2010 के चुनाव से अलग है इस बार प्रचार माध्यम
साल 2010 के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जिले में ज्यादातर प्रत्याशी और उनके समर्थक सोशल मीडिया से बहुत अच्छी तरह से वाकिफ नहीं थे। इस बार तो पंचायत चुनाव की आहट मिलते ही प्रत्याशी और उनके समर्थक व्हाट्सऐप, टेलीग्राम, फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम सहित सोशल मीडिया के सभी प्लेटफार्म पर सुप्रभात से लेकर अपने वादों को भी साझा करना शुरू कर दिए हैं। ग्रामीण युवा कहते हैं कि जो प्रत्याशी सोशल मीडिया के बारे में जानकारी रखते हैं, उनके समर्थक इस काम को बखूबी संभाले हुए हैं। फेसबुक जैसी सोशल साइट्स पर प्रत्याशी जहां अपने बारे में पूरी जानकारी दे रहे हैं। वही वे विकास का पूरा वादा कर रहे हैं। कई गांवों के संभावित प्रत्याशी अपने को बेहतर होने का दावा भी कर रहे है।
साल 2010 के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जिले में ज्यादातर प्रत्याशी और उनके समर्थक सोशल मीडिया से बहुत अच्छी तरह से वाकिफ नहीं थे। इस बार तो पंचायत चुनाव की आहट मिलते ही प्रत्याशी और उनके समर्थक व्हाट्सऐप, टेलीग्राम, फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम सहित सोशल मीडिया के सभी प्लेटफार्म पर सुप्रभात से लेकर अपने वादों को भी साझा करना शुरू कर दिए हैं। ग्रामीण युवा कहते हैं कि जो प्रत्याशी सोशल मीडिया के बारे में जानकारी रखते हैं, उनके समर्थक इस काम को बखूबी संभाले हुए हैं। फेसबुक जैसी सोशल साइट्स पर प्रत्याशी जहां अपने बारे में पूरी जानकारी दे रहे हैं। वही वे विकास का पूरा वादा कर रहे हैं। कई गांवों के संभावित प्रत्याशी अपने को बेहतर होने का दावा भी कर रहे है।
सुबह शाम पूछ रहे मतदाता की खैर-खबर
पंचायत चुनाव में प्रत्याशियों ने प्रचार को हाईटेक कर दिया है। अपने-अपने क्षेत्रों के मतदाताओं के मोबाइल नंबर को दर्ज कर लिया। सभी मतदाताओं के नंबर पर रोजाना एसएमएस भेजा जा रहा और सुबह-शाम हालचाल भी लिए जा रहे। स्मार्ट फोन से टिवटर, फेसबुक व व्हाट्सऐप पर ग्रुप बना लिए गए। इंटरनेट के जरिए दिन भर प्रचार संदेश पोस्ट किए जा रहे। कुछ ग्रुपों में तीखे भाषण व शब्दों का इस्तेमाल भी किया जा रहा। सुबह मोबाइल खोलते ही ढेरों बधाई संदेश व प्रचार-प्रसार के फोटो आदि पहुंच जाते हैं।
पंचायत चुनाव में प्रत्याशियों ने प्रचार को हाईटेक कर दिया है। अपने-अपने क्षेत्रों के मतदाताओं के मोबाइल नंबर को दर्ज कर लिया। सभी मतदाताओं के नंबर पर रोजाना एसएमएस भेजा जा रहा और सुबह-शाम हालचाल भी लिए जा रहे। स्मार्ट फोन से टिवटर, फेसबुक व व्हाट्सऐप पर ग्रुप बना लिए गए। इंटरनेट के जरिए दिन भर प्रचार संदेश पोस्ट किए जा रहे। कुछ ग्रुपों में तीखे भाषण व शब्दों का इस्तेमाल भी किया जा रहा। सुबह मोबाइल खोलते ही ढेरों बधाई संदेश व प्रचार-प्रसार के फोटो आदि पहुंच जाते हैं।
मतदाताओं की ओर से भी मिल रहे कमेंट
सोशल साइट्स पर प्रत्याशी की पोस्ट पर जहां विकास कराने का वादा किया जा रहा हैं, वहीं मतदाताओं की तरफ से भी कमेंटस किए जा रहें हैं। मतदाताओं की ओर से गलत, सही कमेंट का बुरा न मानते हुए संभावित प्रत्याशी उनसे हर कीमत पर सहयोग की अपील कर रहे हैं।
