scriptबकस्वाहा के जंगल बचाने बुंदेलों ने अब अन्ना हजार से लगाई मदद की गुहार, खून से लिखा पत्र | now appealed to Anna Hazar for help to save the forest of Bakswaha | Patrika News

बकस्वाहा के जंगल बचाने बुंदेलों ने अब अन्ना हजार से लगाई मदद की गुहार, खून से लिखा पत्र

locationछतरपुरPublished: Jun 16, 2021 07:09:31 pm

Submitted by:

Dharmendra Singh

पीएम सीएम को खून से लिखे 500 खत लिखने वाले तारा पाटकर ने अन्ना को भी लिखी खून से चिठ्ठी

ट्वीटर व डाक से भेजा पत्र

ट्वीटर व डाक से भेजा पत्र

छतरपुर। भ्रष्टाचार के खिलाफ देश व्यापी मुहिम चलाने वाले अन्ना हजारे को बक्सवाहा के जंगल को बचाने के लिए बुंदेली समाज ने खून से खत लिखा है। प्रधानमंत्री को इस संबंध में पहले ही खून से करीब पांच सौ एक खत लिख कर बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर के नेतृत्व में भेजे गए हैं। अब समाज सेवी अन्ना हजारे से इस जंगल को बचाने के लिए गुहार लगाई है। पत्र के जरिए अन्ना हजारे से बकस्वाहा जंगल को बचाने की अपील की है। बक्सवाहा जंगल को बचाने की मुहिम में बुंदेली समाज ने कई जिलों के सामाजिक संगठनों को जोड़ लिया है। इसमें हमीरपुर, फतेहपुर, बांदा, चित्रकूट, छतरपुर के संगठन शामिल हैं।
ट्वीटर व डाक से भेजा पत्र
खून से लिखे खत में पाटकर ने अन्ना हजारे को लिखा है कि हम मजबूर होकर आपको अपने खून से खत लिख रहे हैं। प्लीज, बुंदेलखंड के बेशकीमती बक्सवाहा जंगल को कटने से बचाने में हमारी मदद कीजिए। इस जंगल में हीरा भंडार निकल आने के कारण मध्य प्रदेश सरकार ने आदित्य बिड़ला ग्रुप को 2.15 लाख वृक्ष काटने की अनुमति दे दी है। मामला केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय में विचाराधीन है। सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल भी दायर की गई है जिसकी सुनवाई एक जुलाई को है। आप हम बुंदेलों की मदद कीजिए। जय-जय बुंदेलखंड। अन्ना हजारे को खून से खत लिखकर डाक के जरिए भेजने के साथ उनके ट््वीटर पर भी ट््वीट कर मदद मांगी गई है। इसमें बुंदेली समाज के साथ अन्य जिलों के सामाजिक संगठन के पदाधिकारियों ने भी ट््वीट किया है।
मांग पूरी होने तक संसद की परिक्रमा
तारा पाटकर ने बताया कि विश्व योग दिवस पर 21 जून से बुंदेली समाज चित्रकूट से साइकिल से दिल्ली की यात्रा शुरु करेगा। यात्रा 23 जून को छतरपुर जिला मुख्यालय पहुंचेगी। इसके बाद साइकिल यात्रा दिल्ली पहुंचकर संसद की परिक्रमा करेगी। संसद की परिक्रमा रोजाना सुबह 7 बजे से शुरु होगी जो शाम तक चलेगी। परिक्रमा का ये सिलसिला तब तक जारी रहेगा, जब तक देश की संसद बकस्वाहा के जंगलों की सुध नहीं लेती।
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