जिले में हीरा, रेत, क्रेशर गिट्टी के बाद रॉक फॉस्फेट से खनिज उद्योग में लोगों के रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। डीएपी खाद बनाने के काम में आने वाली रॉक फॉस्फेट के उत्खनन से खाद बनाने वाले उद्योग व सहायक उद्योगों के स्थापना के अवसर जिले में बढ़ेंगे, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। इसके साथ ही डीएपी जैसे महत्वपूर्ण खाद की जिले में सप्लाई बढ़ेगी, जिससे किसानों की मुश्किलें भी कम होंगी।
जैविक खाद बनाने के लिए गोबर तथा रॉक फॉस्फेट को प्रयोग में लाया जाता है। रॉक फॉस्फेट की मदद से रासायनिक क्रिया करके सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी)तथा डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) रासायनिक उर्वरक तैयार किए जाते हैं। खनिज फास्फेटों का सर्वाधिक प्रयोग फास्फेट उर्वरकों के निर्माण में होता है। रॉक फॉस्फेट की खदान से निकाले गए फास्फेटीय चट्टान को चूर्ण करके सल्फयूरिक अमल के साथ मिलाकर सुपरफास्फेट बनता है। इस पदार्थ का प्रयोग उर्वरक के रूप में अत्यधिक होता है। साधारण फास्फेटीय चट्टान के चूर्ण में 30 से 40 प्रतिशत फास्फोरस पेंटॉक्साइड, 3-4 प्रतिशत फ्लोरीन तथा भिन्न मात्राओं में चूना रहता है।
रॉक फॉस्फेट के लिए प्रस्तावित जमीन वन, राजस्व और प्राइवेट लैंड की सामिलाती जमीन है। 122 हेक्टेयर में 67 हेक्टयेर जमीन रॉक फास्फेट के खनन और 37 हेक्टेयर जमीन नॉन मिनरलाइज्ड होगी। मिनरल वाले 67 हेक्येर जमीन में 3 हेक्टेयर वन भूमि, 53 हेक्टेयर जमीन राजस्व और 11 हेक्टयेर जमीन निजी भूमि हैं। शासन से नीलामी की मंजूरी होने के बाद इस जमीन से रॉक फॉस्फेट का उत्खनन शुरु किया जाएगा।
जिले के मड़देवरा में रॉक फॉस्फेट के उत्खनन के लिए खदान नीलामी का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। शासन से मंजूरी मिलने के बाद नीमाली प्रक्रिया होगी। मड़देवरा इलाके में रॉक फॉस्फेट का जीएसआइ ने पता लगाया था।
अमित मिश्रा, खनिज अधिकारी