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जल संकट से जूझते जिले में खत्म किए जा रहे तालाब, मूकदर्शक बने जिम्मेदार

locationछतरपुरPublished: Mar 14, 2018 01:13:21 pm

Submitted by:

Samved Jain

सिकुड़ता जा रहा तालाबों का रकवा, नगरपालिका और प्रशासन ने बंद किए आंख, कान

Chhatarpur

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नीरज सोनी छतरपुर। अवर्षा और सूखे से जूझ रहे बुंदेलखंड के छतरपुर जिला मुख्यालय में इस बार भी गर्मियों के शुरू होने से पहले जलसंकट शुरू हो गया है। शहर क कई इलाकों के भूमिगत जल स्त्रोत सूख चुके हैं। आधे शहर में टेंकरों से पानी सप्लाई होने लगा है। वहीं आधे शहर में एक दिन छोड़कर एक दिन नलों से पानी आ रहा है। आने वाले समय में जलसंकट और भी ज्यादा भयावह होगा। वहीं दूसरी ओर शहर के रियासतकालीन तालाबों को खत्म करने का बड़ा खेल चल रहा है। संकट मोचन तालाब में पुराव कराने का मामला अभी सुलझा भी नहीं था कि शहर के किशोर सागर तालाब में मलवा डलवाकर पुराव कराए जाने की तस्वीर सामने आ गई हैं। लेकिन इसकी चिंता न तो नगरपालिका कर रही है और न ही प्रशासन कोई कार्रवाई कर रहा है। नतीजतन धीरे-धीरे तालाब खत्म करने में लोग सफल होते दिख रहे हैं।

रियासतकाल से हीे से बारिश के पानी को इकट्ठा करने और धरती के जलस्तर को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास होते रहे हैं। यही वजह है कि रियासतकाल में शहर के अंदर सभी दिशाओं में तालाब और तलैयों का निर्माण कराया गया था। लेकिन वर्तमान में शहर में रियासतकालीन तालाबों की सुंदरता बढ़ाने के बजाय यहां के प्रशासन ने उसे अतिक्रमणकारियों के हाथों सौंप दिया है। यहां तक कि वर्तमान में तालाबों पर हो रहे अतिक्रमण करने वालों को रोकने के भी प्रयास नहीं हो रहे हैं। जिला मुख्यालय में आधा दर्जन तालाब हैं लेकिन शायद ही कोई ऐसा तालाब होगा जो अतिक्रमण की चपेट में न हो। जिला प्रशासन की आंखों के नीचे अतिक्रमण होता चला जा रहा है और इस अतिक्रमण को हटाने में प्रशासन की कोई रूचि तक नहीं है।

शहर के प्रताप सागर तालाब, ग्वाल मंगरा तालाब, संकट मोचन तालाब, सांतरी तलैया तथा किशोर सागर तालाब का जो रकवा था वह सिमट गया है। ये सभी तालाब आज के नहीं बल्कि रियासतकालीन हैं। राजाओं ने धरती के जलस्तर को बरकरार रखने व पानी का संग्रह करने के उद्देश्य से इन तालाबों की खुदाई कराई थी। जिस समय तालाब बने होंगे निश्चित तौर पर हजारों मजदूरों का खून पसीना बहा होगा लेकिन मजदूरों की मेहनत पर रसूखदार मिट्टी भर रहे हैं। तालाबों के रकवे को सिकोड़कर उसमें आलीशान घर बनाए जा रहे हैं। जिले में आए पूर्व कलेक्टर राहुल जैन ने कई तालाबों से अतिक्रमण हटवाया था लेकिन उनके जाते ही फिर से लोगों ने अतिक्रमण कर लिया। तालाबों में दिन-रात मिट्टी का पुराव कर वहां घर बनाने के प्रयास चल रहे हैं। ऐसा नहीं है कि प्रशासन को इसकी खबर न हो लेकिन प्रशासन अतिक्रमण से बेखबर होकर कार्यवाही करने से कतरा रहा है। हो सकता है प्रशासन के ऊपर राजनैतिक दबाव हो लेकिन आम जनमानस के हित में प्रशासन को दबाव से निकलकर कार्यवाही करनी चाहिए थी।

