बजरंग सेना चला रही जन जागरण अभियान
एक महीने से पूरे देश मे बकस्वाहा के जंगल से सवा दो लाख पेड़ काटे जाने का विरोध ट्विटर व फेसबुक के माध्यम से चल रहा है। इसी क्रम में बजरंग सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बकस्वाहा पहुंचकर पेड़ो में रक्षा सूत्र बांधकर पेड़ो की रक्षा करने का संकल्प लिया । पटेरिया ने बताया कि बुंदेलखंड का हमेशा से दोहन होता रहा है। यहां से रेत का उत्खनन, बड़े-बड़े पहाड़ो का उत्खनन हो रहा है और अब जंगलों को काटा जा रहा है। इससे बुंदेलखंड के लोगो को न कभी लाभ हुआ है। इस जंगल से जो हजारों करोड़ का हीरा निकलेगा उसका लाभ सरकार और हीरा खोदने बाली कंपनी को होना है। इसलिए बजरंग सेना ने संकल्प लिया है कि हम इस जंगल को नही कटने देंगे। इन्हें बचाने के लिए बजरंग सेना देश के प्रधानमंत्री और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन कलेक्टर को सौंप चुकी है। 5 जून को प्रधानमंत्री के नाम खून से लिखे पत्र भेजे गए। इसके साथ ही गांव-गांव जाकर जन जागरण अभियान चलाया जा रहा है। लोगों को पेड़ कटने से होने बाले दुष्परिणामों के बारे में बताया जा रहा है और एक बड़े आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जा रही है। इस मुहिम में बजरंग सेना राष्ट्रीय संयोजक रघुनंदन शर्मा, राष्ट्रीय प्रभारी अरुण पाठक, राष्ट्रीय महासचिव अशोक शर्मा, मध्यप्रदेश अध्यक्ष अमरीश राय, युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष भय्यू यादव, नर्मदाखण्ड मध्यप्रदेश अध्यक्ष मुन्ना महाराज, राष्ट्रीय सचिव निशिकांत अवस्थी, तनुज गंगेल,े रज्जन परमार,आशीष सेन, विक्की यादव और मिंटू चौरसिया सहित दर्जनों युवा शामिल रहे।
एक महीने से पूरे देश मे बकस्वाहा के जंगल से सवा दो लाख पेड़ काटे जाने का विरोध ट्विटर व फेसबुक के माध्यम से चल रहा है। इसी क्रम में बजरंग सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बकस्वाहा पहुंचकर पेड़ो में रक्षा सूत्र बांधकर पेड़ो की रक्षा करने का संकल्प लिया । पटेरिया ने बताया कि बुंदेलखंड का हमेशा से दोहन होता रहा है। यहां से रेत का उत्खनन, बड़े-बड़े पहाड़ो का उत्खनन हो रहा है और अब जंगलों को काटा जा रहा है। इससे बुंदेलखंड के लोगो को न कभी लाभ हुआ है। इस जंगल से जो हजारों करोड़ का हीरा निकलेगा उसका लाभ सरकार और हीरा खोदने बाली कंपनी को होना है। इसलिए बजरंग सेना ने संकल्प लिया है कि हम इस जंगल को नही कटने देंगे। इन्हें बचाने के लिए बजरंग सेना देश के प्रधानमंत्री और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन कलेक्टर को सौंप चुकी है। 5 जून को प्रधानमंत्री के नाम खून से लिखे पत्र भेजे गए। इसके साथ ही गांव-गांव जाकर जन जागरण अभियान चलाया जा रहा है। लोगों को पेड़ कटने से होने बाले दुष्परिणामों के बारे में बताया जा रहा है और एक बड़े आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जा रही है। इस मुहिम में बजरंग सेना राष्ट्रीय संयोजक रघुनंदन शर्मा, राष्ट्रीय प्रभारी अरुण पाठक, राष्ट्रीय महासचिव अशोक शर्मा, मध्यप्रदेश अध्यक्ष अमरीश राय, युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष भय्यू यादव, नर्मदाखण्ड मध्यप्रदेश अध्यक्ष मुन्ना महाराज, राष्ट्रीय सचिव निशिकांत अवस्थी, तनुज गंगेल,े रज्जन परमार,आशीष सेन, विक्की यादव और मिंटू चौरसिया सहित दर्जनों युवा शामिल रहे।
बकस्वाहा के जंगल बचाने होगा राष्ट्रीय कोर कमेटी का गठन पर्यावरण बचाओ अभियान के तहत 12 जून को देशभर के पर्यावरण प्रेमियों की गूगल मीट के जरिए परिचर्चा का आयोजन किया गया। बकस्वाहा के जंगल बचाने बकस्वाहा जंगल बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता अमित भटनागर ने बताया कि गूगल मीट में पर्यावरणविद, वैज्ञानिक, सामाजिक चिंतक, लेखक सहित पर्यावरण प्रेमी, व नामचीन हस्तियों ने भाग लिया। मीट में शामिल सभी लोगों बक्स्वाहा के जंगल बचाने के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर करते बक्स्वाहा जंगल बचाओ आंदोलन की राष्ट्रीय स्तर पर कोर कमेटी गठित करने की बात कही। भटनागर वे बताया कि राष्ट्रीय कोर कमेटी के साथ ही प्रदेश, बुंदेलखंड, जिला व ग्राम स्तरीय कोर कमेटियों के गठित का भी निर्णय लिया गया है। जल्दी इसमें देशभर के कई सेवानिवृत्त आईएएस, आईपीएस प्रशासनिक सेवा अधिकारी भी शामिल होंगे। प्रबुद्ध सामाजिक कार्यकर्ताओं व पर्यावरण प्रेमियों को जोड़कर आगामी रणनीति व दिशा निर्देश जारी किए जाएंगे।
दो बार के राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता दिल्ली के भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व सहायक महानिर्देशक डॉ सदाचारी सिंह तोमर, सतना से भारतीय किसान यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष ईश्वर चंद त्रिपाठी, भोपाल से पर्यावरण बचाओ अभियान के संस्थापक शरद सिंह कुमरे, पद्मश्री बाबूलाल दाहिया, छतरपुर से आंदोलनकारी समजिकक कार्यकर्ता अमित भटनागर, किसान क्रांति के दिलीप शर्मा, बकस्वाहा के संकल्प जैन, उमरिया से राजकुमार विद्यार्थी, ज्योति वर्मा, परमजीत सिंह, डॉ शुभम शैय्याम, अमित शर्मा, आफताब आलम हाशमी सहित कृषि वैज्ञानिक, पर्यावरणविद, सामाजिक चिंतक, लेखक आदि पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि पर्यावरण और जंगल के विनाश के साथ जीवन का भी विनाश होना निश्चित है।इसलिए पैसो के लिए जनजीवन को खतरे में डालने वाली बकस्वाहा हीरा परियोजना जैसे काम की मंजूरी नही दी जानी चाहिए। फिर भी यदि सरकार नही मानती तो जनांदोलन के लिए हम तैयार हैं।