रोड नहीं तो वोट नहीं : जरेहटाकलां में दबंगों ने किया आम रास्ते पर कब्जा, आमरण अनशन पर बैठे ग्रामीण
छतरपुरPublished: Sep 13, 2018 02:56:23 pm
बच्चों का स्कूल जाना बंद, एक गर्भवती महिला व तीन बुजुर्गों की हो चुकी मौत
छतरपुर। आम रास्ते पर कब्जा होने से ग्रामीण खासे परेशान हैं। एक तरफ बच्चों का स्कूल जाना बंद है तो वहीं एक गर्भवती महिला व तीन बुजुर्गों की समय पर इलाज न मिलने के कारण मौत हो चुकी है। अब ग्रामीणों ने रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा लगाकर आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। या तो गांव आने-जाने के लिए सड़क मिलेगी या फिर हम अपनी जान दे देंगे। बैसे भी गांव में रहकर लोग तिल-तिल कर जी रहे हैं। मरीजों को चारपाई से खेतों के रास्ते से इलाज के लिए ले जाना पड़ता है। इस समस्या से जूझ रहे ग्रामीण अब जिला पंचायत कार्यालय के बाहर मजबूर होकर आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। वहीं अनशन पर बैठे दो लोगों की हालत बिगड़ गई है।
रोड नहीं तो वोट नहीं नारा लेकर ग्रामीण आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं। गांव की करीब पांच हजार की आबादी गांव से आने वाले रास्ते पर दबंगों का कब्जा है, ग्रामीणों को करीब एक से डेढ़ किमी का रास्ता तय कर मुख्य सड़क पर आना पड़ता है। इतना ही नहीं गांव में वाहन आने-जाने के लिए भी रास्ता नहीं है। अगर गांव का कोई व्यक्ति बीमार है या फिर किसी महिला की डिलेवरी होना है तब गांव वालों की समस्या और बढ़ जाती है। रात, दिन हो या बारिश ग्रामीणों को इस मुश्किल का खुद सामना करना पड़ता है। गर्भवती महिलाओं को चार पाई पर लिटाकर गांव से डेढ़ किमी तक कंधों पर ले जाना पड़ता है। तब जाकर मुख्य सड़क से कहीं जाने के लिए वाहन मिल पाता है। परेशान ग्रामीणों ने अब सड़क पाने के लिए कमर कस ली है। ग्रामीणों का कहना है या तो अब सड़क मिलेगी या वह आमरण अनशन पर बैठकर अपनी जान दे देंगे। ग्रामीणों ने यह भी कहा कि बैसे भी गांव में रहकर तिल-तिल क जी रहे हैं। इससे अच्छा है कि हम अपने हक की लड़ाई लड़ते हुए अपनी जान दे दें। अनशन में शामिल बीएसपी के पुष्पेंद्र अहिरवार ने कहा कि ग्रामीणों को सड़क न मिलने के कारण अब वे खासे परेशान हैं। उनकी मांग जल्द पूरी होना चाहिए। अगर उनकी मांग प्रशासन द्वारा पूरी नहीं की गई तो बीएसपी के कार्याकर्ता भी अनशन में शामिल होकर उग्र आंदोलन करेंगे।
मामला जनपद पंचायत गौरिहार की ग्राम पंचायत जरेहटाकलां का है। यहां की आबादी करीब पांच हजार की है लेकिन इस गांव तक पहुंचने के लिए कोई मार्ग नहीं है। जिसे मार्ग से ग्रामीण मुख्य सड़क पर आते थे उस पर गांव के पूर्व सरपंच भवानीदीन पाल, राजू पाल, रामभजन पाल, राम अवतार पाल, मिश्रीलाल पाल व नंदी पाल ने गांव के रास्ते पर कब्जा जमा लिया है। रास्ता बंद कर गांव वालों को इन लोगों के द्वारा निकलने नहीं दिया जाता। ग्रामीणों ने इसकी शिकायत २४ अगस्त २०१८ को थाने में इसकी शिकायत की थी। इसके बाद २५ अगस्त को जुझारनगर नायब तहसीलदार से की थी। फिर भी कार्रवाई न होने पर २८ अगस्त को एसडीएम लवकुशनगर से भी इसकी शिकायत की गई लेकिन ग्रामीणों को केवल आश्वासन के कुछ नहीं मिला। ग्रामीणों को गांव से बाहर जाने के लिए करीब डेढ़ किमी का चक्कर लगाना पड़ता है। समस्या उस समय काफी विकराल हो जाती है जब गांव में किसी बुजुर्ग की तबियत खराब हो या फिर भी किसी महिला की डिलेवरी होना हो। ऐसे में ग्रामीणों को चारपाई पर लिटाकर उन्हें गांव के बाहर तक खेतों से होते हुए ले जाना पड़ता है। तब जाकर मुख्य सड़क से वाहन उपलब्ध हो पाता है। अगर मरीज की या गर्भवती महिला की किस्मत ही अच्छी रही तभी उसकी जान बच पाती है। यह सिलसिला कई महिनों से चला आ रहा है। रास्ते पर कब्जा किए जाने के कारण बच्चों का स्कूल आना जाना बंद है। प्रसव पीड़ा के समय रास्ता न मिल पाने के कारण एक गर्भवती महिला की असमय मृत्यु भी हो चुकी है। गांव के तीन बुजुर्गो के बीमार होने पर समय पर अस्पताल न पहुंचने के कारण उसकी मौत हो गई। ग्रामीणों को जब आवेदन और शिकायत करने के बाद भी गांव के बाहर जाने का रास्ता नहीं मिला तो ग्रामीण एकजुट होकर छतरपुर मेलाग्राउंड में जिला पंचायत कार्यालय के सामने आमरण अनशन पर बैठ गए।
ये हैं आमरण अनशन में शामिल
आमरण अनशन में शंभूपाल, मोहनलाल, रामअवतार, संजय अहिरवार, सजन अनुरागी, भगवानदीन, शिवकुमार पाल, महेंद्र पाल, मूलचंद्र साहू, जालिम अहिरवार, प्रमोद पाल, रामकरण विश्वकर्मा, नरेंद्र रैकवार, भगवानदीन रैकवार सहित दर्जनों ग्रामीण अनशन पर बैठे हैं।