भोपाल से जीएसआइ के वरिष्ठ भूवैज्ञानिक मोहम्मद साबिर पठान, मध्यप्रदेश खनिज निगम के क्षेत्रीय कार्यालय जबलपुर के ज्यूलॉजिकल विंग के भू-वैज्ञानिक त्रिलोक सिंह पटले, जिला खनिज अधिकारी अमित मिश्रा, खनिज निरीक्षक अजय मिश्रा, रमाकांत तिवारी की टीम ने खदान की सीमाओं का दोबारा वेरीफिकेशन किया है। खनिज अधिकारी अमित मिश्रा ने बताया कि पूर्व में हुए सर्वे व सीमांकन को नीलामी के पहले वेरीफाई किया गया है, ताकि आगे की प्रोसेस की जा सके।
खनिज विभाग और जीएसआइ के साथ मिलकर एक रिपोर्ट तैयार की है। जिसमें जीएसआइ ने मड़देवरा ब्लॉक में 57 लाख मीट्रिक टन रॉक फास्फेट के भंडार का आंकलन लगाया है। 122 हेक्टेयर में 67 हेक्टयेर जमीन रॉक फास्फेट के खनन और 37 हेक्टेयर जमीन नॉन मिनरलाइज्ड होगी। 67 हेक्टेयर क्षेत्र में से 15 से 20 हेक्टेयर में रॉक फॉस्फेट की मात्रा अधिक है, वहीं 2 किलोमीटर लंबे और 2 किलोमीटर चौड़े हिस्से में लगभग 15 से 20 लाख मीट्रिक टन रॉक फॉस्फेट की उपलब्धता का आंकलन किया जा रहा है। वहीं, विभाग ने 35 लाख मीट्रिक टन मात्रा का प्रस्ताव नीलामी के लिए भेजा है।
जिले के मड़देवरा इलाके में उलब्ध रॉक फास्टफेट का भंडार उर्वरक निर्माण के लिए उपयक्त है। हालांकि खदान में ज्यादातर मात्रा 18 से 20 पी2ओ 5 ग्रेड का है, जो लो क्वालिटी के अंतर्गत आता है। जबकि 24 प्लस पी 2ओ5 ग्रेड की मात्रा उवर्रक संयंत्र के लिए सप्लाई होता है। वहीं, क्षेत्र में 42 से 34 पी2ओ5 ग्रेड का रॉक फास्फे ट का भी भंडरा है, ऐसे में खनिज विभाग का मानना है कि उवर्रक निर्माण के लिए जिले में उपलब्ध रॉक फॉस्फेट उपयुक्त हैं।
जिले में हीरा, रेत, क्र शर गिट्टी के बाद रॉक फॉस्फेट से खनिज उद्योग में लोगों के रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। डीएपी खाद बनाने के काम में आने वाली रॉक फॉस्फेट के उत्खनन से खाद बनाने वाले उद्योग व सहायक उद्योगों के स्थापना के अवसर जिले में बढ़ेंगे, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। इसके साथ ही डीएपी जैसे महत्वपूर्ण खाद की जिले में सप्लाई बढ़ेगी, जिससे किसानों की मुश्किलें भी कम होंगी।
जैविक खाद बनाने के लिए गोबर तथा रॉक फॉस्फेट को प्रयोग में लाया जाता है। रॉक फॉस्फेट की मदद से रासायनिक क्रिया करके सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी)तथा डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) रासायनिक उर्वरक तैयार किए जाते हैं। खनिज फास्फेटों का सर्वाधिक प्रयोग फास्फेट उर्वरकों के निर्माण में होता है। रॉक फॉस्फेट की खदान से निकाले गए फास्फेटीय चट्टान को चूर्ण करके सल्फयूरिक अमल के साथ मिलाकर सुपरफास्फेट बनता है। इस पदार्थ का प्रयोग उर्वरक के रूप में अत्यधिक होता है। साधारण फास्फेटीय चट्टान के चूर्ण में 30 से 40 प्रतिशत फास्फोरस पेंटॉक्साइड, 3-4 प्रतिशत फ्लोरीन तथा भिन्न मात्राओं में चूना रहता है।
जीएसआइ के वरिष्ठ भू-वैज्ञानिक, जबलपुर क्षेत्रीय कार्यालय के भू-वैज्ञानिक और खनिज की टीम ने रीवेरीफिकेशन किया है। रॉक फॉस्फेट खदान की चिंहित भूमि को वेरीफाई किया गया है। उम्मीद है एक से डेढ महीने में खदान नीलामी प्रक्रिया में आ जाएगी।
अमित मिश्रा, खनिज अधिकारी