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संचालक मंडल का कार्यकाल खत्म हुआ तो मनमाने ढंग से बना दिए प्रशासक,पढ़ें पूरी खबर

locationछतरपुरPublished: Mar 15, 2018 09:58:32 am

Submitted by:

Samved Jain

सोसायटियों के संचालक मंडल का कार्यकाल खत्म हुआ तो मनमाने ढंग से बना दिए प्रशासक

Chhatarpur

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छतरपुर। जिले के सहकारिता इतिहास में हुए करोड़ों रुपए के सबसे बड़े घोटाले की जांच अभी शुरू भी नहीं हो पाई है कि एक बार फिर सहकारिता में मनमाने ढंग से सोसायटियों में प्रशासकों की नियुक्ति की जाने लगी हैं। पहले से तय मापदंडों को तिलांजलि देते हुए डीआर ऑफिस से चलकर आ रहीं नोटसीटों पर सोसायटियों के लिए प्रशासकों की नियुक्ति मनमाने तरीके से की जा रही है। मनमानी इस हद तक की जा रही है कि किसी सहायक निरीक्षक को 10 से 15 सोसायटियों का प्रशासक बना दिया गया है। वहीं किसी को एक का भी नहीं बनाया गया है। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठा रहा है कि जिन लोगों को १५ से २० सोसायटियों का प्रशासक बना दिया गया है, वे कैसे सोसायटियेां के रुटीन काम को कर पाएंगे।

मनमाने ढंग से प्रशासक बनाने का यह है पूरा मामला :
जिले की 113 सेवा सहकारी साख समितियों में से करीब 100 सोसायटियों के संचालक मंडलों के कार्यकाल पूरे हो जाने के कारण उन्हें भंग कर दिया गया है।जनवरी से उनका कार्यकाल खत्म हो गया था। सोसायटियों के सभी कामकाज को नियमित रूप से संचालित करने के लिए सहकारिता अधिकारियों को प्रशासक बनाया जाता है। इसके लिए प्रभारी डीआर सुलेखा अहिरवार ने एक क्राइट एरिया बनाया था कि जो सहकारिता विस्तार अधिकारी है उनको प्रशासक बनाया जाए। शुरुआत में बक्स्वाहा, बउ़ामलहरा, नौगांव, राजनगर और छतरपुर सहित करीब आधा दर्जन ब्लाकों में इसी नियम से प्रशासक बनाए गए, लेकिन बाद में अन्य ब्लाकों में मनमाने तरीके से प्रशासक बना दिए गए हैं। ऐसे में आधा स्टाफ खाली बैठा है। जबकि कुछ लोगों के पास 15 से 20 तक की सोसायटियों का काम दे दिया गया है। कईब्लाक के सीईआ े(सहकारिता विस्तार अधिकारी) खाली ही बैठे हैं। डीआर ऑफिस का विधि सेक्शन केवल नोटसीट बनाकर डीआर के पास भेज रहा है जिसमें किसी व्यक्ति के नाम का उल्लेख ही नहीं किया जा रहा है। विधि विभाग से जो नोटसीट डीआर के पास हस्ताक्षर के लिए भेजी जा रही है उसमें केवल यह लिखा जा रहा है कि सोसायटियों का कार्यकाल खत्म हो गया है। प्रशासक की नियुक्ति की जाना है। इसके लिए आदेश हस्ताक्षर हेतु प्रस्तुत है। नोटसीट में यह नहीं है कि किसको प्रशासक बनाने के लिए आदेश प्रस्तुत किया जा रहा है। इसी मनमानी के कारण विधि विभाग के लिपिक अपने चहेतों को प्रशासक बनाने में लगे हैं। तय क्राइट एरिया का पालन भी नहीं किया जा रहा है।

प्रशासक की नियुक्ति को लेकर यह है नियम :
मप्र सहकारी सोसायटी अधिनियम १९६० में हुए नवीनतम संशोधन जो १३ अप्रैल १५ से प्रभावशील हो गए हैं, के प्रावधानों के अनुसार सहकारी अधिनियम १९६० की धारा ४९(७)(ख) में यह प्रावधान किया गया है कि संचालक मंडल के कार्यकाल के 5 साल पूरे हो जाने पर संचालक मंडल के सदस्यों के पद ऐसे में स्वत: रिक्त हो गए हैं अथवा रिक्त समझे जाएंगे। रजिस्ट्रार या उसके द्वारा नियुक्त किया गया प्रशासक प्रभार ग्रहण करेगा।

