बाल हृदय उपचार योजना से मिली नई जिंदगी, भोपाल में हुआ इलाज
बड़ामलहरा के कैलाश के दिल की बीमारी का हुआ सफ ल इलाज, माधवपुर निवासी बच्चों को स्कूल में जमा करने निवास और आय प्रमाण-पत्र मिले

छतरपुर. तहसील के ग्राम चरखारीखेरा निवासी करोड़ी पाल अपने पुत्र कैलाश की बीमारी से अक्सर परेशान रहते थे। किसी के द्वारा बताए झाड़-फूं क और टोने-टोटके के जरिए बच्चे की बीमारी का इलाज करा रहे थे, लेकिन इसके वाबजूद बच्चे की हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था। करोड़ी पाल गांव की एएनएम के कहने पर बच्चे को शासकीय अस्पताल लेकर गए। चिकित्सक ने बच्चे का परीक्षण कर बताया कि बच्चे के दिल में छेद है और इलाज का खर्च महंगा है।
भोपाल में हुआ ऑपरेशन: इसी बीच एक दिन आरबीएसके की टीम नजदीकी गांव भौंयरा की माध्यमिक शाला में बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करने पहुंची थी। यहां जानकारी मिली कि ग्राम चरखारीखेरा का बच्चा हृदय रोग से पीडि़त है। आरबीएसके टीम के परीक्षण में दिल में छेद होने की पुष्टि होने पर बच्चे के पिता को हरसंभव मदद् और भोपाल में इलाज, परिवहन और भोजन की नि:शुल्क व्यवस्था की गई। इसके बाद डेढ़ लाख रूपए का एस्टीमेट तैयार कराया गया और भोपाल के चिरायु अस्पताल में बच्चे का सफ ल ऑपरेशन हुआ। करोड़ी अपने बच्चे के इलाज से अब खुश है। मुख्यमंत्री बाल हृदय उपचार योजना की तारीफ करते नहीं थकता।
एक दिन में मिला प्रमाण-पत्र: नौगांव तहसील के माधवपुर निवासी परमानंद प्रजापति को एक दिवस में ही लोकसेवा केन्द्र नौगांव में स्थानीय निवासी और आय प्रमाण-पत्र मिला। परमानंद ने सोचा ही नहीं था कि इस तरह के जरूरी दस्तावेज एक ही दिवस में मिलना संभव है। मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाले परमानंद को जानकारी मिली थी कि लोकसेवा केन्द्र से जरूरी दस्तावेज प्राप्त करने के लिए किसी दलाल अथवा अधिकारी-कर्मचारी से संपर्क करने की आवश्यकता नहीं है। पात्र होने पर आवेदन करने के बाद नियत समय में दस्तावेज प्राप्त किए जा सकते हैं। परमानंद ने बताया कि अपने अवयस्क बच्चों के स्कूल में निवास और आय प्रमाण-पत्र की आवश्यकता होने पर उन्होंने लोकसेवा केन्द्र पहुंचकर प्रमाण-पत्र के लिए आवेदन किया और
अब प्रमाण-पत्र मिल जाने से वह खुश है।
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से मिला लाभ
शहर के संकटमोचन मार्ग निवासी 27 वर्षीय उमाशंकर साहू बीए की डिग्री लेने के बाद मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के बारे में जानकारी मिली। सहायक संचालक ने उमाशंकर को योजना और ऋण प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
उमाशंकर ने योजना का लाभ लेने के लिए पैसेंजर ऑटो रिक्शा के लिए आवेदन कर दिया। बैंक ऑफ इंडिया द्वारा योजना में ऋण स्वीकृति के बाद उमाशंकर ने ऑटो रिक्शा खरीदा। योजना में 2 लाख 76 हजार की परियोजना लागत में बैंक ऋण राशि 1 लाख 38 हजार 2 सौ के अलावा मार्जिन मनी सहायता के रूप में 82 हजार 8 सौ का लाभ भी मिला। हितग्राही अंश के रूप में उन्हें मात्र 55 हजार रू. अदा करने पड़े।
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