scriptपलायन, पेयजल और स्वास्थ्य सेवाएं जिले की हर विधानसभा का मुद्दा, लेकिन चुनावी भाषणों में जिक्र तक नहीं | Migration, drinking water and health services are the issues | Patrika News

पलायन, पेयजल और स्वास्थ्य सेवाएं जिले की हर विधानसभा का मुद्दा, लेकिन चुनावी भाषणों में जिक्र तक नहीं

locationछतरपुरPublished: Nov 19, 2018 08:21:59 pm

Submitted by:

Dharmendra Singh

मुख्यमंत्री स्थानीय मुद्दों पर क्या बोलेंगे, इसी पर होगी सबकी नजरभाजपा के उम्मीदवारों को भी सीएम के भाषण से उम्मीद

BJP candidates also expect CM's speech

BJP candidates also expect CM’s speech

धर्मेंद्र सिंह
छतरपुर। बुंदलेखंड में चुनाव प्रचार में आ रहे राष्ट्रीय नेता राष्ट्रीय और राज्य के मुद्दों पर बात कर रहे हैं। स्थानीय मुद्दे उनके भाषण में जगह नहीं पा रहे हैं। ऐसे में मतदाता राज्य के बड़े नेताओं की ओर देख रहे हैं। लोगों को उम्मीद है कि राज्य के बड़े नेता स्थानीय मुद्दे पर जरूर बात करेंगे। चुनाव आचार संहिता लगने के पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दो बार जन आर्शीवाद यात्रा लेकर जिले में आए। इस दौरान उन्होंने मेडिकल कॉलेज की शुरूआत एवं निर्माण, जिला अस्पताल के नए भवन में स्वास्थ्य सुविधाओं का संचालन और विश्वविद्यालय भवन पर बात की। इन मुद्दों की जमीनी हकीकत आज की स्थित में कुछ और ही है, शायद इसलिए चुनावी प्रचार में इनका जिक्र तक नहीं हो रहा है। इसके अलावा पलायन, पेयजल और स्वास्थ्य सेवाएं जिले की हर विधानसभा सीट पर बड़ा मुद्दा है, लेकिन इन पर बात कोई नहीं कर रहा है। व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप तक चुनाव प्रचार सीमित हो गया है। अब देखने वाली बात ये है कि क्या सीएम इन मुद्दों पर कुछ कहते है या नहीं।
चुनावी समर में स्थानीय मुद्दे गायब :
अब मतदाताओं की जुबा पर इस बात का जिक्र है, कि सोमवार को मुख्यमंत्री जिले के स्थानीय मुद्दों पर कितनी बात करते हैं। जिले के चार विधानसभा इलाके में सीएम की सभा है, सभी विधानसभा मेें कुछ मुद्दे कॉमन है और कुछ मुददे अलग-अलग है। मतदाता भी इस बात पर निगाह लगाए हुए हैं, कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह राज्य में भाजपा की सरकार बनाने के लिए जनसमर्थन मांगते समय जिले के स्थानीय मुद्दों को कितना तबज्जो देते हैं।
जनता के मानस में ये हैं स्थानीय मुद्दे :
राज्य स्तरीय मुद्दे राज्य सरकार बनाने के लिए महत्वपूर्ण है, इसलिए बड़े नेता राज्य स्तरीय मुद्दे पर ज्यादा बात करते नजर आते हैं। लेकिन छतरपुर जिले के मतदाताओं के लिए स्थानीय मुद्दे अहम है। चुनावी भाषण में जो नेता स्थानीय मुद्दे से बचने की कोशिश कर रहे हैं, मतदाता उनस पर खास नजर बनाए हुए हैं। पलायन, स्वास्थ्य सेवाएं और पेयजल ,ये तीन मुद्दे ऐसे हैं, जो जिले की सभी विधानसभा सीटों के मतदाताओं के अहम हैं। वहीं कुछ मुद्दे विधानसभावार अलग-अलग मायने रखते हैं।
छतरपुर विधानसभा के यह है मुद्दे :
बात करें छतरपुर विधानसभा की तो, मेडिकल कॉलेज, विश्वविद्यालय कैंपस का निर्माण, शहर के बाहर बाइपास, नए जिला अस्पताल भवन में सुविधाओं की उपलब्धता और शहर में ट्रैफिक जाम जैसे मुद्दे हर मतदाता के मानस पर अंकित है। बाइपास का निर्माण तो किया जा रहा है, लेकिन रफ्तार धीमी है। चुनाव के पहले मेडिकल कॉलेज का जमकर डिंडोरा पीटा गया, खुद सीएम ने 30 अक्टूबर की सभा में कहा कि, न केवल मेडिकल कॉलेज लाए हैं, बल्कि निर्माण शुरु किया गया है, लेकिन जमीनी हकीकत ये है, कि मेडिकल कॉलेज के