ऐसे में फिर हो सकता है सहकारिता का घोटाला :
जिले की सोसायटियों में मनमाने ढंग से प्रशासक बना दिए जाने के कारण घोटाले की संभावनाएं और बढ़ जाएंगी। जिले की सोसायटियों में मनमाने ढंग से लोन बांटने, खाद-बीज के लिए रुपए निकाल लेने और दूसरों के नाम से रुपए निकाल लेने की गड़बड़ी पकड़ी गई है। इस मामले की जांच शुरू भी नहीं हो पाई है कि फिर से एक बड़े घोटाले के लिए मौके दिए जा रहे हैं। एक व्यक्ति को 10 से 15 सोसायटियों का प्रशासक बना दिया जाएगा तो न तो वह लोन वितरण, खाद-बीज और वसूली से लेकर सभी तरह के काम एक साथ नहीं कर पाएगा। एक प्रशासक 3 से 5 सोसायटियों का काम तो संभाल भी सकता है। लेकिन इतनी अधिक सोसायटियों का प्रशासक बना दिए जाने से सब काम मनमानी से ही होंगे। इसी गफलत के कारण ही वीरों सहित कई सोसायटियेां में करोड़ों का घोटाला हो गया हे।

मैंने क्राइट एरिया बनाया था, घोटाला नहीं होने दिया जाएगा :
मैंने प्रशासक की नियुक्ति को लेकर जो क्राइट एरिया बनाया था उसी के अनुसार नियुक्तियां की जानी चाहिए थीं, लेकिन अग कहीं गड़बड़ी की जा रही है तो तुरंत इस बारे में जानकारी लेती हूं। सहकारिता में अब कोई और घोटाला नहीं होने दिया जाएगा।
– सुलेखा अहिरवार, प्रभारी डीआर छतरपुर

यह मनमानी रोकी जाएगी :
छतरपुर में अभी एक घोटाले को लेकर जांच की जानी है। अगर इस तरह से कहीं मनमानी हो रही है तो तुरंत डीआर को देखना होगा। यदि फिर भी कहीं चूक हो रही है तो विभाग स्तर पर लिखा जाएगा। इस बारे में अभी जानकारी लेते हैं।
– पीआर काबड़कर, प्रभारी जेआर सागर
घोटाले की जांच के लिए ऑडिट का काम फिर टला :
छतरपुर। सहकारिता में हुए पौने दो करोड़ से अधिक के भ्रष्टाचार का मामला सामने आने के बाद भोपाल स्तर से आए आदेश के बाद सागर संभाग के संयुक्त आयुक्त सहकारिता ने एक जंबो टीम गठित करके जांच शुरू कराई थी। २७ फरवरी को सागर संभाग के तीन जिलों के सहकारिता सहायक निरीक्षकों की ४७ सदस्ययी टीम के २१ दल बनाकर जांच शुरू करा दी थी। सोसायटियों की जांच के लिए मैदान में भेजने के पहले जिला सहकारी बैंक में बैठक लेकर प्रभारी जेआर एवं सागर डीआर पीआर काबड़कर ने टीम की बैठक ली। बैठक में उन्होंने छह बिंदुओं पर रिपोर्ट तैयार कर जरूरी दिशा-निर्देश दिए थे। उन्होंने इस दौरान काबड़कर ने साफ कहा कि सोसायटी के कर्मचारी यदि हड़ताल कर रहे हैं तो उन्हें करने दें वह उनका संवैधानिक अधिकार है। आप अपना काम करिए। यदि कोई आपको मदद नहीं करता है तो उसका प्रतिवेदन बनाकर दें। हड़ताल खत्म करने के बाद हम जांच करेंगे। लेकिन हड़ताल खत्म होने के बाद भी अब जांच शुरू नहीं हो पाई है। हड़ताल खत्म होने के एक दिन पहले ही तीनों जिलों की ऑडिट टीम को रिलीव करके लौटा दिया गया था। इस बारे में संयुक्त आयुक्त काबड़कर का कहना है कि समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी का काम आ गया है। इस कारण रुटीन का काम प्रभावित हो रहा था। अब अप्रैल के बाद सोसायटियों का ऑडिट कराया जाएगा।

