scriptनाटकों के माध्यम से किया जा रहा ग्रामीण इलाकों में लोगों को जागरूक | Staged the story of Munshi Premchand's story | Patrika News

नाटकों के माध्यम से किया जा रहा ग्रामीण इलाकों में लोगों को जागरूक

locationछतरपुरPublished: Sep 03, 2018 03:44:51 pm

Submitted by:

rafi ahmad Siddqui

मुंशी प्रेमचंद की कहानी के नाटक का मंचन

Staged the story of Munshi Premchand's story

Staged the story of Munshi Premchand’s story

छतरपुर। शहर में आयोजित दो दिवसीय रंग समारोह के दूसरे दिन मंशी प्रेमचंद की कहानी का नाट्य मंचन इप्टा के कलाकारों के द्वारा ऑडिटोरियम में किया गया। इस मौके पर दर्शकों को संबोधित करते हुए जिला एवं सत्र न्यायाधीश अवनीन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि छतरपुर के दर्शक नाटकों में रुचि लेते हैं यह बड़ी बात है। इस तरह के सामाजिक सोद्देश्यतापूर्ण नाटक समाज में बेहतर माहौल पैदा करते हैं। डॉ. बहादुर सिंह परमार ने कहा कि इप्टा ने जो बीज यहां लगाया था वह आज वट वृक्ष के रूप विकसित हो चुका है।
गौरतलब है कि भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से रंग चौपाल छतरपुर द्वारा 15 दिवसीय प्रस्तुतिपरक नाट्य कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें भोपाल से आए निर्मल तिवारी एवं लखन अहिरवार के मार्गदर्शन में शहर के कलाकारों ने दो नाटक तैयार किए। रंग समारोह के प्रथम दिवस शाहिद अनवर द्वारा लिखित नाटक सूपना का सपना का प्रदर्शन किया गया। जबकि दूसरे दिन मंशी प्रेमचंद की कहानी ईश्वरीय न्याय का नाट्य रूपांतरण रीता कांकर के निर्देशन में मंच पर प्रस्तुत किया गया। समापन समारोह के अतिथि के रूप में जिला एवं सत्र न्यायाधीश अवनीन्द्र कुमार सिंह, एडीजे एके गुप्ता, किशोर न्यायालय के न्यायाधीश पवन शंखवार, डॉ. बहादुर सिंह परमार, सीके शर्मा, अभिषेक सिंह सेंगर, सुरेन्द्र अग्रवाल, राजू सरदार, संजय शर्मा उपस्थित रहे।
यह थी कहानी
कहानी में उत्तर भारत के एक बड़े जमींदार की संपत्ति और उनके मुंशी के हृदय परिवर्तन को दर्शाया गया। जमींदार की आकस्मिक मृत्यु के बाद उनके ईमानदार एवं स्वामीभक्त मंंशी की नीयत जायदाद के लिए डोल जाती है और वह बेईमानी पर उतर आता है। इतना ही नहीं उसके लिए घर में घुसकर बहीखाते गायब करने तक की हिम्मत मुंशी जुटा लेता है लेकिन बाद में परिवार एवं समाज के व्यंग्य वाण उसे आहत कर देते हैं और अंत में अदालत में मुकदमा जीतने के बाद जमींदार की विधवा पत्नी भानकुंआरी उसे ईमान की कसम दिलाती है तो वह टूट जाता है और स्वीकार करता है कि उसने बेईमानी की है। इसको मुंशी प्रेमचंद ने ईश्वरीय न्याय की संज्ञा दी है क्योंकि अदालत के फैसला मुंशी के पक्ष में था लेकिन मुंशी की अंतरआत्मा ने उस फैसले को अपनी स्वीकृति न देकर जमीदारिन के समक्ष अपनी गलती कबूल की।
इनकी रही प्रमुख भूमिका
नाटक के प्रमुख पात्र मंशी का चरित्र शिवेन्द्र शुक्ला ने अपने जीवंत अभिनय से सजीव कर दिया। भानकुंआरी के रूप में उपासना तोमर ने दर्शकों को कई बार भावुक किया। जमींदार के रूप में लखन अहिरवार, वकील अंकुर यादव एवं प्रांजल पटैरिया, मुंशी जी की पत्नी अंजली शुक्ला, पुत्र सिद्धार्थ शुक्ला, अभिदीप सुहाने कोरस, रवि अहिरवार, अनिल रैकवार ने सराहनीय भूमिका निभाई। वस्त्र सज्जा, प्रकाश व्यवस्था एवं मंच सज्जा में अनिरुद्ध मिस्त्री, राहुल नामदेव, निर्मल तिवारी की रही।

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