प्रस्तावित स्थल पर बोर्ड लगाने के अलावा कोई निर्माण शुरु ही नहीं हुआ है। जिला अस्पताल के नए भवन का उदघाटन करते समय नई बिल्डिंग को प्रदेश की सबसे बेहतर बिल्ंिंडग बताई। लेकिन इस बिल्ंिडग में स्वास्थ्य सुविधाएं अभी तक संचालित होना शुरु नहीं हो पाई हैं। उद्घाटन के दूसरे दिन ही बिल्ंिडग में ताला लग गया। शहर में ट्रैफिक जाम की समस्या एक अहम मुद्दा है। डिवाइडर बनाए गए, लेकिन अधूरे कार्य के कारण जाम की समस्या अभी भी बनी हुई है। पेयजल लाइन के लिए शहर के मोहल्लों की गलियों की आरसीसी उखाड दी गई, लेकिन न तो पानी आया न सीसी रोड सुधरी।
बड़ामलहरा और बिजावर क्षेत्र में यह कमियां:
बड़ामलहरा विधानसभा इलाके में पेयजल और पलायन का मुद्दा पुराना है। हर चुनाव में इसको लेकर उम्मीद जगाई जाती है, लेकिन ये मुद्दे अभी भी इस इलाके के महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। इसके साथ ही कस्बे में बाईपास और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र एंव आसपास के स्वास्थ्य केन्द्रों में मेडिकल स्टाफ की कमी से मतदाता सालभर परेशानी जूझते हैं। लेकिन चुनाव में इन मुद्दों पर बात नहीं हो रही है। वहीं बिजावर विधानसभा इलाके में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार और मेडिकल स्टाफ की कमी एक अहम मुद्दा है। इसके साथ ही चिलिंग प्लांट बंद हो गया है, इस प्लांट से स्वरोजगार और गौसंवर्धन की दिशा में काम किया जा सकता था। बिजावर को अलग जिला बनाने की मांग भी उठती रही है।
महाराजपुर और राजनगर में :
महाराजपुर विधानसभा इलाके में पेयजल, पलायन और स्वास्थ्य सुविधाओं के अलावा पान की खेती का अनुसंधान एवं कृषि विश्वविद्यालय की मांग एक दशक से रही है। चुनाव आते हैं, तो मतादाता इन मुद्दों पर नेताओं के विचार जानना चाहते हैं। खासकर सीएम की नौगांव की सभी में इन मुद्दों का जिक्र होता है या नहीं। वहीं राजनगर इलाके में इंटरनेशनल एयरपोर्ट और एनटीपीसी प्लांट का मुद्दा बड़ा मुद्दा है। इन दोनों उपक्रम से स्थानीय लोगों को रोजगार की उम्मीद है। वहीं खजुराहो में पर्यटन व्यवसाय के विस्तार की दिशा में भी ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है।
चंदला में रेत और नीलगाय बड़ा मुद्दा :
जिले के एक मात्र आरक्षित चंदला विधानसभा क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या रेत और खनिज पत्थर के वैध-अवैध उत्खनन का बड़ा मुद्दा है। सड़क, पेयजल, रोजगार सहित अन्य समस्याएं भी गंभीर मुद्दा है। इस चुनाव में रेत का मुद्दा एक तरह से गायब है। केवल नीलगाय द्वारा खेती को नुकसान बड़ा मुद्दा है। जबकि रेत के कारोबार के कारण चंदला विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा लोग परेशान है। अपराध बढ़ रहे हैं। सड़कें खराब हो गई, जलसंकट से लेकर स्वास्थ्य सेवाएं भी बड़े मुद्दे हैं।
पलायन, पेयजल और स्वास्थ्य सेवाओं पर सबकी नजर :
पलायन, पेयजल और स्वास्थ्य सेवाएं , ये तीन ऐसे मुद्दे हैं, जो जिले की सभी 6 विधानसभा सीटों पर कॉमन मुद्दा है। ऐसे में इन तीन बड़े मुद्दों को सीएम अपने चुनावी भाषण में कितनी तरजीह देते हैं। क्या सीएम इन मुद्दों पर कोई आश्वासन देते हैं, क्या उनके पास इन समस्याओं के समाधान का कोई रोडमैप है? या स्थानीय मुद्दे पीछे छूट जाएंगे और सिर्फ सरकार बनाने पर ही बात होगी। सरकार बनाने के लिए जनता जनार्दन का आर्शीवाद मांगने आ रहे सीएम शिवराज जिले के लोगों के लिए क्या चुनावी वायदा करते हैं, इस पर सभी की नजर टिकी हुई है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो