जिले में खरीफ फसल की बोबनी में सोयाबीन तीसरे नंबर की सबसे ज्यादा बोई गई है। जिले में सबसे ज्यादा उड़द की बोवनी 2 लाख 28 हजार 570 हेक्टेयर में बोई गई है। दूसरे नंबर पर तिल की बोबनी 1 लाख 40 हजार 680 हेक्ेटेयर में बोई गई है। वहीं, तीसरे नंबर पर सोयाबीन 42020 हेक्टेयर में बोई गई है। मूंगफली 35620 हेक्टेयर में, मूंग 3820 हेक्टेयर में, अरहर 2510 हेक्टेयर, धान 1940 हेक्टेयर, ज्वार 4110 हेक्टेयर, मक्का 150 हेक्टेयर में बोबनी की गई है।
जिला स्तर पर उड़द व मूंग को फसल बीमा के लिए नोटिफाई किया गया है। वहीं तहसील स्तर पर मूंगफली और तिल को नोटिफाई किया गया है। जिले की छतरपुर, राजनगर, नौगांव, महाराजपुर, लवकुशनगर और बक्स्वाहा तहसील में मूंगफली व तिल को नोटिफाई किया गया है। वहीं, पटवारी हल्का स्तर सोयाबीन को नोटिफाई किया गया है, लेकिन जिले की सिर्फ 6 पटवारी हल्का में ही सोयाबीन नोटिफाइ किया गया है, 76 हल्कों में सोयाबीन नोटिफाई नहीं हुआ है।
उड़द, मूंग की फसल को जिला स्तर पर नोटिफाई किया गया है, जिले की सभी तहसीलों में नुकसान होने पर ही इन दोनों फसलों की बीमा का क्लेम मिल पाएगा। वहीं, मूंगफली, तिल को जिले की 11 में से सिर्फ 6 तहसीलों में ही नोटिफाई किया गया है,ऐसे में सिर्फ 6 तहसील के किसानों को ही नुकसान की बीमा राशि से भरपाई होगी, बिना नोटिफाई वाली तहसील के किसानों को फसल का नुकसान होने पर भरपाई नहीं हो पाएगी। इसी तरह सोयाबीन के वल 6 पटवारी हल्कों में ही नोटिफाई की गई है, जिले के 76 पटवारी हल्कों में सोयाबीन की बोबनी करने वाले किसानों को नुकसान की भरपाई नहीं हो पाएगी।