एनजीटी ने भी मांगी तालाबों की जानकारी :
तीन महीने पहले खजुराहो में आयोजित हुए जल सम्मेलन में शामिल होने आए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुंदेलखंड के तालाबों को बचाने के लिए घोषणा की थी। इसके बाद पिछले महीने नगरपालिका छतरपुर को एनजीटी ने पत्र लिखकर शहर के रियासतकालीन तालाबों की जानकारी मांगी है। इस जानकारी को देने में ही नगरपालिकाको पसीना आ गया। तहसील छतरपुर से आंकड़े खंगाले गए तब कहीं जानकारी तैयार हो पाई।

यहां एक ही साल खत्म कर दिया आधा तालाब :
शहर के बीचों-बीच स्थित किशोर सागर तालाब के आधे हिस्से को एक साल में ही अतिक्रमणकारियेां और कब्जेधारियों ने खत्म कर दिया है। लगातार छह माह से इस तालाब में बारी-बारी से शहर का कचरा और मलवा पुरवाया जा रहा है। पिछले तीन दो दिन से लगातार तालाब में ट्रैक्टरों से मलवा पहुंचाकर पुरवाया जा रहा है। इस बारे में नगरपालिका को भी सूचना दी गई, लेकिन कोई भी यहां नहीं पहुंचा। छुट््िटयों के दिनों में तालाब को पूरा जाता है। रविवार को यह काम और ज्यादा तेजी से शुरू हो जाता है। एक ओर शहर के कुछ जागरुक नागरिक और रिटायर कर्मचारियेां से संगठन शनिवार-रविवार तालाबों की सफाई करते हैं। वहीं दूसरी ओर किशोर तालाब को कुछ लोग मिलकर खत्म करने में लगे हैं। लेकिन नगरपालिका इस ओर कोई भी कार्रवाई नहीं कर रही है।
डेढ़ सैकड़ा मकानों के अतिक्रमण का मामला कोर्ट में

किशोर सागर तालाब के क्षेत्र में बने करीब डेढ़ सैकड़ा से अधिक मकानों को तालाबों के क्षेत्र में बनाए जाने का मामला छतरपुर तहसील कोर्ट में चल रहा है। प्रताप सागर तालाब में सबसे ज्यादा 109 मकान अतिक्रमण क्षेत्र में आते हैं वहीं ग्वाल मगरा तालाब में 28, सांतरी तलैया में 9 तथा किशोर सागर तालाब में 7 मकानों का मामला तहसील में लंबित है। जबकि अतिक्रमण का आंकड़ा इससे कहीं अधिक है। क्योंकि प्रशासनिक कार्यशैली राजनैतिक दबाव के कारण निष्पक्ष नहीं हो पा रही है। सभी तालाबों में दो सैकड़ा से अधिक लोगों का अतिक्रमण होगा। लेकिन जब तक जनहित में अतिक्रमण नहीं हटाया जाता है तब तक अतिक्रमणकारियों की वास्तविक संख्या सामने नहीं आएगी। सबसे ज्यादा अतिक्रमण किशोर तालाब में होता नजर आ रहा है।

भराव क्षेत्र सिमटने से अब नहीं भर पाते तालाब :
हर सप्ताह शहर के तालाबों की सफाई करने वाले राष्ट्रीय चेतना विकास मंच के डीडी तिवारी, शंकरलाल सोनी, केएन सोमन कहा कहना है कि तालाबों का भराव क्षेत्र घट जाने के कारण तालाबों में अब बारिश का पर्याप्त पानी नहीं भर पाता है। यदि जिले में अच्छी बारिश होती भी है तब भी इन तालाबों में पानी नहीं भर पाता है, क्योंकि तालाब के सिकुड़ चुके भराव क्षेत्र थोड़ी सी ही बारिश में लबालब हो जाते हैं। ऐसे में कई बार लोगों की सुरक्षा की दृष्टि से तालाबों का पानी मशीनों से ही बाहर कर दिया जाता है। यदि यही पानी तालाब के विशाल क्षेत्र में संग्रहित रहे तो शायद शहर के जलस्तर को बेहतर किया जा सकता है। लेकिन प्रशासन उस समय अतिक्रमणकारियों की चिंता कर पानी बहाने में जुट जाता है। आने वाले समय में पानी के लिए संघर्ष होना निश्चित है।

