scriptनहीं बन पाया प्रदेश का पहला डायमंड म्यूजियम | State's first diamond museum could not be built | Patrika News

नहीं बन पाया प्रदेश का पहला डायमंड म्यूजियम

locationछतरपुरPublished: Aug 04, 2020 09:04:04 pm

Submitted by:

Dharmendra Singh

पन्ना-छतरपुर के हीरा की ब्राडिंग की थी योजनाछतरपुर जिले की बंदर हीरा खदान से निकले 323 कैरेट हीरा के साथ शुरु होना था म्यूजियमयोजना बनी, मॉडल बनाया गया, लेकिन फिर ठंडे बस्ते में चली गई योजना

There was a plan for braiding diamond of Panna-Chhatarpur

There was a plan for braiding diamond of Panna-Chhatarpur

छतरपुर। बंदर हीरा खदान और पन्ना से निकलने वाले हीरे की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग के लिए खजुराहो में बनाए जाने वाला प्रदेश का पहला डायमंड म्यूजियम नहीं बन पाया है। वर्ष 2019 के नबंवर माह में तात्कालीन खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल ने बंदर प्रोजेक्ट से मिले 323 कैरेट हीरा के साथ म्यूजियम शुरु करने की घोषणा की थी। म्यूजियम के जरिए पर्यटन और रोजगार की संभावनाओं को भी तलाशा गया, लेकिन म्यूजियम का प्रस्ताव और मॉडल बनाए जाने के बाद से इस प्रोजेक्ट में कोई भी काम नहीं हुआ है।
खजुराहो से होती हीरा की अतंरराष्ट्रीय ब्राडिंग
पन्ना तथा छतरपुर की बंदर खदान से निकलने वाला हीरा खजुराहो के म्यूजियम में व्यापारियों को परखने के लिए रखा जाना था। खजुराहो का एयरपोर्ट दिल्ली और मुंबई से जुड़ा होने की वजह से यहां देश-विदेश के हीरा व्यापारी सीधे आ सकते हैं और नीलामी में शामिल हो सकते हैं। इस संग्रहालय में 323 कैरेट के ऐसे हीरे रखे जाने थे, जो टेस्टिंग के दौरान हीरा कंपनी रियो टिंटो को छतरपुर जिले की बंदर हीरा खदान से मिले थे। इस संग्रहालय में हीरा नीलामी सेंटर बनाने की योजना थी, जहां पन्ना की खदानों से निकले हीरे नीलाम किए जाने थे।
रोजगार और पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना
खनिज संसाधनों और पर्यटन संभावनाओं को आपस में समायोजित कर रोजगार की विराट संभावनाओं का निर्माण करने के लिए खनिज मंत्रालय एवं पर्यटन मंत्रालय योजना बनाइ थी। राज्य खनिज निगम एवं मप्र पर्यटन विभाग की एक संयुक्त टीम ने खजुराहो म्यूजियम खोलने की दिशा में कदम उठाए थे। संयुक्त दल ने मुंबई स्थित डायमंड म्यूजियम का भ्रमण कर उसके अनुरूप खजुराहो में म्यूजियम खालने के लिए मॉडल भी तैयार किया था। म्यूजियम के जरिए सूरत और मुंबई के बड़े हीरा कारोबारियों को खजुराहो बुलाकर पर्यटन के माध्यम से लोगों को रोजगार देने की योजना थी। संग्रहालय के लिए नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एनएमडीसी) 50 लाख रुपए खर्च करने के लिए तैयार था। मप्र के हीरों को विदेशी खरीदार आसानी से उपलब्ध कराने की ये योजना अब ठंडे बस्ते में चली गई है।
निर्देश के मुताबिक होगा काम
डायमंड म्यूजियम के लिए मॉडल बनाया गया था। भोपाल स्तर से म्यूजियम के संदर्भ कोई नया निर्देश नहीं आया है। निर्देश मिलता है, तो उसके मुताबिक काम किया जाएगा।
अमित मिश्रा, खनिज अधिकारी
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