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चार दिन बाद दर्ज हुई नाबालिग पीडि़ता की रिपोर्ट, टीआई और आरक्षक को बचा ले गए

locationछतरपुरPublished: Mar 03, 2018 03:00:28 pm

Submitted by:

Samved Jain

अवकाश के दिन तीन घंटे सिटी कोतवाली में मनकारी सरपंच से दवाब डलवाकर कराए गए पीडि़ता के बयान 

Chhatarpur

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छतरपुर। शहर के टौरिया मोहल्ला में डेढ़ साल तक कुख्यात बदमाश असलम नट की गिरफ्त में रहकर अमानवीय यातनाएं झेलती रही दलित नाबालिग लड़की को अधूरा न्याय मिल पाया। उसकी शिकायत से कोतवाली टीआई केके खनेजा और सिपाही धर्मेद्र चतुर्वेदी का नाम हटवाने में पुलिस सफल हो गई। तीन दिन तक इसीकारण पीडि़ता की शिकायत पर एफआईआर दर्ज नहीं की जा रही थी। शुक्रवार की रात 8 बजे बाल कल्याण समिति की अभिरक्षा में दो युवतियों के साथ पीडि़ता को सिटी कोतवाली भेजा गया था। जहां पर मनकारी सरंपच के सामने उसके दोबारा से बयान दर्ज करवाए गए। इसके बाद पुलिस ने पीडि़ता की शिकायत पर आरोपी असलम नट के खिलाफ बलात्कार, अपहरण सहित विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया है। पीडि़ता ने युवती एसपी के नाम एक शिकायत देकर टीआई और सिपाही पर आरोप लगाए हैं।
चार दिन तक अपनी शिकायत पर एफआईआर दर्ज कराने के लिए भटकती रही और तमाम तरह के दवाबों को झेलती रही दलित नाबालिग लड़की आखिककार टूट गई। उससे पुलिस के खिलाफ की गई शिकायत वापस करवा दी गई है। शुक्रवार की रात ८ बजे सिटी कोतवाली में मनकारी सरपंच विजय प्रताप सिंह छोटे राजा और सीडब्ल्यूसी मेंबर की मौजूदगी में पीडि़ता के बयान कराए गए। लड़की ने टीआई और सिपाही का नाम हटाने से मना किया तो लड़की के परिजनों से उसकी बात कराई गई। इसके बाद वह टूट गई और उसने असलम नट के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई। इस दौरान समाजसेवी नेहा सिंह लड़की से मिलने पहुंची तो कोतवाली पुलिस ने उन्हें मिलने नहीं दिया गया। बाद में जब एफआईआर दर्ज हो गई तब कोतवाली टीआई ने मीडिया के कुछ लोगों को बुलवाकर पीडि़ता से जबरन बयान दिलवाया और उसके बाद उसे महिला आश्रय ग्रह भिजवा दिया गया। इस मामले में समाजसेवी नेहा सिंह ने भी सवाल उठाया है कि यदि पुलिस को असलम नट के खिलाफ ही एफआईआर दर्ज करनी थी तो तीन दिन तक क्यों युवती को घुमाते रहे। उधर पुलिस ने आरोपी असलम नट के खिलाफ शारीरिक शोषण एवं वेश्यावृति करवाने, बेरहमी से मारपीट को लेकर धारा 376/२, ३65, 506 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

पीडि़ता पर दवाब डालकर बचाया गया टीआई और आरक्षक को :
नाबालिग दलित युवती को लेकर एसपी के पास सबसे पहले शिकायत लेकर पहुंचने वाली और इस पूरे मामले का खुलासा करने वाली समाजसेवी नेहा सिंह ने जिला पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि अपने टीआई और आरक्षक को इस गंभीर मामले से बचाने के लिए पीडि़त युवती पर तरह-तरह से दवाब डाला गया। तीन दिन तक उसकी रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई। मनकारी सरपंच से उसके परिवार पर दवाब डलवाकर पुलिस ने अवकाश के दिन कोतवाली में लड़की के दोबारा से बयान करवाए। उसके बयान बदलकर आरोपी टीआई केके खनेजा और आरक्षक धर्मेंद्र चतुर्वेदी के नाम शिकायत से हटवाए गए। इस दौरान सीडब्यूसी मेंबर भी मौजूद थे। इसके बाद केवल असलम नट के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि पुलिस ने महिला उत्पीडऩ के मामले में जो हद पार की है वह शर्मनाक है। मुझे भी कोतवाली में युवती से नहीं मिलने दिया गया। पीडि़ता को एक एनजीओ के आश्रय गृह में बंधक जैसा बना लिया गया है, उससे किसी को मिलने भी नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में उसके साथ न्याय हो पाएगा, इसकी उम्मीद भी खत्म हो गई है।

