छतरपुरPublished: Sep 21, 2018 12:01:36 pm
Neeraj soni
पुलिस कार्रवाई की धीमी रफ्तार से दुखी है रमन के परिजन, बोले वे कुछ भी कर सकते हैं
Raman Richaria did not investigate police inquiry into suicide
छतरपुर। बैंक ऑफ इंडिया में हुए करोड़ों रुपए से अधिक केसीसी घोटाला के आरोपियों को बचाने के आरोपों से घिरी जिले की पुलिस अब भी इस मामले में ईमानदार नहीं हो पाई है। घोटाला के आरोपियों की प्रताडऩा से परेशान होकर आत्महत्या करने वाले बैंक के पूर्व सहायक प्रबंधक रमन रिछारिया की मौत के मामले में जांच अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है। रमन की मौत को एक माह गुजरने वाले हैं, लेकिन पुलिस ने इस मामले में संदेही बताए गए लोगों से भी पूछताछ नहीं की है। ओरछा रोड थाना पुलिस मामले को जांच में होना बता रही है। उधर पुलिस के रवैये से दुखी रमन रिछारिया की पत्नी दीपिका और परिजनों ने कहा है कि अगर उन्हें न्याय नहीं मिला तो वह कुछ भी कदम उठा सकते हैं। जिसके लिए जिला पुलिस प्रशासन और रमन को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने वाले घोटाला के मुख्य कर्ता-धर्ता जिला पंचायत उपाध्यक्ष अमित पटैरिया और उसका दलाल मंजूलाल तिवारी होगा।
बैंक ऑफ इंडिया में तीन साल पहले 7 करोड़ रुपए से अधिका का केसीसी घोटाला हुआ था। इस घोटाला में शामिल बैंक के तत्कालीन प्रबंधक आमिर सिंह धुर्वे ने जिला पंचायत उपाध्यक्ष अमित पटैरिया, उसके दलाल मंजूलाल तिवारी के साथ मिलकर करोड़ों रुपए का घोटाला किया था। इस मामले में बैंक के सहायम प्रबंधक रमन रिछारिया पर भी आरोप लगे थे। इन सभी के साथ रमन पर भी केस दर्ज किया गया था। रमन ने इस पूरे घोटाले पर से पर्दा उठाया था। लेकिन रसूखदार लोगों ने मिलकर रमन को इस हद तक प्रताडि़त किया कि उसने पिछले महीने 23 सितंबर को मलपुरा स्थित अपने पुश्तैनी घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। पुलिस ने मर्ग कायम कर घटना को जांच में लिया था, लेकिन घटना के करीब एक महीने बाद भी पुलिस अब तक जांच पूरी नहीं कर पाई है। ऐसे में एक बार फिर पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े होने लगे हैं। पूर्व में भी पुलिस ने बैंक घोटाला की जांंच के दौरान पहली एफआइआर के बाद जिला पंचायत उपाध्यक्ष अमित पटैरिया और मंजूलाल तिवारी के नाम एफआइआर में जोड़े थे। लेकिन अंतिम चालान पेश करने से पहले पुलिस ने अपनी ही जांच को बदलकर इनके नाम अंतिम चालान से हटा दिए थे। इस पर घोटाला के पीडि़त व्यक्ति कोर्ट में पुलिस के खिलाफ इश्तगाशा पेश करने पहुंच गए। उधर आरोपियों ने खुद के नाम एफआइआर से हटाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने मंजूलाल तिवारी को अग्रिम जमानत देने से मना करते हुए जिला पंचायत उपाध्यक्ष अमित पटैरिया को सेशल कोर्ट में पेश होने के लिए पिछले साल अक्टूबर में कहा था, लेकिन एक साल बाद भी अमित पटैरिया कोर्ट में पेश नहीं हुआ। उधर मंजूलाल तिवारी के साथ मिलकर वह लगातार पुलिस के संरक्षण मेें रहते हुए राजनीतिक रसूक के चलते अपना नाम अलग कराने के लिए प्रयासरत है।
बयानों के आधार पर भी नहीं हुई एफआइआर :
रमन रिछारिया की आत्महत्या के बाद जब मामले ने तूल पकड़ा तो एडिशनल एसपी जयराज कुबेर ने कहा था कि परिजनों के बयानों के आधार पर इस मामले में कार्रवाई होगी। रमन के परिजनों का साफ आरोप था कि जिला पंचायत उपाध्यक्ष अमित पटैरिया और मंजूलाल तिवारी की प्रताडऩा से परेशान होकर ही रमन ने आत्महत्या की। इन बयानों के सामने आने के बाद भी आज तक पुलिस ने मामले में कोई कायमी नहीं की। उधर रमन के परिजनों का कहना है कि पुलिस से अब न्याय मिलने की उम्मीद खत्म हो रही है। अगर उन्हें न्याय नहीं मिला तो वे कुछ भी कर सकते हैं।
जांच चल रही है, जल्दी कार्रवाई होगी :
रमन रिछारिया के आत्महत्या मामले की जांच अभी चल रही है। सभी पक्षों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। जल्द ही जांच पूरी होगी। जांच के बाद जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ नियमानुसार कड़ी कार्रवाई हेागी।
– मुकेश शाक्य, टीआइ ओरछा रोड थाना