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छतरपुर

प्राइवेट एंबुलेंस का स्वास्थ विभाग के पास हिसाब किताब नही, बिना जांच पड़ताल चल रही 50 निजी एंबुलेंस

इसके बावजूद एंबुलेंस माफिया से साठगांठ के कारण सरकारी एंबुलेंस मरीजों को नहीं मिल पाती। इसी साठगांठ का नतीजा है कि जिले में तेजी से निजी एंबुलेंस संचालित करने का कारोबार फलफूल रहा है। जिला अस्पताल के दोनों गेटों व पीएचई ऑफिस के पास निजी एंबुलेंस का काफिला मौजूद रहता है।

छतरपुरAug 13, 2024 / 10:48 am

Dharmendra Singh

ambulance

पीएचइ ऑफिस के सामने पार्क प्राइवेट एंबुलेंस

छतरपुर. निजी एंबुलेंस का जिला अस्पताल के आसपास कब्जा जम गया है। जिला अस्पताल एवं अन्य निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों को इलाज के लिए बाहर भेजने हेतु 108 एंबुलेंस के अलावा सरकारी एंबुलेंस भी मौजूद रहती हंै। इसके बावजूद एंबुलेंस माफिया से साठगांठ के कारण सरकारी एंबुलेंस मरीजों को नहीं मिल पाती। इसी साठगांठ का नतीजा है कि जिले में तेजी से निजी एंबुलेंस संचालित करने का कारोबार फलफूल रहा है। जिला अस्पताल के दोनों गेटों व पीएचई ऑफिस के पास निजी एंबुलेंस का काफिला मौजूद रहता है।

निजी एंबुलेंस वसूल रही मनमाने रुपए


छतरपुर जिले में धड़ल्ले से निजी एंबुलेंस का कारोबार चल रहा है। सिर्फ छतरपुर शहर में ही 50 से अधिक निजी गाडिय़ां दौड़ाई जा रही हैं। एंबुलेंस संचालक मरीजों से मौके का फायदा उठाकर मनमानी फीस वसूलते हैं। मरीज के परिजनों से चिकित्सा सुविधाएं उपकरण, डॉक्टर कम्पाउण्डर उपलब्ध कराने तक का दावा करते हैं लेकिन असल में इन गाडिय़ों में मौजूद चिकित्सा सेवाएं गैर पंजीकृत होती हैं। दूसरी तरफ सरकारी तौर पर छतरपुर जिले में लगभग 35 एंबुलेंस गाडिय़ां हैं जिन्हें जिला अस्पताल सहित ब्लाक अस्पतालों में तैनात किया गया है। इसके अलावा हाल ही में सरकार ने संजीवनी एंबुलेंस गाडिय़ों की संख्या भी बढ़ाई है जिनमें 24 नई गाडिय़ां प्राप्त हुई हैं।

कमीशन का नेटवर्क


जिला अस्पताल व अन्य अस्पतालों से झांसी रेफर होने वाले मरीज व उनके परिजनों को सावधान करने वाली खबर है। जिले से हर महीने करीब 150 मरीज इलाज के लिए झांसी रेफर किए जाते हैं। झांसी में नर्सिंग होम और एंबुलेंस वालों के बीच कमीशनबाजी का बड़ा खेल चल रहा है। एंबुलेंस वाले 30 फीसदी कमीशन लेकर झांसी के निजी अस्पतालों में मरीज पहुंचा रहे हैं। यह लोग रास्ते में मरीज और उनके घर वालों को एक ऐसा डाक्टर सुझाते हैं जिससे उनकी सेटिंग होती है।

बिना वैध दस्तावेज पकड़ी गई थी 9 एंबुलेंस


आरटीओ विक्रम जीत सिंह कंग और उनकी टीम ने निजी अस्पताल और जिला चिकित्सालय के पास बीते वर्ष एंबुलेंस की चेकिंग की, जिसमें 9 एंबुलेंस वाहनों को चेक किया गया, जिसमें से किसी में फिटनेस एवं अन्य दस्तावेज नहीं पाए गए, उनको जब्त भी किया गया। एंबुलेंस चालकों और उनके मालिकों को समझाइश दी गई कि एंबुलेंस में अग्निशमन यंत्र, फस्र्ट एड बॉक्स, ऑक्सीजन की उपलब्धता और सभी दस्तावेज पूर्ण कराकर ही एंबुलेंस का संचालन करें तथा एंबुलेंस को निर्धारित स्थान पर ही खड़ा करें तथा किराया सूची चस्पा करें, जिससे किसी भी मरीजों को असुविधा न हो। लेकिन कार्रवाई के वाबजूद सुधार नहीं है।

विभागों में पंजीयन नहीं


छतरपुर शहर में ही तकरीबन 50 से अधिक प्राइवेट एंबुलेंस संचालित की जा रही हैं। सीएमएचओ ऑफिस में किसी भी निजी एंबुलेंस का पंजीयन नहीं कराया गया है। कोरोना काल के दौरान यह बात सामने आयी थी कि निजी एंबुलेंस संचालकों के द्वारा लोगों से मनमाना किराया वसूला जाता है। इस संबंध में पूर्व कलक्टर शीलेन्द्र सिंह के द्वारा एक रेट सूची भी निर्धारित की गई थी लेकिन इस रेट सूची का भी पालन कराने वाला कोई विभाग नहीं है।

इनका कहना है


मरीजों का परिवहन करने के लिए एंबुलेंस संचालकों को पंजीयन कराया अनिवार्य है लेकिन यदि बिना पंजीयन के एंबुलेंस गाडिय़ां चल रही हैं तो इनकी जांच कराएंगे।
डॉ. आरपी गुप्ता, सीएमएचओ, छतरपुर

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