पन्ना तथा छतरपुर की बंदर खदान से निकलने वाला हीरा खजुराहो के म्यूजियम में व्यापारियों को परखने के लिए रखा जाना था। खजुराहो का एयरपोर्ट दिल्ली और मुंबई से जुड़ा होने की वजह से यहां देश-विदेश के हीरा व्यापारी सीधे आ सकते हैं और नीलामी में शामिल हो सकते हैं। इस संग्रहालय में 323 कैरेट के ऐसे हीरे रखे जाने थे, जो टेस्टिंग के दौरान हीरा कंपनी रियो टिंटो को छतरपुर जिले की बंदर हीरा खदान से मिले थे। इस संग्रहालय में हीरा नीलामी सेंटर बनाने की योजना थी, जहां पन्ना की खदानों से निकले हीरे नीलाम किए जाने थे।
खनिज संसाधनों और पर्यटन संभावनाओं को आपस में समायोजित कर रोजगार की विराट संभावनाओं का निर्माण करने के लिए खनिज मंत्रालय एवं पर्यटन मंत्रालय योजना बनाइ थी। राज्य खनिज निगम एवं मप्र पर्यटन विभाग की एक संयुक्त टीम ने खजुराहो म्यूजियम खोलने की दिशा में कदम उठाए थे। संयुक्त दल ने मुंबई स्थित डायमंड म्यूजियम का भ्रमण कर उसके अनुरूप खजुराहो में म्यूजियम खालने के लिए मॉडल भी तैयार किया था। म्यूजियम के जरिए सूरत और मुंबई के बड़े हीरा कारोबारियों को खजुराहो बुलाकर पर्यटन के माध्यम से लोगों को रोजगार देने की योजना थी। संग्रहालय के लिए नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एनएमडीसी) 50 लाख रुपए खर्च करने के लिए तैयार था। मप्र के हीरों को विदेशी खरीदार आसानी से उपलब्ध कराने की ये योजना अब ठंडे बस्ते में चली गई है।
डायमंड म्यूजियम के लिए मॉडल बनाया गया था। भोपाल स्तर से म्यूजियम के संदर्भ कोई नया निर्देश नहीं आया है। निर्देश मिलता है, तो उसके मुताबिक काम किया जाएगा।
अमित मिश्रा, खनिज अधिकारी