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कोविड पीडि़त और डिप्रेसन में पहुंची तीन जिदंगी बचाई

locationछतरपुरPublished: Jun 15, 2021 07:22:15 pm

Submitted by:

Dharmendra Singh

पति की मौत की खबर सुनकर सदमे में आईं पत्नी और दो बेटियों को दी नई जिंदगीदिल्ली से मैसेज कर भतीजे ने मांगी मदद, प्रशासन व डॉक्टर्स ने निभाया मानवता का धर्म

 कोरोना वारियर डॉक्टर्स को सैल्यूट

कोरोना वारियर डॉक्टर्स को सैल्यूट

छतरपुर। कोविड आपदा काल में छतरपुर जिला प्रशासन व डॉक्टर्स ने सेवा का अनूठा उदाहरण पेश किया। डॉक्टर्स द्वारा कोविड पीडि़त तीन जिंदगियां जो मानसिक रुप से टूटकर डिप्रेसन की स्थिति में पहुंच चुकी थी। उन्हें स्वस्थ करते हुए मानवीय सेवा का सार्थक उदाहरण प्रस्तुत किया है। दिल्ली निवासी तेजस दुबे के छतरपुर में रहने वाले फूफा की कोविड संक्रमण से मौत हो गई। इसकी जानकारी जब चौबे कॉलोनी निवासी कोविड संक्रमित उनकी पत्नी और दो बेटियों को लगी तो वे सदमें में आई गई। कोविड के साथ डिप्रेशन का शिकार तीनों के बारे में तेजस ने कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह को रात में मैसेज पर बताया और मदद की अपील की। उसके बाद प्रशासन व डॉक्टर्स ने तीनों के इलाज के लिए दिन रात एक कर दिया और तीनों को स्वस्थ कर नई जिंदगी दी है।
तीन दिन तक रोती रही मां-बेटियां
महोबा रोड कोविड सेंटर प्रभारी डॉक्टर महर्षि ओझा का कहना है कि 23 अप्रेल को रात 12.30 बजे कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह का फोन आया और चौबे कॉलोनी निवासी शिवानी तिवारी व उनकी बेटियों के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने तीनों मरीजों को कोविड केयर सेंटर में भर्ती करने और उनकी परिस्थितियों को देखते हुए विशेष ख्याल रखने के निर्देश दिए। तीनों को कोविड सेंटर लाने के लिए घर के बाहर 10 घंटे तक टीम खड़ी रही, लेकिन तीनों बाहर नहीं निकल रही थी। उन्हें समझाइश देकर जैसे तैसे घर से लाया गया। जब 45 वर्षीय महिला और 22 व 19 साल की दोनों बेटियां कोविड सेंटर पहुंची तो वे इतने ज्यादा डिप्रेशन में थी कि बेटियां रट लगाए हुए थी, कि जब पापा नहीं रहे तो हम जी कर क्या करेंगे? हालात ये थे कि कोविड सेंटर आने के बाद तीन दिन तक मां-बेटियां सिर्फ रोती रही, खाना तक नहीं खाया।
काउंसलिंग से बढ़ाया हौसला
तीनों की मानसिक स्थिति को देखते हुए डॉ. महर्षि ओझा तीनों से लगातार बात करते रहे। बेटियां ज्यादा डिप्रेशन में थी। इसलिए डॉक्टर ने शिवानी तिवारी की काउंसलिंग शुरु की। उन्हें प्रेरित किया कि वे हिम्मत नहीं रखेंगी, तो परिवार कैसे सम्झलेगा। डॉक्टर ओझा की काउंसलिंग व नर्सिंग स्टाफ की सेवा के चलते महिला की मानसिक स्थिति में सुधार हुआ। इसके बाद मां के सहयोग से बेटियों का हौसला बढ़ाया गया। योग, दवा और देखभाल की दम पर तीनों स्वस्थ हो गए। लेकिन जब डिस्चार्ज का दिन आया तो दोनों बेटियां पिता के न रहने से सूने हुए घर में दोबारा जाने के नाम पर घबरा गई। स्थिति ये हो गई कि छोटी बेटी मूर्छित हो गई। जिसे एक दिन जिला अस्पताल में इलाज के लिए रखा गया। फिर अगले दिन बेटी को दोबारा कोविड सेंटर लाए और मां व दोनो बेटियों को एक सप्ताह और सेंटर में रखकर उन्हें मोटिवेट किया गया। अंतत मां और दोनों बेटियां कोविड सेंटर से डिस्चार्ज होकर घर पहुंच गई है और अब कोविड व डिप्रेशन से ऊबरकर जिंदगी की नई शुरुआत कर रही हैं।
इनका कहना है
कोविड काल में ये सबसे अलग केस हमारे सामने आया। कोविड संक्रमण के साथ डिप्रेशन के कारण सभी की हालत क्रिटकल थी। बच्चियों में तो जीने की चाह खत्म हो गई थी। हमने परिवार के सदस्य की तरह उनकी देखभाल की, कोशिश रही कि तीनों को नया जीवन मिले। दवा के साथ काउंसलिंग व सेवा भाव के सहारे हमे सफलता मिली है। हम खुश है कि हम कुछ कर पाए।
डॉ. महर्षि ओझा, प्रभारी कोविड सेंटर
डॉक्टर से लेकर नर्स तक सभी ने हमारी विशेष केयर की। सुबह से लेकर शाम और रात में भी हमारा ख्याल रखा। एक आवाज लगाने पर तुरंत सभी मदद के लिए आ जाते। सबकी मदद के चलते ही आज हमारे अंदर इतनी हिम्मत आ गई कि हम खड़े हो पाए हैं। हमे विषम परिस्थितियों से बाहर निकालने वाले डॉक्टर्स व मेडिकल स्टाफ की आभारी हूं। कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने व्यक्तिगत तौर पर हमारी सेहत व रिकवरी को लेकर विशेष प्रयास किए।
शिवानी तिवारी, कोरोना योद्धा
हमारी हमेशा कोशिश रही है कि जरूरतमंद की मदद की जाए। इस परिवार को सहारा देने वाला छतरपुर में कोई नहीं था। दिल्ली से तेजस का मुझे मैसेज आया, जिसके बाद हमने जिंदगियों को बचाने के लिए पूरी कोशिश की। जिला प्रशासन हमेशा सभी की मदद के लिए तत्पर है।
शीलेन्द्र सिंह, कलेक्टर

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