जिले में रोजाना दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से प्रवासियों की वापसी हो रही है। जिले के हरपालपुर स्टेशन पर सोमवार की रात 11 बजे निजामुद्दीन दिल्ली से आई महाकौशल एक्सप्रेस में एक सै$कड़ा प्रवासी अपने परिवारों के साथ वापस लौटे। स्टेशन पर न तो बाहर से आने वाले लोगों की स्वास्थ जांच या स्क्रीनिंग हुई और न वापस आने वाले लोगों का कोई रिकॉर्ड तैयार किया गया। इतना ही नहीं स्टेशन से ये लोग सीधे अपने गांव-घर पहुंच रहे हैं। पंचायत स्तर पर भी इस बार बाहर से आने वालों के लिए क्वारंटीन सेंटर की व्यवस्था अभी शुरु नहीं हुई है।
बसों में सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर हो रही लापरवाही
बस स्टैंड के अनाउंसर दिलीप बुनकर ने बताया कि दिल्ली से रोजाना झांसी होते हुए पांच बसें आती हैं। इन दिनों इन बसों में अधिकांश मजदूर ही आ रहे हैं। बसों का संचालन का काम देखने वाले प्रदीप सिंह बताते हैं कि दिल्ली से आने वाली सभी बसें ओवरलोड आ रही हैं। बसों में सुरक्षित शारीरिक दूरी तो तार-तार हो ही रही है। यात्रियों को सैनिटाइजर की व्यवस्था नहीं है। जबलपुर से आने वाली बसों में नागपुर में रहने वाले जिले के लोग आ रहे हैं।
प्रवासी बोले- शहरों में खराब हो रही है स्थिति
दिल्ली बस से वापस आए रामकृपाल कुशवाहा ने बताया कि वे गुरुग्राम में सात साल से वहां काम कर रहे हैं। पिछले लॉकडाउन में वापस आ गए थे। स्थिति सामान्य होने पर जनवरी में ठेकेदार वापस ले गया था, लेकिन अब फिर से कोरोना फैल रहा है तो मैं परिवार को लेकर निकल आया हूं। दूसरे लोग भी वहां से वापस लौट रहे हैं। पीरा गांव के शिशुपाल अहिरवार ने बताया कि उनका परिवार मोहाली में कृषि यंत्र बनाने वाली फैक्टरी में काम करता था। पहले जैसे हालात न हो जाएं इसलिए वह अपने परिवार को वापस लेकर आ गया है। इस तरह मझगुवां के किशोरी लाल अहिरवार ने भी बताया कि वह दिल्ली से लौट आए हैं। सिजई पंचायत के ग्राम ब्याहटा निवासी घासीराम अहिरवार ने बताया कि वह अपने परिवार सहित दिल्ली में रहकर बेलदारी का काम करता है। लॉकडाउन के डर से वह दिल्ली से अपने गांव लौट आया है। घासीराम ने बताया कि दिल्ली में कोरोना संक्रमित मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं, वहां हालात खराब होते जा रहे हैं। इस बार भी कहीं अचानक लाकडाउन लग गया तो कहीं पिछली बार की तरह कई दिनों तक भूखे रहकर घर न आना पड़े इसलिए समय रहते लौट आए हैं।
दिल्ली में संक्रमण बढ़ रहा है। इसके साथ ही लॉकडाउन जैसी सख्ती शुरु हो गई है। लॉकडाउन में काम धंधा बंद हो जाए और हम पिछली बार की तरह महानगर में फंसे, इससे पहले ही वापस घर आ गए हैं। वैसे भी 6 महीने से ज्यादा का समय हो गया तो गांव आना ही था।
मन्नू अहिरवार, निवासी पहारिया