अनुबंध में नियमों का उल्लंघन
जांच में यह खुलासा हुआ है कि तत्कालीन बड़ामलहरा जनपद सीईओ अजय सिंह ने बिना किसी सक्षम अधिकारी की अनुमति के सरकारी भवन को लीज पर देने का फैसला लिया था। नियमों के अनुसार, जनपद का अतिरिक्त शासकीय भवन केवल उन मामलों में ही आवंटित किया जा सकता है, जिनके लिए उपयुक्त कानूनी और प्रशासनिक अनुमति प्राप्त की गई हो।
जिला पंचायत सीइओ ने की जांच
जिला पंचायत के अधिकारी तपस्या परिहार द्वारा कराई गई जांच में यह भी सामने आया कि सीईओ के पास उस समय इस सरकारी भवन को लीज पर देने का कोई अधिकार नहीं था। और सबसे बड़ी बात, यह भवन पहले दूरदर्शन के कार्यालय को आवंटित था, लेकिन सीईओ ने बिना किसी अधिकार क्षेत्र के इसे भाजपा के पूर्व विधायक को आवंटित कर दिया।
पंचायत राज अधिनियम का हुआ उल्लंघन
जांच में यह भी पाया गया कि सीईओ ने पंचायत राज अधिनियम की धारा 65 का उल्लंघन किया था, जो सरकारी भवनों के आवंटन और उनके उपयोग के बारे में स्पष्ट दिशा-निर्देश देती है। इसके तहत, सरकारी संपत्ति का आवंटन केवल संबंधित सक्षम अधिकारियों की अनुमति से ही किया जा सकता है। तत्कालीन सीईओ ने इस प्रक्रिया को नजरअंदाज करते हुए सरकारी भवन को लीज पर देने के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए, जिससे मामला गंभीर हो गया।
विभागीय जांच कराई जा रही
कलेक्टर ने विभागीय जांच के आदेश देते हुए कहा कि इस अनुबंध से न केवल सरकारी संपत्ति का गलत तरीके से उपयोग हुआ, बल्कि इसके माध्यम से एक राजनीतिक व्यक्ति को अनियमित लाभ भी मिला। कलेक्टर ने कहा कि इस पूरे मामले की गहन जांच की जाएगी और जो भी जिम्मेदार होगा, उसे कड़ी सजा दी जाएगी।
भविष्य में सरकारी संपत्ति के आवंटन में सख्ती
कलेक्टर ने यह भी कहा कि भविष्य में इस तरह के अनुबंधों से बचने के लिए सरकारी भवनों के आवंटन को लेकर सख्त नियम और प्रक्रियाएं लागू की जाएंगी। अब से सरकारी भवनों के आवंटन के लिए संबंधित अधिकारियों को सख्त दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा और बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति के किसी भी व्यक्ति को सरकारी भवन का आवंटन नहीं किया जाएगा।
कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश
इस मामले को लेकर जब कमिश्नर डॉ. वीरेन्द्र रावत के पास शिकायत पहुंची, तो उन्होंने इसे गंभीरता से लिया और कलेक्टर को जांच के आदेश दिए। कलेक्टर पार्थ जैसवाल ने मामले की जांच के बाद पाया कि पंचायत राज अधिनियम की धारा 65 का उल्लंघन हुआ था और सीईओ ने अवैध रूप से भवन आवंटित किया था। कलेक्टर ने कहा कि उक्त अनुबंध पूरी तरह से अवैध है और तत्कालीन जनपद सीईओ के खिलाफ विभागीय जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जांच रिपोर्ट में पाया गया कि इस अनुबंध से न केवल सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग हुआ, बल्कि इससे सरकारी नियमों की भी अवहेलना की गई।