नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष और बुंदेलखंड में पर्यावरण बचाने के लिए सक्रिय डॉ. पीजी नाजपांडे द्वारा आतिशबाजी से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण के विरुद्ध दायर की गई याचिका पर सुनवाई के बाद एनजीटी ने आदेश जारी कर खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों में पटाखों पर पूरी तरह रोक लगा दी है। इसके अलावा जहां वायु गुणवत्ता मध्यम (मॉडरेट) है वहां सिर्फ ग्रीन पटाखों की दो घंटे के लिए अनुमति दी है। एनजीटी ने अपने आदेश में क्रिसमस और नए वर्ष में दोपहर 11.55 से 12.30 बजे तक सिर्फ ग्रीन पटाखों की अनुमति दी है। यह आदेश एनजीटी के न्यायाधीश शिव कुमार सिंह (न्यायायिक सदस्य) और डॉ. अरुण कुमार वर्मा (विशेषज्ञ सदस्य) की दो सदस्यीय बेंच ने दिए हैं। याचिका की पैरवी अधिवक्ता प्रभात यादव ने की। डॉ. नाजपांडे के साथ रिट दायर करने में रजत भार्गव भी शामिल रहे।
एनजीटी ने अपने आदेश में कहा है कि त्योहारों के अलावा सीमित अवधि के लिए पटाखों का उपयोग करने को जिला मजिस्ट्रेट की पूर्व अनुमति जरूरी होगी। सार्वजनिक स्वास्थ्य पर पडऩे वाले प्रभाव को ध्यान में रखते हुए जिला मजिस्ट्रेट अनुमति देंगे। एनजीटी ने कहा कि चूंकि अभी महामारी जारी है और बढ़ रही है। पटाखों से प्रदूषण में वृद्धि होगी। ग्रीन पटाखे केमिकल युक्त पटाखों से अलग होते हैं। इनसे 30 से 40 फीसदी तक प्रदूषण कम होता है। इसमें किसी प्रकार का एल्यूमोनियम, बेलियम, पोटेशियम नाइट्रेट और कार्बन शामिल नहीं होता। अगर होता भी है तो बहुत कम। दिखने में यह सामान पटाखों की तरह होते हैं। फुलझड़ी, चकरी, फ्लावर पॉट, स्काई शॉट आदि पटाखे शामिल है।