इंसाफ के लिए लड़ते-लड़ते मैं टूट गई :
डेढ़ साल तक मैंने असलम नट की कैद में रहकर जो अमानवीय यातनाएं झेली हैं वह सोचकर भी आज सिहर उठती हूं। पुलिस ने उसके साथ मिलकर मेरा जो शोषण करवाया, मुझसे रेप के जो झूठे केस दर्ज करवाए उसकी शिकायत लेकर किसी तरह एसपी के पास पहुंची थी। लेकिन तीन दिन तक मुझे जिस तरह से पुलिस ने प्रताडि़त किया और मुझ पर और मेरे परिवार पर जो दवाब डलवाया, वह अत्याचार भी असलम नट से कम नहीं था। मुझ पर एसपी साहब ने भी दवाब डाला कि टीआई केके खनेजा और सिपाही धर्मेंद्र चतुर्वेदी का नाम हटाकर दूसरी शिकायत करो। लेकिन जब मैं नहीं मानी तो मेरे गांव मनकारी में कोतवाली टीआई और सिपाही प्राइवेट वाहन लेकर गए। मेरे परिवार को धमकाया कि गांव में नहीं रह पाओगे। मनकारी सरपंच से मिलकर मेरे ऊपर और मेरे परिवार पर दवाब बनाया गया कि मैं पुलिस के खिलाफ रिपोर्ट वापस ले लूं। इस लड़ाई में मैं अकेली पड़ गई। समाज का कोई भी व्यक्ति मेरा साथ देने नहीं आया। न तो कोई महिला संगठन आए और न ही कोई दलितों के मसीहा। अब मैं क्या करती, मेरे पास कोई और चारा नहीं था, इसलिए पुलिस ने जैसा कहा, वैसे बयान बदलकर एफआईआर दर्ज करा दी। इंसाफ के लिए लड़ते-लड़ते मैं खुद हार गई। लेकिन मैंने टीआई और सिपाही के खिलाफ एसपी के नाम आवेदन दिया है।
(पीडि़त नाबालिग : जैसा पत्रिका को बताया)

यह है पूरा मामला :
असलम नट की गिरफ्त से छूटकर भागी नाबालिग दलित लड़की ने एसपी ऑफिस में मंगलवार को पहुंचकर आपबीती सुनाई थी। लिखित शिकायत में उसने आरोप लगाया था कि असलम नट के साथ मिलकर कोतवाली के टीआई केके खनेजा और सिपाही धर्मेंद्र चतुर्वेदी उससे कुछ लोगों के खिलाफ उसका नाम बदलवाकर बलात्कार की फर्जी रिपोर्टं दर्ज करवाई। बाद में अदालत में राजीनामा लिखने के नाम पर रवींंद्र पचौरी से ५० हजार रुपए का सौदा भी करवाया गया। आरोपी असलम नट लगातार पुलिस के संरखण में उसे कई जगह बेंचता रहा और खुलेआम वेश्यावृत्ति कराता रहा। वेश्यावृत्ति का विरोध करने पर आरोपी असलम नट रात-रातभर उसे पीटता रहा। युवती में लिखित शिकायत में खुला आरोप लगाया था कि कोतवाली टीआई केके खनेजा और सिपाही धर्मेंद्र चतुर्वेदी असलम नट से मिले हुए हैं इसलिए वह न्याय पाने के लिए सीधे एसपी ऑफिस आई है। एडिशनल एसपी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत एसआई अंजना दुबे को बुलाकर युवती के लिखित बयान कराए थे।
युवती की रिपोर्ट पर केस दर्ज हो गया है :
– नाबालिग लड़की की रिपोर्ट पर आरोपी असलम नट के खिलाफ सिटी कोतवाली थाना में केस दर्ज कर लिया गया है। पीडि़त युवती ने कोतवाली टीआई केके खनेजा और आरक्षक धर्मेंद्र चतुर्वेदी के खिलाफ भी एक शिकायत दी है। शिकायत मेरे पास अभी आई नहीं है। शिकायत आते ही विभागीय जांच कराई जाएगी। – विनीत खन्ना, एसपी छतरपुर
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