सोशल साइट्स पर प्रत्याशी की पोस्ट पर जहां विकास कराने का वादा किया जा रहा हैं, वहीं मतदाताओं की तरफ से भी कमेंटस किए जा रहें हैं। मतदाताओं की ओर से गलत, सही कमेंट का बुरा न मानते हुए संभावित प्रत्याशी उनसे हर कीमत पर सहयोग की अपील कर रहे हैं।
सोशल मीडिया से प्रचार पर पुलिस की नजर
पंचाय चुनाव के संभावित प्रत्याशियों और उनके समर्थकों की ओर से सोशल मीडिया पर अपने दावे और वादे के पीछे कहीं कोई आवेश में आकर ऐसी बात न कर दे, जिससे माहौल बिगड़ जाए और कानून व्यवस्था प्रभावित हो। इसके लिए पुलिस सोशल मीडिया पर होने वाले प्रचार पर अपनी नजर रखे हुए हैं। सोशल मीडिया पर पडऩे वाली प्रत्येक पोस्ट की निगरानी कर रहे हैं।
पंचाय चुनाव के संभावित प्रत्याशियों और उनके समर्थकों की ओर से सोशल मीडिया पर अपने दावे और वादे के पीछे कहीं कोई आवेश में आकर ऐसी बात न कर दे, जिससे माहौल बिगड़ जाए और कानून व्यवस्था प्रभावित हो। इसके लिए पुलिस सोशल मीडिया पर होने वाले प्रचार पर अपनी नजर रखे हुए हैं। सोशल मीडिया पर पडऩे वाली प्रत्येक पोस्ट की निगरानी कर रहे हैं।
प्रचार सामग्री वालों को झटका
इस बदली हुई चुनाव प्रचार की शैली से प्रिंटिंग प्रेस संचालकों को जरूर तगड़ा झटका लगा है। कई आफसेट संचालकों ने बताया कि इस बार मोबाइल से प्रचार शैली के कारण चुनावी सीजन का कारोबार करीब 35 से 40 फीसदी प्रभावित हुआ है। लोग प्रचार सामग्री छपवाने में कम रुचि दिखा रहे हैं। वहीं कलेक्ट्रेट के पास मेला मैदान की ओर प्रचार सामग्री की दुकान लगाए लोग अपनी पूंजी भी नहीं निकाल पा रहे हैं। संतोष निषाद निवासी गोरखपुर ने बताया कि पूरे देश में चुनाव में सामग्री बेचते। ५०-50 हजार की लागत की सामग्री लेकर हम 5 लोग छतरपुर आए थे। लेकिन बिक्री नहीं हुई तो 4 लोग वापस चले गए। उन्होंने ये भी बताया कि अभी तक 25 प्रतिशत भी पूंजी नहीं निकली। पटेरा से सरपंच उम्मीदवार राजू ने बताया कि उन्होंने केवल दो झंड़े खरीदे हैं, कहते हैं जनसंपर्क और सोशल मीडिया से प्रचार करूंगा। दो झंड़े भी इसलिए खरीदे कि एक को अपनी गाड़ी और दूसरे को घर पर लगा सकें।
इस बदली हुई चुनाव प्रचार की शैली से प्रिंटिंग प्रेस संचालकों को जरूर तगड़ा झटका लगा है। कई आफसेट संचालकों ने बताया कि इस बार मोबाइल से प्रचार शैली के कारण चुनावी सीजन का कारोबार करीब 35 से 40 फीसदी प्रभावित हुआ है। लोग प्रचार सामग्री छपवाने में कम रुचि दिखा रहे हैं। वहीं कलेक्ट्रेट के पास मेला मैदान की ओर प्रचार सामग्री की दुकान लगाए लोग अपनी पूंजी भी नहीं निकाल पा रहे हैं। संतोष निषाद निवासी गोरखपुर ने बताया कि पूरे देश में चुनाव में सामग्री बेचते। ५०-50 हजार की लागत की सामग्री लेकर हम 5 लोग छतरपुर आए थे। लेकिन बिक्री नहीं हुई तो 4 लोग वापस चले गए। उन्होंने ये भी बताया कि अभी तक 25 प्रतिशत भी पूंजी नहीं निकली। पटेरा से सरपंच उम्मीदवार राजू ने बताया कि उन्होंने केवल दो झंड़े खरीदे हैं, कहते हैं जनसंपर्क और सोशल मीडिया से प्रचार करूंगा। दो झंड़े भी इसलिए खरीदे कि एक को अपनी गाड़ी और दूसरे को घर पर लगा सकें।