scriptडीएपी की कमी दूर करने 4 हजार मीट्रिक टन आएगी एनपीके खाद | NPK fertilizer will come to overcome shortage of DAP | Patrika News

डीएपी की कमी दूर करने 4 हजार मीट्रिक टन आएगी एनपीके खाद

locationछतरपुरPublished: Nov 16, 2021 06:24:44 pm

Submitted by:

Dharmendra Singh

डीएपी के संकट से निपटने वैकल्पिक खाद का इस्तेमाल करने की सलाहइस बार रैक प्वाइंट से नहीं, गोदामों से लिए गए 203 सैंपल

विभाग के अधिकारी दे रहे किसानों को सलाह

विभाग के अधिकारी दे रहे किसानों को सलाह

छतरपुर। जिले में डीएपी संकट को दूर करने के लिए अब शासन 4 हजार मीट्रिक टन एपीके खाद की रैक भेज रहा है। एनपीके खाद डीएपी के विकल्प के रुप में किसान बोबनी के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके साथ ही कृषि विभाग यूरिया और सुपर फास्फेट के मिश्रण को भी डीएपी के विकल्प के रुप में इस्तेमाल करने की सलाह दे रहा है। बोबनी के लिए डीएपी की मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को कम करने के लिए अब वैकल्पिक खादों के इस्तेमाल पर फोकस किया जा रहा है। खाद वितरण केन्द्रों पर वैकल्पिक खाद के नाम व इस्तेमाल करने के तरीके भी बताए जा रहे हैं।
विभाग के अधिकारी दे रहे किसानों को सलाह
कृषि वैज्ञानिकों की सलाह है कि वह डीएपी का विकल्प यूरिया और सुपर फास्फेट का उपयोग करें। सहायक संचालक कृषि व एसडीओ छतरपुर डॉ बीपी सूत्रकार ने ग्रामीण क्षेत्रों पर जाकर किसानों को समझाइश दी कि डीएपी के स्थान पर यूरिया तथा सुपर फास्फेट खाद का उपयोग भी किया जा सकता है। डीएपी में मिलने वाले नत्रजन एवं फास्फोरस की मात्रा की पूर्ति यूरिया तथा सुपर फास्फेट से भी हो जाती है, साथ में सल्फर तत्व भी मिल जाता है।
एनपीके में पोटाश का भी मिलेगा फसल को फायदा
एनपीके खाद की 4 हजार मीट्रिक टन खाद की रैक चार दिन में आने की संभावना है। एनपीके मिलने से किसानों को डीएपी के विकल्प के रुप में खाद उपलब्ध होने लगेगा। कृषि विभाग के मुताबिक एनपीके में यूरिया, फास्फोरस और पोटाश का मिश्रण होता है। इसमें पोटाश अतिरिक्त रुप से मिलता है, जो फसलों के लिए फायदेमंद होता है। ऐसे में डीएपी की कमी दूर होने के साथ फसल के लिए भी एनपीके फायदेमंद साबित हो सकती है।
खेतों तक पहुंच रहे अधिकारी
एसडीओ कृषि ने महाराजपुर इलाके खेतों में पहुंचकर किसानों से चर्चा की। किसानों की समस्याओं का तकनीकी समाधान भी बताया गया। इसके साथ ही किसानों के पास उपलब्ध पानी की मात्रा के अनुसार कम पानी की फसलें बोने की सलाह अनुविभागीय कृषि अधिकारी छतरपुर के द्वारा दी गई। फसलों में ड्रिप सिस्टम तथा स्प्रिंकलर से सिंचाई, बीज का उपचार, लाइन में बुवाई, प्रमाणित बीज का उपयोग करने की सलाह भी दी गई।
इस बार गोदामों में लिए सैंपल
जिले में अब तक दो बार डीएपी और दो बार यूरिया की रैक आई है। इन रैक में आई खाद का सैंपल इस बार रैक प्वाइंट पर न लेकर डबल लॉक गोदामों से लिया गया। पूरे जिले से 203 सैंपल लेकर उज्जैन, सागर, जबलपुर और ग्वालियर भेजे गए हैं। हालांकि इस बार भी सैंपल रिपोर्ट आने के पहले ही खाद का वितरण किया गया है। खाद की कमी और मांग बढऩे पर हर बार की तरह इस बार भी सैंपल रिपोर्ट का इंतजार किए बिना खाद बांटी गई। जबकि वर्ष 2019 में 2600 मीट्रिक टन खाद खेतों में खपने के बाद आई रिपोर्ट में खाद अमानक पाई गई थी। इस बार भी अबतक आई खाद बंट चुकी है। जो किसान खेतों में खपा भी चुके हैं। ऐसे में कोई सैंपल फेल हुआ तो हजारों किसानों की मेहनत, पैसा बर्बाद होने की आशंका बनी हुई है।
ये है अभी तक की स्थिति
जिले में रबी सीजन के लिए 78 हजार 200 मीट्रिक टन खाद की मांग है। जिसमें से 41 हजार मीट्रिक टन यूरिया, 35 हजार मीट्रिक टन डीएपी और सुपर फास्फेट 2000 मीट्रिक टन व पोटाश 100 मीट्रिक टन की मांग है। जिले में अब तक डीएपी,यूरिया व अन्य खाद 37855 मीट्रिक टन ही उपलब्ध हो पाया है। जिसमें से 25925 मीट्रिक टन खाद ही अभी तक किसानों को सरकारी व निजी गोदामों से बेची गई है। वहीं 11930 मीट्रिक टन खाद शेष बचा है, जिसमें सबसे ज्यादा यूरिया 8919 मीट्रिक टन का स्टॉक है।

फैक्ट फाइल

डीएपी की मांग- 35000 मीट्रिक टन
यूरिया की मांग- 41000 मीट्रक टन
डीएपी की कुल उपलब्धता – 2140 मीट्रिक टन
यूरिया की उपलब्धता- 19918 मीट्रिक टन

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो