कोर्ट में पक्ष न रखने से गई जमीन
न्यायालय तृतीय व्यवहार न्यायाधीश छतरपुर द्वारा विश्वविद्यालय को आंवटित जमीन में से 1.355 हेक्टेयर यानि 3.34 एकड़ जमीन के केस में पट्टेधारक के पक्ष में फैसला दे दिया है। दो अलग अलग खसरा क्रमांक की कुल 3.34 एकड़ जमीन पर अनरिया तनय नगला बसोर निवासी बगौता ने कोर्ट में केस दायर किया था। इस केस में विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपना पक्ष तक न्यायालय में नहीं रखा, जिसके चलते जमीन का केस अनरिया ने जीत लिया है।
न्यायालय तृतीय व्यवहार न्यायाधीश छतरपुर द्वारा विश्वविद्यालय को आंवटित जमीन में से 1.355 हेक्टेयर यानि 3.34 एकड़ जमीन के केस में पट्टेधारक के पक्ष में फैसला दे दिया है। दो अलग अलग खसरा क्रमांक की कुल 3.34 एकड़ जमीन पर अनरिया तनय नगला बसोर निवासी बगौता ने कोर्ट में केस दायर किया था। इस केस में विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपना पक्ष तक न्यायालय में नहीं रखा, जिसके चलते जमीन का केस अनरिया ने जीत लिया है।
कार्यपरिषद के सदस्यों ने देखा कब्जा, तो फेंसिग को बताया जरूरी
11 वीं कार्यपरिषद के पहले बैठक में सदस्यों ने मौके पर जाकर देखा तो पाया कि आवंटित जमीन पर फेंसिंग न होने से लगातार कब्जा हो रहा है। इसे रोकने के लिए 7 मार्च 2020 में हुई कार्यपरिषद की 12वीं बैठक में निर्णय लिया गया कि 9990 मीटर लंबाई तक 45 लाख की लागत से लोहे के कटीले तार से फेसिंग कराई जाए। जीएससी समेत इस कार्य के लिए 50 लाख रुपए की स्वीकृति दी गई। लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने तार फेंसिंग ही नहीं कराई।
11 वीं कार्यपरिषद के पहले बैठक में सदस्यों ने मौके पर जाकर देखा तो पाया कि आवंटित जमीन पर फेंसिंग न होने से लगातार कब्जा हो रहा है। इसे रोकने के लिए 7 मार्च 2020 में हुई कार्यपरिषद की 12वीं बैठक में निर्णय लिया गया कि 9990 मीटर लंबाई तक 45 लाख की लागत से लोहे के कटीले तार से फेसिंग कराई जाए। जीएससी समेत इस कार्य के लिए 50 लाख रुपए की स्वीकृति दी गई। लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने तार फेंसिंग ही नहीं कराई।
विश्वविद्यालय के खाते में 40 करोड़
महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के खाते में 40 करोड़ रुपए जमा है। विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद ने तार फेंसिंग की मंजूरी भी दे दी है। लेकिन अपने कर्तव्यों के प्रति घोर लापरवाही बरतने वाले अधिकारी अपनी गलती मानने या सुधारने के बजाए बहानेबाजी कर रहे हैं। विश्वविद्यालय की जमीन पर फेंसिंग न होने के पीछे बजट न होने का हवाला दे रहे हैं। विश्वविद्यालय अधिकारियों को विवि को आंवटित जमीन की बंदरबाट से कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। खुद जिम्मेदार अधिकारी ही विश्वविद्यालय को पलीता लगा रहे हैं।
महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के खाते में 40 करोड़ रुपए जमा है। विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद ने तार फेंसिंग की मंजूरी भी दे दी है। लेकिन अपने कर्तव्यों के प्रति घोर लापरवाही बरतने वाले अधिकारी अपनी गलती मानने या सुधारने के बजाए बहानेबाजी कर रहे हैं। विश्वविद्यालय की जमीन पर फेंसिंग न होने के पीछे बजट न होने का हवाला दे रहे हैं। विश्वविद्यालय अधिकारियों को विवि को आंवटित जमीन की बंदरबाट से कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। खुद जिम्मेदार अधिकारी ही विश्वविद्यालय को पलीता लगा रहे हैं।
ये कहना है जिम्मेदार का विश्वविद्यालय के लिए आवंटित जमीन पर फेंसिंग के लिए बजट नहीं है। बजट की मांग कर फेंसिंग कराई जाएगी। कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की जाएगी। जेपी मिश्रा, रजिस्ट्रार