ट्वीटर व डाक से भेजा पत्र
खून से लिखे खत में पाटकर ने अन्ना हजारे को लिखा है कि हम मजबूर होकर आपको अपने खून से खत लिख रहे हैं। प्लीज, बुंदेलखंड के बेशकीमती बक्सवाहा जंगल को कटने से बचाने में हमारी मदद कीजिए। इस जंगल में हीरा भंडार निकल आने के कारण मध्य प्रदेश सरकार ने आदित्य बिड़ला ग्रुप को 2.15 लाख वृक्ष काटने की अनुमति दे दी है। मामला केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय में विचाराधीन है। सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल भी दायर की गई है जिसकी सुनवाई एक जुलाई को है। आप हम बुंदेलों की मदद कीजिए। जय-जय बुंदेलखंड। अन्ना हजारे को खून से खत लिखकर डाक के जरिए भेजने के साथ उनके ट््वीटर पर भी ट््वीट कर मदद मांगी गई है। इसमें बुंदेली समाज के साथ अन्य जिलों के सामाजिक संगठन के पदाधिकारियों ने भी ट््वीट किया है।
खून से लिखे खत में पाटकर ने अन्ना हजारे को लिखा है कि हम मजबूर होकर आपको अपने खून से खत लिख रहे हैं। प्लीज, बुंदेलखंड के बेशकीमती बक्सवाहा जंगल को कटने से बचाने में हमारी मदद कीजिए। इस जंगल में हीरा भंडार निकल आने के कारण मध्य प्रदेश सरकार ने आदित्य बिड़ला ग्रुप को 2.15 लाख वृक्ष काटने की अनुमति दे दी है। मामला केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय में विचाराधीन है। सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल भी दायर की गई है जिसकी सुनवाई एक जुलाई को है। आप हम बुंदेलों की मदद कीजिए। जय-जय बुंदेलखंड। अन्ना हजारे को खून से खत लिखकर डाक के जरिए भेजने के साथ उनके ट््वीटर पर भी ट््वीट कर मदद मांगी गई है। इसमें बुंदेली समाज के साथ अन्य जिलों के सामाजिक संगठन के पदाधिकारियों ने भी ट््वीट किया है।
मांग पूरी होने तक संसद की परिक्रमा
तारा पाटकर ने बताया कि विश्व योग दिवस पर 21 जून से बुंदेली समाज चित्रकूट से साइकिल से दिल्ली की यात्रा शुरु करेगा। यात्रा 23 जून को छतरपुर जिला मुख्यालय पहुंचेगी। इसके बाद साइकिल यात्रा दिल्ली पहुंचकर संसद की परिक्रमा करेगी। संसद की परिक्रमा रोजाना सुबह 7 बजे से शुरु होगी जो शाम तक चलेगी। परिक्रमा का ये सिलसिला तब तक जारी रहेगा, जब तक देश की संसद बकस्वाहा के जंगलों की सुध नहीं लेती।
तारा पाटकर ने बताया कि विश्व योग दिवस पर 21 जून से बुंदेली समाज चित्रकूट से साइकिल से दिल्ली की यात्रा शुरु करेगा। यात्रा 23 जून को छतरपुर जिला मुख्यालय पहुंचेगी। इसके बाद साइकिल यात्रा दिल्ली पहुंचकर संसद की परिक्रमा करेगी। संसद की परिक्रमा रोजाना सुबह 7 बजे से शुरु होगी जो शाम तक चलेगी। परिक्रमा का ये सिलसिला तब तक जारी रहेगा, जब तक देश की संसद बकस्वाहा के जंगलों की सुध नहीं लेती।