती है यहां का जलस्तर बढऩे लगता है, जिससे क्षेत्रीय लोग प्राकृतिक आपदा का पहले ही अनुमान लगा लेते हैं, गुजरात में आए भूकंप के दौरान भी यहां का जलस्तर बढ़ा था। सुनामी के दौरान तो कुण्ड का जल 15 फीट ऊपर तक आ गया था।
केन घडिय़ाल अभयारण्य
रानेह जलप्रपात के नजदीक आप यहां के एक आकर्षक स्थल केन घडिय़ाल अभयारण्य की रोमांचक सैर का आनंद ले सकते हैं। घडिय़ालों के साथ यह अभयारण्य अन्य कई जंगली जीवों का घर माना जाता है। इसके अलावा यहां पक्षी विहार का भी आनंद लिया जा सकता है। पक्षी प्रजातियों में आप यहां कई प्रवासी पक्षियों की प्रजातियों को भी देख सकते हैं। केन घडिय़ाल अभयारण्य घने जंगलों और जलाशयों में भरा है, जो प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी जन्नत से कम नही है। वीकेंड पर रोमांचक अनुभव लेने के लिए आप यहां की सैर का आनंद ले सकते हैं।
हनुमान टोरिया
हनुमान टोरिया मंदिर उपरोक्त स्थानों के अलावा आप यहां प्रसिद्ध मंदिर छतरपुर हनुमान टोरिया के दर्शन कर सकते हैं। यह मंदिर भगवान राम और माता सीता, भगवान शिव और भगवान हनुमान को समर्पित है। यह सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं है बल्कि एक टूरिस्ट प्लेस भी है, जहां की प्राकृतिक खूबसूरती को देखने के लिए यहां दूर-दूर से सैलानी आते हैं। आत्मिक और मानसिक शांति के लिए आप इस स्थल की सैर कर सकते हैं।
इनका कहना है
में करीब ६ माह पहले यहां पर आया हूं, इसलिए जिले के बारे में पूरी जानकारी नहीं है, में इस बारे में जानकारी करता हूं और जो भी ऐसे स्थल हैं, वहां पर जाकर निरीक्षण करूंगा और वहां पर जो भी कमियां होंगी उनका पूरा कर पर्यटन के क्षेत्र में बढ़ावा दिया जाएगा।
महेश कुमार समधिया, रीजनल मैंनेजर, पर्यटन विभाग, खजुराहो
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IMAGE CREDIT: Unnat Pachauri
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