शहर के पांच तालाबों का लेखा-जोखा :
शहर में पांच प्रमुख तालाब प्रताप सागर, किशोर सागर, संकट मोचन, ग्वाल मगरा और सांतरी तलैया है। यह सभी अतिक्रमण की चपेट में हैं। जबकि रनी तलैया और विंध्यवासिनी तलैया चारों तरफ से बंधी होने के कारण अतिक्रमण से मुक्त तैं। इन पांच तालाबों के रकवे पर नजर डालें तो सबसे ज्यादा रकवा प्रताप सागर तालाब का है। यह तालाब 35 एकड़ में फैला है। इसके बाद दूसरे नंबर पर संकट मोचन तालाब आता है जिसका रकवा साढ़े 12 एकड़ है, खसरा नंबर 2814 प्रताप सागर तालाब का दस्तावेजी रकवा 14.204 हेक्टेयर है। इसी तरह खसरा नं.2643 ग्वाल मंगरा तालाब रकवा 3.642 हेक्टेयर, खसरा नं. 2384 संकट मोचन तालाब रकवा 5.163 हेक्टेयर, किशोर सागर तालाब खसरा नं. 3087/1 रकवा 3.163, 3087/2 रकवा 0.093, 3087/3 रकवा 0.016 तथा 3087/4 रकवा 0.049 हेक्टेयर व सांतरी तलैया खसरा नं. 616/2 रकवा 3.602 हेक्टेयर है। वर्तमान में तालाबों का रकवा सिमट गया है जो स्पष्ट दिखाई दे रहा है।

यह है तालाबों का रकवा :
प्रताप सागर तालाब : १४.२०४ हेक्टेयर
संकट मोचन तालाब : ५.१६३ हेक्टेयर
ग्वाल मगरा तालाब : ३.६४२ हेक्टेयर
किशोर सागर तालाब : ३.१६३ हेक्टेयर
सांतरी तलैया बस स्टैंड : ३.६०२ हेक्टेयर

इधर प्रताप नवयुवक संघ ने बदली तस्वीर :
एक ओर शहर के तालाबों को पुरवाया जा रहा है और अतिक्रमण किया जा रहा है। वहंी दूसरी ओर शहर के प्रताप सागर तालाब को स्थानीस युवाओं के संगठन ने पुनर्जीवन दिया है। प्रताप नवयुवक संगठन एवं पर्यावरण वाहिनी की टीम ने बहुत पहले प्रताप सागर तालाब की सफाई की थी। बीच में एक बार फिर तालाब सूखा और बारिश के दिनेां में गंदगी व जलकुंभी से घिर गया था। इसके बाद साल २०१६ में इस संगठन के कार्यकर्ताओं ने एक बार फिर तालाब को पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया और उसे दिन-रात मेहनत करके उसे नए स्वरूप में ला दिया। तालाब की गंदगी, घाटों की सफाई करके युवाअेां ने यहां दो पार्क भी विकसित कर डाले हैं। सुबह-शाम जाकर युवा यहां पर तालाब की देखरेख, पौधों को पानी देने से लेकर तालाब का पूरा रखरखाव कर रहे हैं। इस काम में नगरपालिका का सहयोग भी युवाओं को मिला था।
इनका कहना है :
– तालाब का पुराव हो रहा है तो यह रोकना प्रशासन का काम है। इसके लिए सबसे पहले एसडीएम साहब से बात करिए। इस मामले में सभी की जवाबदेही है। नगरपालिका पुराव तो करा नहीं रही है। फिर भी हम जाकर देखते हैं। –
हरिहर गंधर्व, सीएमओ नगरपालिका

तालाब का पुराव कराए जाने की जानकारी मिली है। तुरंत ही जांच दल भेजकर पूरे मामले की पड़ताल कराएंगे। जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
– रवींद्र चौकसे, एसडीएम, छतरपुर

हरहाल में हटवाया जाएगा अतिक्रमण :
– तालाबों पर होने वाला अतिक्रमण हर हाल में हटाया जाएगा। तालाब के रकवा और क्षेत्रफल का सीमांकन कराकर अतिक्रमण चिन्हित किया जाएगा। तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कराने प्रशासन सख्त कार्रवाई करेगा। –
रमेश भंडारी, कलेक्टर छतरपुर

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