बदल गई 20 एकड़ के तालाब की तस्वीर गर्मियों में गौरिहार ब्लॉक के ग्राम पंचायत गहबरा के प्राचीन दीना तालाब को नीति आयोग के अंतर्गत जिले में चिन्हित किए गए 168 तालाबों की जमीन का सीमांकन कर डी-सिल्टिंग का कार्य शुरू किया गया। तालाब से गाद एवं मिट्टी बाहर निकालने से तालाबों का गहरीकरण हुआ। तालाबों के कैचमेंट एरिया में फीडर चेनल का निर्माण होने से मानसून सत्र में तालाबों में पानी भरने लगा। ग्राम पंचायत गहबरा तालाब से करीब 3 हजार 920 घन मीटर गाद एवं मिट्टी निकली गई। वर्तमान में यह तालाब लबालब भरा है। फीडर चेनल के बनने से पूर्व में सूखे रहने वाले तालाबों में एकत्रित होकर पूरा पानी तालाब में भरने से वॉटर लेवल बढ़ा है। इस तालाब में जल वृद्धि होने से करीब 4-5 गांवों के 80 किसानों को सिंचाई का लाभ मिलेगा। 20 एकड़ रकबे में सिंचाई में वृद्धि होगी। साथ ही स्थानीय लोगों को आजीविका के लिए अवसर भी मिल सकेंगे।
कलेक्टर ने बढ़ाया उत्साह गांव के निवासी एवं शोध छात्र रामबाबू तिवारी ने खेत का पानी खेत में और गांव का पानी गांव में अभियान के तहत गहबरा के विलुप्त हो चुके दीना तालाब जमा गाद के उपजाऊपन के बारे में किसानों को बताया और इस गाद को खोदकर खेतों में डालने का सुझाव दिया। जिसे मानकर किसानों ने तालाब की जमा गाद को खोदकर खाद के रूप में प्रयोग करने के लिए अपने साधन ट्रैक्टर के माध्यम से अपने खेतों में ले गए हैं और देखते ही देखते दीना तालाब का स्वरूप पुन: वापस लौटने लगा। नीति आयोग ने संबल देकर इस काम को और आसान बना दिया। तालाब के कायाकल्प अभियान में तब और तेजी आ गई जब कलेक्टर संदीप जीआर ने गहबरा जाकर इस कार्य का विधिवत शुभारंभ करके किसानों का मनोबल बढ़ाया था। इसके बाद किसानों में उत्साह कुछ इस तरह बढ़ा कि सभी ने मिलकर तालाब पुराने स्वरूप में लौटाने की कवायद शुरु कर दी।
5 लाख क्यूबिक मीटर गाद निकाली जिले के चंदेलकालीन व अन्य तालाबों को नया जीवन देने के लिए प्रशासन की टीम ने 5 लाख 77 हजार 663 क्यूबिक मीटर गाद निकाली। गाद निकालने के साथ तालाबों का गहरीकरण किया गया। इसके साथ ही तालाब के कैचमेंट एरिया में फीडल चेनल बनाए गए। ताकि बारिश के दिनों में पूरे इलाके का पानी तालाब तक आसानी से पहुंच सके। जिससे तालाब भर सके। बारिश में तालाब भरने से आसपास के किसानों को सिंचाई के लिए पानी, गांव वालों को निस्तार के लिए पानी मिलने के साथ ही जल स्तर भी बढ़ा है। मियावाकी एवं पर्माकल्चर तकनीक में जल प्रतिधारण बढ़ाने के लिए मेड़ों पर वृक्षारोपण किया जा रहा है।
इनका कहना है तालाबों का सीमांकन, मुनरा स्थापित करने, तालाब भूमि की वास्तविक स्थिति रेवेन्यू रिकॉर्ड में अपडेशन से तालाबों में जलधारण में सुधार हुआ है। क्षेत्र का व्यापक दौरा और लगातार मॉनिटरिंग से रिजल्ट सकारात्मक आ रहे हैं।
संदीप जीआर, कलेक्टर फोटो- सीएचपी 040822-71- दीना तालाब की बदल गई तस्वीर व तकदीर