महुआ और गुड़ सड़ाकर कच्ची शराब बनाते हैं। जिले में महुआ का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है। महुआ या गुड़ सड़ जाता है तो इसे बड़े बर्तन में भट्टी पर पकने रखते हैं। एक नाली नुमा पाइप से बर्तन से भाप बोतल में इक_ी करते हैं। भाप ठंडी होने पर तरल रूप में आ जाती है। शराब में नशा बढ़ाने यूरिया, ऑक्सीटोसिन, बेसरम मिलाते हैं। यह जहर का काम करता है। यूरिया में नाइट्रोजन होता है, जो शरीर को नुकसान पहुंचाता है। लगातार सेवन से शरीर के अंदरूनी अंग काम करना बंद कर देते हैं। ज्यादा मात्रा होने पर मौत हो जाती है। ओपी से अवैध शराब बनाने वालों के पास मापदंड नहीं होता है। केमिकल कम ज्यादा होने पर शराब जहरीली हो जाती है, जो जान भी ले सकती है। जंगलों में महुआ शराब बनाई जा रही है। इसमें नशा बढ़ाने के लिए यूरिया और नौसादर का उपयोग किया जा रहा है। इस शराब के सेवन से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। चिकित्सकों के अनुसार यह शराब शरीर को काफी नुकसान पहुंचा सकती है। इससे मृत्यु तक हो सकती है।
आबकारी विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक कच्ची शराब बनाने के ज्यादातर मामले बिजावर, किशनगढ़ और हरपालपुर क्षेत्र के दुर्गम ग्रामीण इलाकों से सामने आते हैं। इन इलाकों में सस्ती शराब मुहैया कराने के लिए कई परिवार पारंपरिक रूप से महुए और लाहन से इसका निर्माण करते हैं। कई जनजातियां शराब बनाने और बेचने का काम करती आ रही हैं। आमतौर पर हर थाना क्षेत्र में कच्ची शराब बनाने के कुछ इलाके चिन्हित हैं फिर भी समय पर कार्यवाही न हो पाने के कारण यह कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है।
मुरैना में 50 रुपए की रेट पर बिकने वाली जहरीली शराब का क्वार्टर पीकर 24 लोगों ने जान गंवा दी। इसके लिए जितना दोषी शराब बनाकर तस्करी करने वाला माफिया है, उससे अधिक जिम्मेदार आबकारी महकमा है। छतरपुर जिले में भी देशी शराब के ठेका चलाने वाले दुकानदार प्लेन देशी मदिरा के लिए शासन द्वारा निर्धारित एमएसपी (मिनिमम सेलिंग प्राइज) 60 रुपए तथा एमआरपी (मैक्सिमम सेलिंग प्राइज) 75 रुपए से डेढ़ गुना अधिक यानि 110 रुपए में क्वार्टर बेच रहे हैं। अमूमन 90 रुपए में बिक रही देशी शराब की कीमत को शराब ठेकेदार ने लॉकडाउन के बाद बढ़ाकर 110 रुपए कर दिया। इसका लाभ अवैध शराब बनाने वालों ने उठाया। उन्होंने सस्ती ओपी खरीदने के बाद खेत-खलिहान में अवैध शराब बनानी शुरू कर दी। चूंकि 110 रुपए वाला क्वार्टर 50 रुपए में गांवों में लोगों को मिल रहा है, इसलिए इसी शराब का सेवन ज्यादातर ग्रामीण कर रहे हैं। अगर यही देशी शराब सरकारी दुकानों से एमएसपी और एमआरपी यानि 60 से 75 रुपए के बीच मिलती तो संभवत शराब के उपभोक्ता ओपी (ओपर प्रूफ) जहरीली शराब का सेवन करने का रिस्क न उठाते।
मुख्यमंत्री की हिदायत और सख्ती के बाद जिले में आबकारी एवं पुलिस की टीम गठित कर अवैध मदिरा के ठिकानों पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए है। आदेश के निर्देशों के अनुक्रम में आबकारी दल एवं गरौली, हरपालपुर थाना पुलिस द्वारा संयुक्त टीम बनाकर इमलिया ग्राम में अवैध शराब निर्माण की फैक्ट्री पर छापामार कार्रवाई की गई। कार्रवाई में अवैध शराब निर्माण की भट्टियों को नष्ट किया गया। 5000 किलोग्राम महुआ लहान , 25लीटर हाथ भट्टी मदिरा, 5 लीटर देसी सादा मदिरा एवं मदिरा निर्माण की सामग्री को जब्त किया गया। जब्त सामग्री की अनुमानित कीमत लगभग 2 लाख 70 हजार है।