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बक्स्वाहा के जंगल बचाने अब अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संरक्षण मंचों से लगाई गुहार

locationछतरपुरPublished: Jul 22, 2021 06:48:44 pm

Submitted by:

Dharmendra Singh

इंटरनेशनल यूनियन फार कंजरवेशन ऑफ नेचर को पर्यावरण कार्यकर्ता ने भेजी याचिकाबिहार के पीपल अभियान के पर्यावरण कार्यकर्ता 24 जुलाई से शुरु करेंगे साइकिल यात्रा

जंगल बचाने के लिए हर स्तर पर संघर्ष की योजना

जंगल बचाने के लिए हर स्तर पर संघर्ष की योजना

छतरपुर। बकस्वाहा के जंगल बचाने के लिए पर्यावरण कार्यकर्ता ने अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संरक्षण मंच से भी गुहार लगाई है। पर्यावरण एक्टिविस्ट डॉ. पुष्पराग शर्मा ने संयुक्त राष्ट्र संघ से संबद्ध इंटरनेशनल यूनियन फार कंजरवेशन ऑफ नेचर को याचिका भेजी है। याचिका में कहा गया कि बकस्वाहा जैव विविधता से भरपूर प्राकृतिक वन क्षेत्र है। यहां 2.15 लाख पेड़ काटे जाने से उसमें रहने वाले जंगली जानवर, पशु-पक्षी, कीट-पतंगे और पुरातत्व महत्व के शैल चित्रों को भारी नुकसान पहुंचेगा। इसके अलावा जंगल के बीच से बहने वाली नदी भी खत्म हो जाएगी। पर्यावरण एक्टिविस्ट डॉ. शर्मा ने इसके अलावा प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को भी यही याचिका भेजी है।
जंगल बचाने के लिए हर स्तर पर संघर्ष की योजना
पर्यावरण एक्टिविस्ट डॉ. पुष्पराग शर्मा का कहना है कि बकस्वाहा जंगल में हीरा खनन का निर्णय पर्यावरण को नष्ट करने वाला है। इतनी बड़ी संख्या में पेड़ कटने से बुंदेलखंड सहित आसपास क्षेत्रों में आपदा को आमंत्रण मिलेगा। उन्होंने बताया कि जंगल बचाने के लिए हर स्तर पर संघर्ष जारी रहेगा। देश के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण विदों और संगठनों का सहयोग मिल रहा है। वहीं, बकस्वाहा जंगल के पेड़ों को काटने पर एनजीटी द्वारा लगाई गई रोक और यहां के बेहद दुर्लभ शैल चित्रों-रॉक पेटिंग को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा केंद्र व मध्य प्रदेश सरकार से जवाब मांगने से पर्यावरण पैरोकारों की लड़ाई नए मोड़ पर आ गई है।
ुिबहार के एक्टिविस्ट साइकिल से आएंगे बकस्वाहा
बकस्वाहा जंगल व केन-बेतवा नदी जोड़ा परियोजना के लिए लाखों पेड़ों को काटने की योजना के विरोध में पीपल, नीम, तुलसी अभियान संस्थापक डॉ. धर्मेंद्र और मुजफ्फरपुर की एक टीम 24 जुलाई से साइकिल यात्रा शुरू करेगी। टीम के सदस्य और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के छात्र सिद्धार्थ झा ने बताया कि साइकिल यात्रा पटना के रास्ते से होकर आरा, बनारस, मिर्जापुर, प्रयागराज और बांदा होते हुए छतरपुर के बकस्वाहा जंगल पहुंचेगी।
एनजीटी ने 4 सप्ताह में मांगी है रिपोर्ट
बकस्वाहा जंगल में ३८२ हेक्टेयर भूमि को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा हीरा खदान के लिए बिरला ग्रुप की एक्सल माइनिंग एडं एंडस्ट्रीज को 50 साल के पट्टे पर दिया है। हीरा खनन के लिए जंगल में लगे 2.15 लाख से ज्यादा हरे पेड़-पौधे काटे जाना है। एनजीटी ने डॉ. पीजी नाजपांडे और उज्ज्वल शर्मा द्वारा दायर रिट पर सुनवाई के बाद 30 जून को पेड़ों की कटान पर रोक लगाकर चार हफ्ते में प्रदेश सरकार से जवाब मांगा हुआ है।
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