छतरपुर

बिना जमीन के बन गया किसान, फिर यह किया

कर्जमाफी योजना से सेवा सहकारी समितियों के भ्रष्टाचार की परतें दिन ब दिन उधरना शुरू हो गई। अधिकारियों व किसानों की आंखों में धूल झोंककर समिति प्रबंधक कर्ज निकालते रहे और प्रधानमंत्री राष्ट्रीय फसल बीमा, बीज अनुदान जैसी अनेक योजनाओं का लाभ लेते रहे।
 

छतरपुरFeb 09, 2019 / 01:13 am

हामिद खान

The farmer became a landless land, then did it

बडामलहरा. कर्जमाफी योजना से सेवा सहकारी समितियों के भ्रष्टाचार की परतें दिन ब दिन उधरना शुरू हो गई। अधिकारियों व किसानों की आंखों में धूल झोंककर समिति प्रबंधक कर्ज निकालते रहे और प्रधानमंत्री राष्ट्रीय फसल बीमा, बीज अनुदान जैसी अनेक योजनाओं का लाभ लेते रहे। इनमें से बड़ा मामला सेवा सहकारी समिति पनवारी से आया है। भूमिहीन प्रबंधक ने स्वयं को किसान बताकर कर्ज निकाला और माफी योजना का लाभ लेने के लिए खाता सुधार भी कर दिया। बताया जा रहा है कि प्रबंधक हेराफेरी की जांच प्रभावित करने में जुटा है।
जानकारी के अनुसार प्रबंधक सेवा सहकारी समिति पनवारी रामप्रसाद पिता चिंतामन लोधी ने नियमों को दरकिनार कर फर्जी तरीके से अपने नाम कर्ज निकाल लिया। मौके पर जांच करने गई टीम को उन्होंने झिंगरी, भेलदा और विश्वां हलका क्षेत्र में खेती की जमीन होने की बात स्वीकारी है लेकिन, समिति प्रबंधक ने जमीन होने का कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं कराया गया। समिति प्रबंधक वर्ष 2009 में किसान बन गया और अपनी ही समिति में रामप्रसाद पिता चिंतामन लोधी के नाम खाता क्रमांक 2/143 खोल लिया। बीज अनुदान और प्रधानमंत्री फसल बीमा का लाभ लेकर यह वर्षों से अधिकारियों की आंखों में धूल झोंक रहा है। कांग्रेस सरकार ने हाल ही में कर्ज माफी योजना शुरू की है उसी दौरान समिति प्रबंधक का घोटाला उजागर हो गया। बताया जाता है कि कर्ज माफी योजना और एमटीसी का लाभ लेने के लिए खाता में काट-छांट कर रिकार्ड को मनमाफिक सुधार लिया। किसान पंजीयन प्रक्रिया, कर्ज आहरण प्रक्रिया की बारीकी से जांच करे तो राजस्व विभाग, समिति प्रबंधक, कप्यूटर ऑपरेटर जैसे अनेक चेहरे बेनकाब होगें।
दोहरा लाभ लेने किया रेकॉर्ड में सुधार
माना जा रहा है कि कर्जमाफी और एमटीसी दोनों योजनाओं का लाभ लेने के लिए खाता धारक समिति प्रबंधक ने रिकार्ड सुधार किया है। खाता क्रमांक 2/143 में कर्ज लेकर 31 मार्च 2018 तक खाता में 1 लाख 32 हजार 231 रुपए बैंलेंस छोडा गया। 9 अप्रैल 2018 को लिंकिंग खाता के माध्यम से 50 हजार रुपए और 15 जून 2018 को जारी रसीद क्रमांक 2094/89 के माध्यम से 82 हजार 231 रुपए जमाकर कर्ज अदा कर दिया। कर्जमाफी योजना की घोषणा होते ही समिति प्रबंधक ने फर्जी खाता में सुधारकर, जमा राशि 82 हजार 231 रुपए को 12 हजार 231 रुपए बना दिया और 30 जून 2018 को खाता में 80 हजार रुपए बकाया दर्शाकर स्वयं को एमटीसी किसान दिखाया है। 7 अगस्त 2018 में उन्होंने 1 लाख 20 हजार रुपए आहरण कर खाता में 2 लाख रुपए बकाया दिखाया है। भूमिहीन समिति प्रबंधक एक दशक तक समिति के खाते से लेनदेन होने से अधिकारियों की कार्यशैली भी जांच के दायरे में है।
जांच की जा रही है
सेवा सहकारी समिति पनवारी की गड़बडिय़ां उजागर होने के बाद अधिकारियों की टीम जांच कर रही है। समिति द्वारा किसानों को कर्ज दिया जाता है, प्रबंधक ने भूमि संबंधी कोई भी दस्तावेज नहीं दिखाए हैं। प्रबंधक की लोन सुधार संबंधी प्रक्रिया की जांच चल रही है।
आनंद मोहन खरे, प्रबंधक जिला सहकारी बैंक मर्यादित शाखा घुवारा
प्रतिवेदन भेजा है
सेवा सहकारी समिति पनवारी की जांच के बाद प्रतिवेदन कलेक्टर को भेजा गया है। प्रबंधक रामप्रसाद लोधी से भूमि संबंधी दस्तावेज मांगे गए हैं। एक सप्ताह बीतने को है लेकिन कृषि भूमि संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए।
लक्ष्मीनारायण गर्ग, जांच अधिकारी व नायब तहसीलदार मंडल भगवां तहसील घुवारा

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