छतरपुरPublished: Aug 24, 2019 01:55:25 am
हामिद खान
पिछले दो माह से शिक्षकों की वेतन न मिलने से उनके सामने कई समस्याएं खड़ी हो गई हैं। जून की वेतन उपलब्ध कराने के बाद शासन द्वारा शिक्षकों को वेतन नहीं दी गई। ऐसी स्थिति में कई कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
Teachers of many packages in the district have not received salary for two months
छतरपुर. पिछले दो माह से शिक्षकों की वेतन न मिलने से उनके सामने कई समस्याएं खड़ी हो गई हैं। जून की वेतन उपलब्ध कराने के बाद शासन द्वारा शिक्षकों को वेतन नहीं दी गई। ऐसी स्थिति में कई कार्य प्रभावित हो रहे हैं। खासतौर से त्यौहारों के मौसम में वेतन न मिलने से शिक्षकों के सामने आर्थिक समस्या खड़ी हो गई है। संकुल प्राचार्यों का कहना है कि पदनाम बदलकर वेतन के बिल बनाने थे इसलिए वेतन भुगतान में विलम्ब हुआ है।
सूत्रों ने बताया कि जिले के सटई संकुल के अलावा बिजावर, अनगौर, खैराकला, एमएलबी छतरपुर सहित कई ऐसे संकुल हैं जहां के शिक्षकों को जुलाई माह का वेतन नहीं मिला। अगस्त माह के एक सप्ताह शेष है इस तरह से दो माह की वेतन शिक्षकों को मिलनी हैं मगर समय पर वेतन न मिलने से कई समस्याएं सामने आ रही हैं। शिक्षकों का कहना है कि हर माह की एक से 5 तारीख तक उन्हें वेतन का भुगतान हो जाता था जिससे आवश्यक कार्य पूरे होते थे। वेतन न मिलने से जहां एक ओर बच्चों की स्कूल की फीस प्रभावित हो रही है तो वहीं किराना से लेकर दूध का हिसाब भी बाकी है। भले ही दुकानदार शिक्षकों पर भरोसा कर उन्हें उधार में सामान देता रहे लेकिन वेतन न मिलने से अन्य कार्य भी प्रभावित होते हैं। रक्षाबंधन जैसा बड़ा पर्व बिना वेतन के गुजर गया। शिक्षक भाई-बहिनों को रक्षाबंधन में दूर-दूर की यात्राएं करनी पड़ीं लेकिन वेतन न मिलने से यह त्यौहार फीका नजर आया है। रक्षाबंधन ही नहीं बल्कि जन्माष्टमी भी बिना वेतन के गुजर गई।
बहुत ऐसे शिक्षक भी हैं जिन्होंने किसी न किसी कार्य के लिए बैंकों से ऋण लिया है। बैंकों से उधार पैसे लेकर वे अपनी वेतन से हर माह निर्धारित राशि जमा करते हैं ताकि धीरे-धीरे ऋण भी चुका सके लेकिन जुलाई माह की वेतन न मिलने से ऋण लेने वाले शिक्षकों के सामने ऋण चुकाने का संकट आ गया। समय पर लोन की किश्त न देने पर पैनाल्टी भरनी पड़ती है। कई शिक्षकों ने बताया कि भवन निर्माण सहित निजी कार्य के लिए लोन लिया है। जुलाई माह की वेतन का भुगतान न होने से उधार लेकर खाते में राशि जमा की गई। कई शिक्षकों का कहना था कि राशि की व्यवस्था न होने के कारण अब उन्हें लोन की पैनाल्टी भरनी पड़ेगी।