जांच और ऑडिट के लिए बनाए गए थे २१ दल :
संयुक्त आयुक्त सहकारिता सागर ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक से संबद्ध पैक्स संस्थाओं की विशेष जांच और ऑडिट के लिए 21 दल बनाए गए थे। इस दल में छतरपुर, पन्ना, सागर, दमोह ४७ अंकेक्षण एवं सहायक निरीक्षक शामिल किए गए हैं। इन दलों को जिले की ९७ सोसायटियों मेंं २८ फरवरी से १३ अप्रैल तक भौतिक सत्यापन कर रिकॉर्ड की जांच करके अपनी रिपोर्ट डीआर को सौंपनी थी। लेकिन यह काम रुक गया है।

यह हुआ था सहकारिता का घोटाला :
23 नवंबर 2017 को समिति प्रबंधकों की समीक्षा बैठक के दौरान बीरो समिति, डिकौली समिति व सेंदपा समिति में घोटाले का खुलासा सामने आया था। 11 दिसंबर 2017 को लेखापाल रामविशाल पटैरिया ने समिति में हुए घोटाले की लिस्ट महाप्रबंधक बाईके सिंह को सौंपी थी। बीरो समिति प्रबंधक भानू प्रताप अवस्थी ने साढ़े 5 करोड, डिकौली हरिओम अग्निहेत्री पर एक करोड़, सेंदपा जाहर सिंह पर एक करोड़ का घोटाला किए जाने के आरोप लगे थे। वीरों सोसायटी में डीडी बनवाकर खाद उठाने की जगह नगर रुपए निकालकर करीब डेढ़ करोड़ से ज्यादा रुपए निकाल लिए गए थे। जबकि लिमिट ३० लाख तक की होती है। इन लोगों ने लिमिट से ज्यादा शाखा प्रबध्ंाक ने किसानों के खाते में पैसे डाले थे। अभी तक ११ करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया। इस मामले में 30 दिसंबर को बड़ामलहरा शाखा प्रबंधक स्वामी प्रसाद व कैशियर कृष्णपाल सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था। इस मामले में महाप्रबंधक को भी भोपाल अटैच किया गया। साथ ही छतरपुर में पदस्थ लेखापाल रामविशाल पटैरिया को भी निलंबित कर दिया गया था। बीरो समिति में साढ़े 5 करोड़ का घोटाला उजागर हुआ था। घोटाला उजागर होने के बाद समिति प्रबंधक भानू प्रताप अवस्थी ने 2 करोड़ 32 लाख पहले जमा कर दिया था। इसके बाद उनके द्वारा 35 लाख रुपए जमा किए गए थे।

इधर बैंक मैनेजर, समिति अध्यक्ष एवं प्रबंधक को हाईकोर्ट से नहीं मिली अग्रिम जमानत
छतरपुर। सहकारी बैंक में हुए करोड़ों के घोटाले में बड़ामलहरा बैंक मैनेजर स्वामी प्रसाद पाण्डेय, वीरों के समिति प्रबंधक एवं समिति अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह की अग्रिम जमानत हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। अभी तक इन आरोपियों को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकी है। गौरतलब है कि सहकारी बैंक घोटाले की जांच में दोषी दो दर्जन दोषियों पर सहकारिता आयुक्त रेणु पंत ने एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए थे। इन दोषियों के खिलाफ बड़ामलहरा थाने में बैंक की ओर से आवेदन भी दे दिया गया था लेकिन आज तक बैंक के तत्कालीन महाप्रबंधक वाईके सिंह, लेखाधिकारी रामविशाल पटैरिया, समिति प्रबंधक जाहर सिंह, हरिओम अग्रिहोत्री सहित दो दर्जन दोषियों पर एफआईआर दर्ज नहीं हुई है।जबकि इसी मामले को लेकर दोषी हाईकोर्ट गए थे जहां इस मामले में हाईकोर्ट ने इन आरोपियों का आवेदन निरस्त कर दिया तथा पूरा मामला ट्रिब्यूनल में ले जाने को कहा और इन दोषियों को दो सप्ताह की अंतरित राहत दी थी, जो 8 मार्च को समाप्त हो चुकी है। ट्रिब्यूनल से अभी किसी भी दोषी को कोई राहत प्रदान नहीं की गई है। बावजूद इसके दोषियों पर एफआईआर न होना कहीं न कहीं पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत को उजागर करता है।
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